Caste Equation in BJP List : MP में सामान्य वर्ग के 8 में सबसे ज्यादा 5 टिकट ब्राह्मणों को! 

देखिए, 24 लोकसभा उम्मीदवारों की लिस्ट में किस जाति को कितने टिकट मिले!  

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Caste Equation in BJP List : MP में सामान्य वर्ग के 8 में सबसे ज्यादा 5 टिकट ब्राह्मणों को! 

 

Bhopal : भारतीय जनता पार्टी ने शनिवार शाम मध्य प्रदेश के लोकसभा उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची घोषित कर दी। 29 सीटों में से 24 उम्मीदवारों की इस सूची में जातीय संतुलन बनाकर बनाकर रखा गया। खास बात ये है कि 8 सामान्य सीटों में से सबसे ज्यादा 5 टिकट ब्राह्मणों को दिए गए। जबकि, एक टिकट क्षत्रिय समाज के शिवमंगल सिंह तोमर को मुरैना से वैश्य समाज के सुधीर गुप्ता को मंदसौर-नीमच से टिकट दिया गया और गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया को टिकट दिया है।

ब्राह्मण समाज के जिन 5 नेताओं को उम्मीदवार बनाया गया वे हैं वीडी शर्मा (खजुराहो), जनार्दन मिश्रा (रीवा) , डॉ राजेश मिश्रा (सीधी), आशीष दुबे (जबलपुर) और आलोक शर्मा (भोपाल) को मैदान में उतारा गया। माना जा रहा है कि भाजपा उम्मीदवारों की सूची में कांग्रेस की जातीय जनगणना की मांग का जवाब दिया है। अब देखना है कि जातीय जनगणना को मुद्दा बनाने वाली कांग्रेस की सूची में किस समाज को कितना प्रतिनिधित्व दिया जाता है।

पहली लिस्ट में एससी और एसटी के आठ उम्मीदवार हैं। इसमें अनुसूचित जाति के 3 और अनुसूचित जनजाति के 5 उम्मीदवार हैं। भाजपा ने ओबीसी के 9 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। ये हैं भारतसिंह कुशवाह (ग्वालियर), लता वानखेड़े (सागर), राहुल लोधी (दमोह), गणेश सिंह (सतना), दर्शन सिंह चौधरी (होशंगाबाद), शिवराज सिंह चौहान (विदिशा), रोडमल नागर (शाजापुर), ज्ञानेश्वर पाटिल (खंडवा) हैं। भाजपा की सूची में 4 महिला उम्मीदवारों को भी टिकट दिया गया। ये हैं लता वानखेड़े (सागर), हिमाद्रि सिंह (शहडोल), अनीता चौहान (झाबुआ-रतलाम) और संध्या रॉय (भिंड) हैं।

65% को जाति का उम्मीदवार पसंद

मध्यप्रदेश में जाति ही उम्मीदवार की जीत तय करती है। एक सर्वे का नतीजा है कि आजादी के 75 साल बाद भी देश में 55% मतदाता अपने क्षेत्र के उम्मीदवार की जाति देखकर ही वोट देने का फैसला करते हैं। मध्य प्रदेश में यह आंकड़ा सबसे ज्यादा 65% है। यही वजह है कि राजनीतिक पार्टियां भी सोशल इंजीनियरिंग के मुताबिक ही अपने उम्मीदवार तय करते हैं।

अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी और लोकनीति संस्था में जातियों और राजनीति के आपसी रिश्तों की पुष्टि के लिए यह सर्वे किया था। 8 राज्यों में हुए सर्वे के आंकड़ों का नतीजा निकालने पर स्पष्ट हुआ कि 55% मतदाता अपनी जाति के उम्मीदवार को ही वोट देना पसंद करते हैं। मध्यप्रदेश में यह सोच रखने वाले 65% हैं। लेकिन, इनमें शिक्षित युवाओं की संख्या 15 से 16% ही है जो चुनाव में जाति और धर्म को महत्व देते हैं। 55% क्रिश्चियन मतदाताओं का सोच है कि नेता उनके ही धर्म का हो। जातीय समीकरणों का यह गठजोड़ चुनाव के क्या गुल खिलाता है, यह देखना होगा।

23% आबादी एसटी वर्ग की

मध्यप्रदेश में अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग की आबादी 23% है। मालवा-निमाड़ और महाकौशल इलाके में 37 सीटों पर इनकी मौजूदगी निर्णायक साबित होती है। विंध्य में 14% ब्राह्मण मतदाता हैं, जो पूरे देश में ब्राह्मणों की बहुतायत वाले इलाकों में एक हैं। सबसे ज्यादा 29% सवर्ण मतदाता इसी इलाके में हैं।

करीब 50 लाख मुस्लिम मतदाता

प्रदेश के 4.94 करोड़ वोटर्स में 10.12% (50 लाख) मुस्लिम वोटर हैं, जो पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा-निमाड़ और भोपाल संभाग में 40 सीटों पर प्रभाव रखते हैं। शाजापुर, मंडला, नीमच, महिदपुर, मंदसौर, इंदौर-5, नसरुल्लागंज, इछावर, आष्टा, उज्जैन दक्षिण इन सभी सीटों पर 16-16% मुस्लिम मतदाता हैं। 2013 में भाजपा ने 20 साल बाद किसी मुस्लिम (आरिफ बेग) को टिकट दिया था। वह भी आरिफ अकील से हार गए थे। भाजपा ने इससे पहले 1993 में मुस्लिम को टिकट दिया, पर उसकी जमानत भी नहीं बची थी।