MPPSC Exam Case : एमपीपीएससी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने MP हाई कोर्ट के फैसले पर मुहर लगाई!
सुप्रीम कोर्ट ने कहा ‘आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को अंतिम स्टेज में शामिल किया जाना असंवैधानिक!’
New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फैसला दिया कि आरक्षित श्रेणी का उम्मीदवार यदि सामान्य श्रेणी में योग्यता पर चयनित होता है, तो उसे अपनी आरक्षित श्रेणी के कोटे में नहीं गिना जाएगा। न्यायमूर्ति सीटी रवि कुमार और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा पारित निर्णय के खिलाफ दायर अपील की सुनवाई के बाद यह फैसला दिया।
इस मामले में, मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) ने 2019 में 571 राज्य सेवा पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। जनवरी 2020 में प्रारंभिक परीक्षा आयोजित की गई। फरवरी 2020 में नियम 4 में संशोधन किया गया, जिससे उम्मीदवारों का विभाजन प्रभावित हुआ, जिसे अदालत में चुनौती दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा-4 (4) को परिभाषित करते हुए कहा कि आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को अंतिम स्टेज में शामिल किया जाना असंवैधानिक है। इस नियम में प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा में अनारक्षित पदों को सभी वर्गों के मेरिटोरियस अभ्यर्थियों से भरे जाने का प्रावधान है। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के उस आदेश पर मुहर लगा दी, जिसके अंतर्गत यह निर्धारित किया गया था कि लोक सेवा आयोग की चयन प्रक्रिया के प्रत्येक चरण में आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को अनारक्षित वर्ग में शामिल करें।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने उक्त आदेश के जरिये मप्र हाई कोर्ट की दो युगलपीठों के परस्पर विरोधाभासी आदेशों के कारण उपजे विवाद का पटाक्षेप कर दिया। प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा में आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को शामिल न किए जाने से संबंधित युगलपीठ क्रमांक-दो के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने कोई छूट प्राप्त नहीं की है, तो भर्ती के प्रत्येक चरण में अनारक्षित वर्ग में उन्हें शामिल किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा-4 (4) को परिभाषित करते हुए कहा कि आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को अंतिम स्टेज में शामिल किया जाना असंवैधानिक है। सुप्रीम कोर्ट ने पीएससी परीक्षा-2019 व राज्य सेवा परीक्षा भर्ती नियम 2015 में शासन द्वारा 20 दिसंबर, 2021 को नियम-4 में किए गए संशोधन को संवैधानिक बताया। इस नियम में प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा में अनारक्षित पदों को सभी वर्गों के मेरिटोरियस अभ्यर्थियों से भरे जाने का प्रावधान है।
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा-4 (4) को परिभाषित करते हुए कहा कि आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को अंतिम स्टेज में शामिल किया जाना असंवैधानिक है। सुप्रीम कोर्ट ने पीएससी परीक्षा-2019 व राज्य सेवा परीक्षा भर्ती नियम 2015 में शासन द्वारा 20 दिसंबर, 2021 को नियम-4 में किए गए संशोधन को संवैधानिक बताया। इस नियम में प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा में अनारक्षित पदों को सभी वर्गों के मेरिटोरियस अभ्यर्थियों से भरे जाने का प्रावधान है।
उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति सुजय पॉल व न्यायमूर्ति द्वारिकाधीश बंसल की युगलपीठ ने सरकार द्वारा 17 फरवरी, 2020 को राज्य सेवा परीक्षा नियम-2015 में किए गए संशोधन को असंवैधानिक घोषित कर दिया था व पीएससी परीक्षा 2019 का रिजल्ट पुनः पूर्व नियमों के अनुसार जारी किए जाने का आदेश दिया था।
इस पीठ ने आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4(4) के तहत परीक्षा के प्रत्येक चरण में अनारक्षित पदों को सभी वर्गों के प्रतिभावान अभ्यर्थियों से भरे जाने का आदेश दिया था। वहीं प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की युगलपीठ ने आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को चयन प्रक्रिया के अंतिम चरण में शामिल किए जाने की व्यवस्था दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया। याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक शाह, समृद्धि जैन ने पैरवी की।