Special Report
शनिवार को Gujarat का राजनीतिक घटनाक्रम जिस तरह बदला, उसने सभी को चौंका दिया। CM विजय रुपाणी को जिस नाटकीय तरीके से भाजपा नेतृत्व ने हटाया उससे कई तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं। ये सवाल भी सामने खड़ा है कि विजय रुपाणी के बाद कौन! अभी तीन-चार नाम उभरकर सामने आ रहे हैं। इनमें से किसे Gujarat की कुर्सी सौंपी जाएगी, इस बात का दावा करना मुश्किल है। एक कयास यह भी लगाया जा रहा है कि कहीं केंद्रीय गृहमंत्री खुद तो Gujarat संभालने नहीं आ रहे! क्योंकि, अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में ख़ुफ़िया रिपोर्ट में भाजपा के पिछड़ने की आशंका जताई गई है। किसी को अभी इस बात की भनक तक नहीं है कि विजय रुपाणी को हटाए जाने के पीछे की मूल वजह क्या है! लेकिन, ये तय है कि वहां अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए वे अनफिट लग रहे थे।
विजय रुपाणी ने बाद Gujarat के CM का पद किसे सौंपा जाएगा, इसका फैसला होना बाकी है, जिसके लिए आज दोपहर में विधायक दल की बैठक बुलाई जा रही है। ये बैठक औपचारिक होगी, ये तय है। क्योंकि, नाम पहले से तय है, सिर्फ उस पर मुहर लगना बाकी है। Gujarat भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पर्यवेक्षकों के साथ विधायक दल की बैठक में शामिल होने के आसार हैं। पार्टी मुख्यालय ‘कमलम’ में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव समेत कई वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक के बाद यह जानकारी दी गई। व्यास ने बताया कि भाजपा विधायक दल की बैठक रविवार को होने की संभावना है। लेकिन, समय के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। सभी विधायकों को तत्काल गांधीनगर पहुंचने की सूचना दे दी गई है।
सलाह मशविरा जारी
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, पार्टी की प्रदेश इकाई प्रमुख सीआर पाटिल, उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल, मंत्री भूपेंद्र सिंह चूड़ासमा व प्रदीप सिंह जाडेजा, प्रदेश भाजपा महासचिव प्रदीप सिंह वाघेला और राजू भाई पटेल तथा विधानसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक पंकज देसाई सहित गुजरात भाजपा के वरिष्ठ नेताओं घटनाक्रम के बाद से ही आपस में संपर्क में हैं।
कौन हैं दावेदार
विजय रूपाणी के इस्तीफे के बाद Gujarat के नए मुख्यमंत्री को लेकर कयासों का दौर शुरू हो गया। इनमें उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल, राज्य के कृषि मंत्री आरसी फलदू और केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला और मनसुख मांडविया को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। रूपाणी के इस्तीफे के बाद नितिन पटेल को अगला मुख्यमंत्री बनाने की मांग सोशल मीडिया पर जोरों से शुरू हो गई। पटेल की तरह ही प्रभावशाली पाटीदार समुदाय से आने वाले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मांडविया को भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में आगे माना जा रहा है। इस समुदाय के नेताओं ने हाल ही में यह मांग की थी कि अगला मुख्यमंत्री पाटीदार समुदाय से होना चाहिए।
किस किस के नाम
नितिन पटेल फिलहाल Gujarat के उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत हैं। उन्हें 2001 में वित्त मंत्री बनाया गया था। पटेल छह बार के विधायक हैं और तीन दशक का उनका राजनीतिक करियर है। 1990 में पहली बार गुजरात विधानसभा से विधायक बने थे। नितिन पटेल उत्तरी गुजरात के रहने वाले हैं। आनंदीबेन पटेल ने जब अगस्त 2016 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था, तब यह कहा जा रहा था कि पटेल उनके उत्तराधिकारी होंगे, लेकिन आखिरी क्षणों में विजय रूपाणी को इस शीर्ष पद के लिए चुन लिया गया।
सीआर पाटिल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वसनीय माने जाते हैं। अपने संसदीय क्षेत्र में विकास के कार्यों को बढ़ाने के लिए तकनीक का इस्तेमाल करने में माहिर है। गुजरात भाजपा 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले 281 सदस्यों वाली जंबो कार्यकारिणी का गठन किया है। इसकी जिम्मेदारी सीआर पाटिल के कंधों पर ही है।
गोरधन झड़फिया गुजरात भाजपा के कद्दावर नेताओं में शामिल हैं। एक बार नरेंद्र मोदी से नाराज होकर पार्टी छोड़ दी थी हालांकि बाद में वह पार्टी में लौटे। उन्हें उत्तर प्रदेश चुनाव में बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी। तब उन्होंने बेहतर प्रदर्शन किया था। 2002 दंगों के समय झड़फिया तत्कालीन राज्य सरकार में गृह राज्य मंत्री थे।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया भी इस दौड़ में हैं। इसकी बड़ी वजह है कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा अमित शाह के नजदीक हैं। कोरोना महामारी के दौरान मांडविया ने गुजरात भाजपा सरकार की छवि सुधारने के लिए काफी काम किया। पाटीदार समाज के अलावा कड़वा और लेउआ पटेल समुदाय में भी उनकी अच्छी पैठ है। मृदुभाषी होने के साथ-साथ मांडविया की छवि एक ईमानदार नेता की है।
पुरुषोत्तम रुपाला पाटीदार समुदाय के दमदार नेता हैं। वे केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन, डेयरी मंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। 1980 के दशक में उन्होंने भाजपा के साथ अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था। 1991 में वो अमरेली विधानसभा से चुनाव जीता। वो तीन बार इस सीट से विधायक रहे।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि गुजरात के नए मुख्यमंत्री को लेकर अभी दृश्य स्पष्ट नहीं है। नरेंद्र मोदी और अमित शाह के मन में क्या है यह कोई जान नहीं पा रहा है। ऐसे में कोई और नया नाम आ जाए तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए?