Aplastic Anemia : दुर्लभ बीमारी ‘एप्लास्टिक एनीमिया’ का इंदौर में सफल इलाज!

बोन मेरो ट्रांसप्लांट संभव नहीं था तो एटीजी थेरेपी से नया जीवन मिला!

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Aplastic Anemia : दुर्लभ बीमारी ‘एप्लास्टिक एनीमिया’ का इंदौर में सफल इलाज!

Indore : शहर के शासकीय अस्पतालों में अब निजी अस्पतालों से बेहतर सुविधाएं मिलने लगी। यहां वे इलाज भी संभव होने लगे हैं, जो पहले सिर्फ दिल्ली, मुंबई, गुजरात में ही होते थे। एमजीएम के अधीन सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में ‘एप्लास्टिक एनीमिया’ का इलाज किया गया जो अपने आप में अनोखा था।

डॉक्टरों ने ऐसे पीड़ित का इलाज किया, जिसका बोन मेरो ट्रांसप्लांट संभव नहीं था। ऐसे मरीज को डॉक्टरों की टीम ने तीन माह तक अस्पताल में अपनी देखरेख में रखा और एटीजी (एंटी-थाइमोसाइट ग्लोब्युलिन) थेरेपी के माध्यम से उसका इलाज किया। अब वह पूरी तरह स्वस्थ है। क्लिनिकल हेमेटोलॉजिस्ट डॉ अक्षय लाहौटी ने बताया कि गुना निवासी 23 साल के मरीज के मुंह, नाक, कान से करीब आठ माह से खून आ रहा था। साथ ही स्किन पर भी खून के थक्के बन गए थे। वह पहले भोपाल और दिल्ली भी इलाज के लिए जा चुका था, वहां से इंदौर आया।

यहां आने के बाद जब बोन मेरो की जांच के बाद पता चला कि यह एप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित है। मरीज पिछले तीन-चार माह से यहां भर्ती है, हमने एटीजी थेरेपी के माध्यम से उसका इलाज किया। यह थेरेपी शासकीय अस्पताल में कम ही होती है। डॉक्टरों ने दावा किया है कि प्रदेश के शासकीय अस्पताल में पहली बार ही एटीजी थेरेपी के माध्यम से उपचार किया गया है। इस थेरेपी में डीन डॉ संजय दीक्षित, अधीक्षक डॉ सुमित शुक्ला, डॉ राहुल भार्गव, डॉ सुधीर कटारिया आदि का सहयोग रहा।

डॉक्टरों के सामने यह चुनौती
मरीज बीमारी के काफी समय बाद यहां आया था, इसमें सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि थेरेपी के लिए मरीज को समझाना। वहीं परिवार के लोगों को भी समझाना। वहीं पहली बार यह थैरेपी यहां दी जा रही थी। लेकिन अस्पताल के अधिकारियों ने इसमें पूरा सहयोग किया। इसके अलावा थेरेपी के लिए इंजेक्शन बाहर मेडिकल से खरीदते हैं, उसकी कीमत 12-13 हजार रुपये हैं। मरीज की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने के कारण सरकार की योजना से इसे सात हजार रुपए में खरीदा गया।

क्या होता है एटीजी
एंटी-थाइमोसाइट ग्लोब्युलिन को ही एटीजी कहा जाता है। यह ह्यूमन सेल और घोड़े या खरगोश से प्राप्त एंटीबाडी का एक सम्मिश्रण होता है। जिसका उपयोग अंग प्रत्यारोपण के उपचार और अप्लास्टिक एनीमिया के उपचार में किया जाता है। बोन मेरो फेलियर के मरीज को घोड़े का एटीजी दिया जाता है। जिसमें ब्लड कंपोनेंट के साथ सहायक ब्लड वाइटल्स, रक्त मापदंडों की निगरानी की जाती है।