क्या काश्यप के लिए चुनौती साबित होंगे खुशी से नाचने वाले सकलेचा! कांग्रेस के युवा वर्ग में आक्रोश!

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क्या काश्यप के लिए चुनौती साबित होंगे खुशी से नाचने वाले सकलेचा! कांग्रेस के युवा वर्ग में आक्रोश!

रमेश सोनी की खास खबर

Ratlam : मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर गुरुवार देर रात में जारी हुई कांग्रेस की सूची में रतलाम के पारस सकलेचा का नाम आते ही, सकलेचा भले ही नाचने लगे हो, लेकिन कांग्रेस खेमे के युवा वर्ग में आक्रोश है।

कांग्रेस के सक्रिय दावेदार प्रत्याशियों में यकायक आलाकमान के इस परिवर्तन करने से अंदरूनी तौर पर गुस्सा है। पारस सकलेचा के विरोध में युवा वर्ग विरोध दर्ज कर रहा है और उनका पुतला दहन कर विरोध दर्ज किया जा रहा है।

कांग्रेस की उम्मीदवारी को लेकर पहले शहर के युवा और सशक्त उम्मीदवार पद हेतु मयंक जाट को न्यायालय ने अयोग्य घोषित किया तो दूसरे उम्मीदवारों की बांछे खिल उठी थी कि अब उनका चांस लग सकता है। जिसमें प्रभू  राठौड़, शांतिलाल वर्मा और फैय्याज मंसूरी थे, कांग्रेस आलाकमान ने पारस सकलेचा पर विश्वास जताते हुए उन्हें टिकट देकर इन दावेदारों को दरकिनार कर दिया है, जिसका अंदरुनी विरोध देखने को मिल रहा है।

सकलेचा को टिकट मिलते ही उन्होंने जनसंपर्क प्रारंभ कर दिया है और सबसे पहले वह पूर्व विधायक स्वर्गीय शिवकुमार झालानी के निवास पर पहुंचे और उनके भाईयों और बेटे से मिले।

अब बात करें चेतन्य काश्यप की तो क्या उनकी विजय की राह में पारस सकलेचा रोढा बन सकेंगे? कांग्रेस आलाकमान ने जातिय समीकरण को लेकर बहुत ही सोच समझकर पारस सकलेचा को मैदान में उतारा है क्योंकि भाजपा और कांग्रेस के दोनों उम्मीदवार अब जैन तबके से हैं। ऐसे में जैन वोट का बंटवारा होने पर कयास लगाए जा रहे हैं।

इधर विधायक चेतन्य काश्यप जैन समाज में अपने व्यवहार और कार्यकुशलता से अच्छी साख रखते हैं और वह प्रतिवर्ष दीपावली मिलन समारोह आयोजित कर शहर के सभी समाज वर्गों के पदाधिकारियों को आमंत्रित कर उनसे राय मशविरा करते हुए उनके साथ सहभोज स्वयं शामिल होते हैं। यह काश्यप की अपनी कार्यशैली है।

काश्यप का जैसा कद है वैसे ही उनके कार्य हैं, उनकी तासीर में किसी भी प्रतिद्वंद्वी का विरोध दर्ज नहीं कराने की अहम बात है, वह कभी भी किसी भी परिस्थिति में उग्र नहीं होते उनके खिलाफ कोई कुछ कह भी देता है तो वह अनदेखा कर देते हैं। यह सदगुण उनकी विजय पताका को विजय के शिखर पर फहराने में सहयोगी बनते हैं।

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इधर कांग्रेस के पारस सकलेचा भी शहर के जैन समुदाय में अग्रणी भूमिका निभाते हैं। साथ ही उनके साथ प्रदेश भर की युवा लाबी है जो युवाम के माध्यम से सकलेचा के कहने पर जी जान लगाने को तत्पर रहते हैं। युवाम प्रदेश की ऐसी संस्था है जिसके माध्यम से युवाओं को बैंकिंग प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है और युवाम के सिरमोर पारस सकलेचा ही हैं।

सनातनियों की हम बात करें तो शहर का 50 प्रतिशत धड़ा चेतन्य काश्यप यानी भाजपा के साथ है जो किसी भी परिस्थिति में कांग्रेस को वोट नहीं दे सकता। मुस्लिम समाज के वोटों की हम बात करें तो इस समुदाय के 90 प्रतिशत वोट कांग्रेस के पक्ष में ही जाते हैं, लेकिन पिछले 5 वर्षों के इतिहास को खंगाला जाए या विश्लेषण किया जाय तो चेतन्य काश्यप के साथ मुस्लिम वर्ग के भी कई लोग हैं।

बहरहाल भाजपा और कांग्रेस के इन दोनों प्रत्याशियों ने अपने-अपने स्तर से सियासी शतरंज पर अपनी बिसात बिछाना प्रारंभ कर दी है। अब वक्त बताएगा कि चेतन्य की चमक बरकरार रहेगी या पारस के छूते ही कांग्रेस सोना बनकर पारस को उभारेगी।