होली कब, कैसे मनाना होगा सार्थक, सबके जीवन में सुखों के रंगों का इन्द्रधनुष बनेगा कैसे

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होली कब, कैसे मनाना होगा सार्थक, सबके जीवन में सुखों के रंगों का इन्द्रधनुष बनेगा कैसे

होली के प्रभावों का धार्मिक वैज्ञानिक, आध्यात्मिक व राशिगत प्रभाव

चिंतक, विचारक, लेखक चंद्रकांत अग्रवाल की ज्योतिषाचार्य पंडित अशोक शर्मा से इस बार की होली पर हुई एक एक्सक्लूसिव चर्चा

इस बार होली दहन 24 मार्च को तो रंगों वाली होली 25 मार्च को होगी। भारतीय संस्कृति में होली के पर्व का बहुत महत्व है। कृष्ण भक्तों की होली तो एक माह तक चलती है। अतः मीडियावाला के पाठकों के लिए मैंने इटारसी या नर्मदापुरम जिले के ही नहीं वरन प्रदेश के प्रमुख ज्योतिषाचार्य और धर्म शास्त्रों के प्रकांड विद्वान पंडित अशोक शर्मा से एक धार्मिक,आध्यात्मिक व वैज्ञानिक सत्संग वार्ता कर अपने पाठकों की रुचि की होली सम्बन्धी शास्त्रोक्त चर्चा आज की। जिसका फलित इस सत्संग वार्ता के आलेख रूप में आपके समक्ष है। पंडित अशोक शर्मा से सर्वप्रथम मैने होलिका रात्रि पर ही विस्तार से जानना चाहा क्योंकि हमारे देश में दीवाली की तरह ही होली दहन की रात्रि का बहुत महत्व घर घर में अलग अलग रूप में माना जाता है। तब पंडित अशोक शर्मा ने बताया कि दुर्गा सप्तशती के अंतर्गत रात्रि सूक्त का वर्णन है। इसमें एक श्लोक में रात्रियों के विषय में वर्णन है जिनमें आठ रात्रियों का वर्णन किया गया है। यथा, प्रकृतिस्त्व च सर्वस्य गुण त्रय विभावनी। कालरात्रि, मद्यरात्रि,मोह रात्रिश्च दारूणा।।

चार और ऐसी ही रात्रियों में होलिका रात्रि को दारुण रात्रि कहा गया है। अध्यात्म तथा तंत्र मार्ग में दारुण रात्रि अर्थात होली की रात्रि सबसे ज्यादा महत्व की है। इसीलिए यह सात्विक साधकों व तांत्रिकों दोनों के लिए बहुत महत्व का त्योहार है। इस रात्रि में जीवन की समस्याओं से मुक्ति पाने के अनेको अनेक लोक विधियां उपलब्ध है। इन रात्रियों में साधक को अन्य समय की अपेक्षा सभी साधनाएं शीघ्र फल प्रदान करती हैं। आध्यात्मिक के साथ-साथ इसका वैज्ञानिक महत्व भी बहुत अधिक है। प्रकृति में इस समय बड़ा परिवर्तन होता है। शरद ऋतु की समाप्ति और बसंत ऋतु का आगमन होता है। इस सर्दी और गर्मी का मिला-जुला प्रभाव होने से बेक्टीरिया एवं संक्रमण का भय‌ बना रहता है। ऐसे में होलिका दहन में 150 डिग्री तापमान की जलती होलिका की परिक्रमा करने से ये बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं और पर्यावरण भी शुद्ध हो जाता है। इसी होली में स्वास्थ्य का भी महत्व छुपा है. ये जो प्राकृतिक रंग हैं इनका आपके शरीर के सात चक्रों एवं ग्रहों से विशेष संबंध है। अतः अपनी प्रकृति एवं जन्म कुंडली के ग्रहों के सामंजस्य वाले प्राकृतिक रंगों के प्रयोग से स्वास्थ्य के लिए त्रिदोषनाशक (वात, पित्त, कफ) उपाय आसानी से किए जा सकते हैं।

इस होली का सांस्कृतिक, भौतिक और भारतीय वातावरण की दृष्टि से वैज्ञानिक महत्व है।

होली क्या है यथा-

नाना वर्ण विराजतेहि गगन सोल्लास सर्वे जना। प्रतिबिश्या भिनिक बाल सुद्धा खेलन्ति रंगे मृदा।। आशासे उत्सवमिन्द प्रहरयेदनी खिलनाही कष्टान्तव। होल्योत्सव मेतत हिस्यात् सुंसुफल भुयाशू भाषदा।अर्थात जिस उत्सव में आकाश में विराजित विभिन्न वर्ण होते हैं वे सभी हमारे जीवन में आनंद और उल्लास भर दें। इसी वर्ष होली पर चन्द्रग्रहण भी पड़ रहा है। जब मैंने इस सम्बन्ध में उनसे जानकारी चाही तो वे बोले कि भारतीय समय अनुसार सुबह 10 बजकर 23 मिनिट से दोपहर 3 बजकर 2 मिनिट तक रहेगा। यह भारत में दिखाई नहीं देगा अतः इसका सूतक भारत में नहीं माना जाएगा। लेकिन कर्क, वृश्चिक और मीन राशि के जातकों के लिए यह चंद्रग्रहण धन धन्यादी स्वास्थ्य सम्बन्धी और अन्य परेशानियां दे सकता है।

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साथ ही भारत के उत्तर पूर्व क्षेत्र में भूकंप आदि की संभावना रहेगी तथा 15 अप्रैल तक देश और दुनिया में अन्य प्रकार के उपद्रव भी बढ़ेंगे। होली पर अनेक लोक प्रचलित उपाय भी किए जाते हैं। यदि शत्रु परेशान कर रहे हों तो चंद्रमा को दही से अर्घ्य देवें। होली को रात्रि में नृसिंह स्त्रोत का पाठ कर शत्रु के नाम से नारियल होली में छोड़ने से वह आपके प्रति हितप्रद हो जाता है। यदि पति पत्नी में अनबन चल रही हो तो ॐ नमो नारायण मंत्र का जाप करें। अथवा कृष्पाय गोविदाय हरये परमात्मने मंत्र का जाप करे। विष्ण लक्ष्मी का भी पूजन करें। धन सम्बन्धी बाधा हो तो माता लक्ष्मी के इस मन्त्र पद्‌मानने पद्म पद्‌मलक्ष्मी पद्म संभवे तन्मे भजसी पझाक्षि देन सौख्य ‌लभाभयहम मां, इस मंत्र का जाप करे अथवा कनकधारा स्त्रोत के साथ श्री सूक्त का पाठ करे। शत्रु बाधा निवारण व स्वास्थ्य लाभ के लिए 11 फेरे,धन हानि से बचने के लिए 21 फेरे,राज्य कार्य में सफ़लता के लिए भी 11 फेरे, दुर्घटना व अन्य प्रकार के अनिष्ट से बचने के लिए 7 उल्टे फेरे तथा सामान्य रूप से ५ फेरे होलिका के लगाए। पूजन के उपरांत। जब मैंने होलिका पर्व के मुहूर्त व राशिगत आधार पर उनसे इस बार की होली मनाने पर सवाल किया तो उन्होंने जो बताया वह निम्नानुसार है। होलिका निर्णय

होलाष्टक प्रारंभ – रविवार, दिनांक 16 मार्च 2024
ढाल, तलवार, बड़कुले, आदि थापना। बुधवार, दिनांक 20 मार्च दोपहर 1.29 से पहले।

होली का डांड रोपणा व झंडे का पूजन (ठंडी होली की पूजा) बड़‌कुलों की माला बनाना , रविवार दि. 24 मार्च को प्रातः 9.57 (विष्टः पूर्वम.)
होलिका दहन – रविवार दि. 24 मार्च (भद्रोत्तरम) रात्रि 11.14 के बाद

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बारह राशियों का होली का फल

मेष राशि होलिका दहन में खैर की लकड़ी के साथ कुछ‌ मात्रा में गुड़ ॐ हं पवनन‌न्दनाय स्वाहा मंत्र का जाप करते हुए अर्पित करें। अतः लाल, मेहरून, यीला, सफेद रंगों से होली खेलें।

वृष राशि होलिका दहन में गूलर की लकड़ी के साथ चीनी को अर्पण करते हुए इस मंत्र ॐ तत्पुरुषाय विधमहे महादेवाय धीमहि, तन्नौ रुद्रः प्रचोदयात का जप करते रहें। आप चमकीला, सफेद, क्रीम, हरा, गुलाबी बैंगनी रंगों का प्रयोग करके होली का आनंद ले सकते हैं।

मिथुन राशि बांस या बरगद की लकड़ी के साथ कपूर, “ॐ ब्रां ब्रीम ब्रोम स: बुधाय नमः” मंत्र का जप करते हुए होलिका में अर्पित कर दें। आप हरा, नीला, क्रीम रंगों का प्रयोग करके होली का आनंद ले सकते हैं। कर्क राशि होलिका दहन में पलाश की लकड़ी के साथ लोबान को ॐ श्रीं श्रीं चंद्रमसे नमः मंत्र का जप करते हुए चढ़ा दें। आप गुलाबी, सिंदूरी, हल्का पीला, क्रीम तथा सफेद रंगों का प्रयोग कर सकते हैं।

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सिंह राशि होलिका दहन में मदार या बरगद् की लकड़ी के साथ गुड़ को ॐ भास्कराय विद्‌महे महातेजाय धीमहि, तन्नौ सूर्यः प्रचोदयात मंत्र बोलते हुए अर्पण करें। आप सिंदूरी, लाल, नारंगी तथा पीले रंगों का प्रयोग कर सकते हैं।

कन्या राशि कन्या राशि के जातक अमकद की लकड़ी के साथ कपूर को ॐ ऐं हं क्लीं चामुण्डाय विच्चे नमः मंत्र का जप करते हुए होली की पवित्र अग्नि में अर्पित करें। आप हरे एवं नीले रंगों का प्रयोग करें।

तुला राशि तुला राशि वाले होलिका दहन में गूलर की लकड़ी के साथ तिल ” ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करते हुए होलिका की अग्नि में चढ़ा दें। आपके लिए सफेद, हरा और नीले रंग से होली खेलना शुभ होगा।

वृश्चिक राशि आप होलिका दहन में नीम की लकड़ी के साथ गुड़ को ॐ ह पवननन्द‌नाय स्वाहा मंत्र के जाप करते हुए अर्पण करें। आपके लिए लाल महरून रंग ठीक होगा।

धनु राशि होलिका दहन में कदंब की लकड़ी के साथ चने को ॐ गुरु देवाय विदमहे परब्रम्हाय धीमहि, तन्नो गुरु प्रचोदयात” मंत्र का जप करते हुए अर्पित करें। आप पीले, हरा गुलाबी रंग से होली खेलें ।

मकर राशि होलिका दहन में शमी की लकड़ी के साथ काले तिल ॐ प्रां प्रीम प्रोम सः शनैश्वराय नमः” मंत्र का जप करते हुए अर्पित करें। आप हरा, नीला व क्रिम रंगों का प्रयोग कर सकते हैं।

कुंभ राशि होलिका दहन में शमी की लकड़ी के साथ- दहन में काले तिल ॐ शं शनैश्चराय नमः मंत्र का जप करते हुए अर्पित कर दें। आप हरा, नीला, क्रीम तथा गहरे रंगों का प्रयोग करें।

मीन राशि नीम की लकड़ी के साथ जौ, होलिका दहन के वक्त ॐ ग्रां ग्रीम ग्रोम सः गुरुवे नमः मंत्र का जप करते हुए चढ़ाएं। आपके लिए पीला, लाल,गुलाबी रंग ठीक रहेंगे।