अब आर-पार के बचे छह वार…

326
अपराधी राजा या सेवक - सुधार की अनंत यात्रा अब भी जारी

अब आर-पार के बचे छह वार…

 

दीप पर्व के बीच अब मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में आर-पार की लड़ाई के छह दिन ही बाकी हैं। शुक्रवार, शनिवार, रविवार, सोमवार, मंगलवार और बुधवार तक ही मैदान में आरोप-प्रत्यारोप, उपलब्धियों और वादों का दौर जारी रह सकेगा। इसके बाद गुरुवार को द्वार से द्वार तक प्रचार का जोर रहेगा और शुक्रवार को मतदान-महादान का दिन आ जाएगा। अब इन छह दिन में कौन कितना असरदार साबित होता है, यह देखने वाली बात है। जैसे-जैसे चुनाव की तारीख करीब आ रही है, वैसे-वैसे आक्रामकता बढ़ती जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुखरता सबके सामने है, तो शिवराज सिंह चौहान कांग्रेस को चौतरफा घेरने में कसर नहीं छोड़ रहे हैं। वहीं भाई-बहन राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की जोड़ी भी पूरा जोर लगा रही है।

वैसे देखा जाए तो भाजपा के स्टार प्रचारकों की सक्रियता कांग्रेस की तुलना में कहीं बहुत ज्यादा है। अब 10 नवंबर की ही बात की जाए, तो जो जो कार्यक्रम जारी किया गया है उसके मुताबिक मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की दृष्टि से भारतीय जनता पार्टी का वरिष्ठ नेतृत्व 10 नवंबर को प्रदेश के विभिन्न जिलों के प्रवास पर रहेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सरमा अनुपपुर, मंडला, बालाघाट व जबलपुर, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर एवं पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद विष्णुदत्त शर्मा भिण्ड, दतिया, शिवपुरी व मुरैना, केन्द्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण इंदौर, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय आगर, शाजापुर, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस बुरहानपुर, केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया कटनी, सतना, सागर व रायसेन, केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल विदिशा, रायसेन, नरसिंहपुर, उत्तरप्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य टीकमगढ़ की विधानसभाओं में पार्टी प्रत्याशियों के समर्थन में चुनाव प्रचार करेंगे। देखा जाए तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ही अकेले दस का दम भरते नजर आ रहे हैं। वैसे भी परिश्रम की पराकाष्ठा में भाजपा का जवाब नहीं है। और मध्यप्रदेश भाजपा में शिवराज की बराबरी कर पाना तो किसी के वश की बात नहीं है। केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह, भूपेंद्र यादव, अश्विनी वैष्णव, फग्गन सिंह कुलस्ते, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित भाजपा में प्रचार करने वाले प्रभावी चेहरे मतदाताओं पर असर डाल रहे हैं।

तो कांग्रेस में राहुल-प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ही मुख्य चेहरे हैं, जो असरदार सक्रियता दर्ज करा पा रहे हैं। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी विधानसभा चुनाव होने के चलते कांग्रेस के यह दो मुख्यमंत्री अपना राज्य बचाने की लड़ाई लड़ने में व्यस्त हैं। तो पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने खुद को खरगोन में ही समेट लिया है।

आम आदमी पार्टी की बात करें तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान भी मध्यप्रदेश की विधानसभा सीटों पर अपनी दस्तक दे चुके हैं। तो समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। मायावती का नाम भी अब सुनाई दे रहा है।

तो आगामी छह दिन मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की दृष्टि‌ से सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं। वैसे तो 2023 का विधानसभा चुनाव बहुत नीरस सा नजर आया है। 2018 में शिवराज‌ बनाम महाराज संग्राम जोरों पर था और हर जुबान पर था। पर 2023 में फिलहाल शिवराज बनाम कमलनाथ ही परिदृश्य नजर आ रहा है और बहुत कुछ हलचल पैदा नहीं हो पाई है। देखने वाली बात है कि आगामी छह दिन क्या नया गुल खिलाते हैं। हालांकि इसमें भी ज्यादातर दिन त्यौहारों में गुजरने वाले हैं। दीप जलेंगे और दलों की तरफ गौर से देखते नजर आएंगे…।