अब ईवीएम में शुमार, मध्यप्रदेश की भावी सरकार…

5 Ex CM's Sons Are Also Candidates

अब ईवीएम में शुमार, मध्यप्रदेश की भावी सरकार…

मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीटों पर 2,533 उम्मीदवारों के चुनावी भाग्य का फैसला मध्यप्रदेश के जागरूक मतदाताओं ने कर दिया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके प्रतिद्वंद्वी कमलनाथ में से कौन मतदाताओं के मन को भाया है, यह तस्वीर साफ होना बाकी है। और 3 दिसंबर की तारीख इसके लिए पहले से तय है। इस चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी कांग्रेस के बीच मुकाबला रोचक है। मतदाताओं ने जिस तरह बढ़-चढ़कर मतदान किया है उससे लग रहा है कि मतदाता उत्साहित भी है और उसे जिम्मेदारी का अहसास भी है। मध्यप्रदेश में 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए और 35 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। तो 230 विधानसभा सीटों में से बहुमत पाने के लिए किसी भी दल को 116 का जादुई आंकड़ा पाना जरूरी है। ऐसा पहली बार 2018 के विधानसभा चुनाव में हुआ था कि कोई भी दल इस आंकड़े को नहीं छू सका था। मध्यप्रदेश विधानसभा का यह चुनाव वैसे जादुई परिणाम दिखाने वाला है, जिसमें कई धारणाएं टूटेंगीं तो नई धारणाएं इतिहास बनाएंगीं।
मध्य प्रदेश का यह विधानसभा चुनाव यह बताने वाला है कि मध्य प्रदेश के मन में क्या था? इसका खुलासा 3 दिसंबर 2023 को हो जाएगा। यह बात तय है कि मोदी के मन में मध्य प्रदेश है तो 3 दिसंबर बताएगी कि इस विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश के मतदाताओं के मन में मोदी ही रहे या कोई और।
जिस तरह मध्य प्रदेश के मतदाताओं ने मतदान किया है, उससे यह साफ हो गया है कि इतिहास बनने वाला है। यह इतिहास किसी दल को दो तिहाई बहुमत मिलकर बनेगा या फिर मामूली अंतर से कोई दल सरकार बनाएगा और इतिहास रचने का दावा करेगा। भाजपा इतिहास बनाने का दावा कर रही है तो कांग्रेस भी इतिहास बनाने की उम्मीद लगाए है।
जिस तरह भाजपा ने पूरा चुनाव प्रचार आधी आबादी पर और महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित कर दिया था, उससे लग रहा है कि चुनाव परिणाम का विश्लेषण भी महिला मतदाताओं के रुझान पर केंद्रित रहेगा। बहनों ने यदि थोड़ा सा लाड़ भी भैया शिवराज और भाजपा पर उड़ेला तो यह बात तय है कि भाजपा फिर सरकार बनाकर इतिहास रचेगी। यदि ऐसा नहीं हुआ और बहनों ने सम्मान की चिंता की तब नाथ को खुश होने का एक और मौका मिल सकता है। पर यह बात तय है कि 2023 का दारोमदार आधी आबादी यानि बहनों, माताओं और भांजियों के कंधों पर टिका है। और यह संभावनाएं भी नजर आ रही हैं कि लाडली बहनें अपने भाई को निराश नहीं करेंगी।
यह चुनाव साबित करने वाला है कि मध्य प्रदेश में आदिवासी मतदाता जो चाहेगा और जिसे चाहेगा, वही दल सरकार बनाएगा। 47 आदिवासी विधानसभा सीटें यह तय करने वाली है कि इतिहास बनाने का हक किसको मिलने वाला है। क्योंकि आदिवासी प्रभाव करीब 75 सीटों पर है, ऐसे में आदिवासी लाड़ली बहनों की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
तो यह चुनाव भारतीय जनता पार्टी के संगठन की ताकत और कार्यकर्ताओं के रुझान को भी परिभाषित करने वाला है। हर बूथ पर 51 फ़ीसदी वोट हासिल करने की भाजपा की ललक पर चुनाव परिणाम कितनी मुहर लगाते हैं, यह हकीकत 3 दिसंबर को सामने आने वाली है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और शुभंकर विष्णु दत्त शर्मा मतदान को लेकर उत्साहित भी हैं और उन्हें पूरा भरोसा है कि संगठन कसौटी पर खरा उतरेगा। मध्यप्रदेश में फिर से सरकार बनाकर भाजपा इतिहास बनाने जा रही है।
तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ भी उत्साहित हैं। उनका मानना है कि प्रदेश के मतदाताओं में जिस उत्साह से मतदान में भाग लिया और पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए करीब 75% से अधिक मतदान किया, वह ऐतिहासिक है। इस बढ़े हुए मतदान ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि मध्य प्रदेश की जनता इस बार बड़े बदलाव के लिए मतदान कर चुकी है।
फिलहाल यही कहा जा सकता है कि मध्य प्रदेश की भावी सरकार ईवीएम में शुमार हो गई है। 15 दिन का इंतजार है और उसके बाद 3 दिसंबर 2023 को सच सामने आ जाएगा। यह तय हो जाएगा कि मध्य प्रदेश की कमान किसके हाथों में रहेगी…।
Author profile
khusal kishore chturvedi
कौशल किशोर चतुर्वेदी

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के जाने-माने पत्रकार हैं। इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया में लंबा अनुभव है। फिलहाल भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र एलएन स्टार में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले एसीएन भारत न्यूज चैनल के स्टेट हेड रहे हैं।

इससे पहले स्वराज एक्सप्रेस (नेशनल चैनल) में विशेष संवाददाता, ईटीवी में संवाददाता,न्यूज 360 में पॉलिटिकल एडीटर, पत्रिका में राजनैतिक संवाददाता, दैनिक भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ, एलएन स्टार में विशेष संवाददाता के बतौर कार्य कर चुके हैं। इनके अलावा भी नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित विभिन्न समाचार पत्रों-पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन किया है।