Kissa-A-IAS: सवा 3 फीट की इस IAS की प्रशासनिक काबिलियत बनी मिसाल
राजस्थान कैडर की IAS आरती डोगरा (IAS Aarti Dogra) का कद मात्र सवा 3 फुट है, पर उनकी प्रशासनिक क़ाबलियत के किस्से मिसाल बन चुके हैं। उत्तराखंड में जन्मी आरती की शारीरिक अक्षमता पर बचपन से ही ऊँगली उठाई जाती रही, पर आज सबकी बोलती बंद है!
2006 बैच की इस IAS अफसर का भारत सरकार भी कई बार सम्मान कर चुकी है। इस छोटे कद की IAS की कहानी निश्चित रूप से उन लोगों को प्रेरणा देने वाली है, जिनकी शारीरिक अक्षमता को वे अपनी प्रतिभा में अड़चन समझते हैं। बचपन में जिसे परिवार पर बोझ समझा जाता था, बाद में वही आरती डोगरा परिवार की पहचान बनी। उन्होंने उन लोगों की बोलती बंद कर दी, जो उसका मजाक उड़ाया करते थे।
इसलिए कि आरती डोगरा (IAS Aarti Dogra) ने कभी अपने ठिगनेपन को अपनी सफलता के आगे नहीं आने दिया। आरती डोगरा ने साबित कर दिया कि अगर लक्ष्य तय लिया जाए तो कोई भी कठिनाई, मेहनत के सामने आगे दम तोड़ देती है। सच्ची लगन और हौंसले का कोई कद नहीं होता। कहते है अगर हौसले हों, तो उसके बूते इंसान ऊंची से ऊंची उड़ान भर सकते है। आरती डोगरा ने अपनी प्रतिभा का परचम इतना ऊँचा लहराया है कि ये मिसाल बन गया।
उत्तराखंड के देहरादून में 18 जुलाई 1979 को जन्मी आरती डोगरा सेना के कर्नल राजेंद्र डोगरा और एक स्कूल की प्रिंसिपल कुमकुम डोगरा की पहली संतान थी। जन्म के समय से ही इस संतान की शारीरिक बनावट सामान्य बच्चों से अलग थी। उसकी उम्र बढ़ी, पर कद 3 फीट 3 इंच पर आकर रुक गया।
डॉक्टर ने भी आरती के जन्म के समय कहा था कि यह बच्ची शायद सामान्य जिंदगी नहीं जी सके। लोगों ने भी खूब ताने कसे। इसे परिवार के लिए बोझ तक बताया गया। कुछ लोगों ने तो आरती के माता-पिता की दूसरी संतान की नसीहत तक दी। उनके जन्म के बाद से ही लोग उनकी शारीरिक बनावट को लेकर सवाल उठाते रहे थे।
लेकिन, आरती के माता पिता ने तय किया कि वो अपनी बेटी को सामान्य स्कूल में बच्चों के साथ पढ़ाएंगे। लोग जब उनकी मां से पूछते थे कि अगला बच्चा कब होगा, तो जवाब मिलता कि हमारा बस एक ही बच्चा काफी है। माता-पिता ने इसी इकलौती बेटी को कामयाब बनाने की ठानी और नतीजा यह है कि आज आरती डोगरा IAS है।
अपनी कद-काठी को आरती ने कभी कमजोरी नहीं बनने दिया। देहरादून के वेल्हम गर्ल्स स्कूल में अपनी प्रारंभिक पढाई के बाद आरती ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज एडमिशन लिया और इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद पोस्ट ग्रेजुएशन देहरादून से किया।
आरती उत्तराखंड की पहली महिला IAS मनीषा पंवार (IAS Manisha Pawar) के संपर्क में आई। उन्होंने आरती को UPSC की तैयारी करने के लिए प्रेरित किया, उसके बाद आरती के जीवन का लक्ष्य बदल गया। उन्होंने ठान लिया कि अब UPSC ही क्रेक करना है। उसके बाद आरती UPSC की तैयारियों में जुट गईं और 2005 में पहली बार में परीक्षा दी और पहली ही कोशिश में 56वीं रैंक हासिल IAS बनीं और तब से राजस्थान कैडर में काम कर रही है।
वर्ष 2006-2007 में IAS की ट्रेनिंग के बाद आरती डोगरा को पहली पोस्टिंग उदयपुर में ADM के तौर पर मिली। इसके बाद वे अलवर, अजमेर और ब्यावर में भी ADM रहीं। 2010 में उन्हें बूंदी जिले का कलेक्टर बनाया गया। इसके बाद बीकानेर और अजमेर में भी आरती ने बतौर कलेक्टर सेवा दी।
Also Read: Kissa-a-IAS : Ankita Choudhary : मां की मौत से टूट गई पर पिता के संबल ने बनाया IAS
वे जोधपुर ‘डिस्कॉम’ की प्रबंध निदेशक भी रहीं। बीकानेर में कलेक्टर रहते हुए आरती ने ‘बंको बिकाणो’ अभियान की शुरुआत की थी। इस अभियान में लोगों को खुले में शौच न करने के लिए प्रेरित किया गया। गांव-गांव पक्के शौचालय बनवाए गए, जिसकी मॉनीटरिंग मोबाइल सॉफ्टवेयर के जरिए की जाती थी।
यह अभियान ग्राम पंचायतों तक सफलतापूर्वक चलाया गया। बाद में यह अभियान नाम बदल बदलकर देश के कई राज्यों में चलाया गया। उनकी योग्यता से प्रभावित होकर तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने आरती डोगरा को अपना विशेष सचिव नियुक्त किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM MODI) भी आरती डोगरा के कामकाज और दूरदृष्टि के कायल हैं। इसलिए कि देश की ऐसी अफसर हैं, जिनका कद नहीं बल्कि काम बोलता है। उन्होंने समाज में बदलाव के लिए कई मॉडल पेश किए है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी खूब पसंद आए है। आरती डोगरा को राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर कई पुरस्कार मिले हुए है। बीकानेर में आरती ने कई अनाथ बच्चों की सहायता भी की है।