Science of Food: अगर आपको भूलने की बीमारी है तो सिर्फ इसे याद रखें…Pumpkin Seeds

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Pumpkin Seeds

Science of Food:अगर आपको भूलने की बीमारी है तो सिर्फ इसे याद रखें….Pumpkin Seeds

                     इसके गुणों का लोहा तो दुनिया मानती है

डॉ. विकास शर्मा
ये सुपर सीड्स हैं जो 400 रुपये किलो से हजार रुपये किलो तक बिक जाते हैं। लेकिन फिर भी कोई इसे यूँ ही फेंक देता है तो कोई सुखाकर रख लेता है। दोनो ही मामले में इनकी कोई कीमत नही है। फर्क सिर्फ इतना है कि पहले केश में ये कचरे में जाते हैं और दूसरे केश में पेट के भीतर । मैं यहाँ बात कर रहा हूँ, मगज सीड्स की, जी हाँ ये कद्दू के सीड्स मगज के सीड्स कहलाते हैं।
शहरी लोग कद्दू खरीदते समय इसके बीज फेक देते हैं जबकि ग्रामीण लोग सब्जी वाले से मांग कर इसके बीज समेट लाते हैं। आजकल के जमाने मे बहुत कम लोग ही यह बात जानते हैं कि कद्दू के बीज ही मगज सीड्स हैं। कद्दू की कई किस्में होती हैं जिन्हें अलग अलग स्थानों पर अलग अलग नामों से जाना जाता है जैसे- कद्दू, कुम्हड़ा, कोंहड़ा, पम्पकिन आदि आदि। गाँव देहात के बुजुर्ग और वनवासी लोग जानते हैं कि कद्दू के बीज फेके नही जाते बल्कि ये सहेजकर रखे जाते हैं। ये अपने आपमे एक स्वादिष्ट नाश्ता होते हैं। नाश्ता तैयार करने के लिए तवे पर बहुत थोड़ा गाय का घी या तेल डालकर कद्दू के बीजों को इसमें रोस्ट कर लें। तवा थोड़ा ठंडा होने पर काला नमक व हल्दी मिला दें। बीज ठंडे हो जायें तो कुरकुरे बीजों का मजा लें।
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कद्दू के बीज आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं क्योंकि ये प्रोटीन, फाइबर और स्वस्थ वसा जैसे आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। वे हृदय स्वास्थ्य का समर्थन कर सकते हैं, पाचन में सहायता कर सकते हैं और मैग्नीशियम और जस्ता जैसे आवश्यक खनिज प्रदान कर सकते हैं।
हमारे गाँव देहात के हिसाब से इन्हें आप फ्राइड ड्राई फ्रूट की कैटेगिरी में रख सकते हैं। कद्दू के अलावा तरबूज, खरबूज और खीरा-ककड़ी के बीज भी मगज की ही श्रेणी के ड्राई फ्रूट्स में आते हैं। व्यापारिक स्तर पर इन बीजों के छिलके को हटाकर कोमल गिरी निकाली जाती है जिसे ही मगज सीड्स के नाम से जाना जाता है। ये लड्डुओं, खीर, हलुआ आदि से लेकर कई अन्य मिष्ठानो में ड्राई फ्रूट्स की तरह प्रयोग किये जाते हैं।
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कद्दू हमारे देश में भरपूर देखने मिलता है। लगभग हर क्षेत्र में इसकी खेती की जाती है। कद्दू, कुम्हड़ा, कोडू, कोंहड़ा आदि नामों को लेकर स्थानीय लोग बिक़ट बहस करते हैं, क्योंकि इनके रंग, आकार, बीज और स्वाद में भी पर्याप्त भिन्नता है। वैज्ञानिक स्तर पर भी इन्हें यानि Cucurbita genus को कई स्पीसीज में बांटा गया है। मगज सीड्स के लिए सभी का प्रयोग किया जाता है, गुणवत्ता के आधार पर शहरी बाजार में इनकी कीमत में भिन्नता हो सकती है लेकिन गाँव देहात में तो ये मुफ्त का माल है, तो फिर जो मिले उसे सूत लो वाला हिसाब है यहाँ।
आखिर ये साधारण सी सब्जी वाला कद्दू जिसे शायद बच्चो के बीच सब्जियों में सबसे ज्यादा नापसंद किये जाने का खिताब प्राप्त है, क्यों है इतना खास! आइये जानते हैं… इसके बीजो को चबाकर आप अपनी सेहत एकदम टनाटन 👌रख सकते हैं। क्योंकि इसके बीजों में विटामिन् बी – 1, 2, 3, 5, 6 व 9, विटामिन- सी, विटामिन-ई व विटामिन- के पाये जाते हैं। इसके साथ साथ कई तरह के प्रोटीन्स, ओमेगा 3 और ओमेगा 6 जैसे कई खास बायोएक्टिव केमिकल्स भी पेलकर पाए जाते हैं। सोडियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, मैंगनीज, कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस और जिंक जैसे माइक्रो और मैक्रो न्यूट्रिएंट्स भी इनमें खूब पाये जाते हैं।
इन्ही सब गुणों के कारण ये बीज हृदय रोगियों के मामले में कमाल का असर दिखाते हैं। इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट कंपाउंड्स आपकी याददाश्त को दुरुस्त रखने के साथ आपको सुपर एक्टिव बनाते हैं। इनके बीजों में मैग्नीशियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जिसके कारण यर बीज हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों के लिए बड़े फायदेमंद होते हैं। बीज के छिलकों में पाया जाने वाला फाइबर भोजन के पाचन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। दिन में कम से कम 10- 20 ग्राम हल्दी नमक व घी में भुने हुए बीजों को जरूर चबाना चाहिए। मेरी बेटी सिया को भी इन्हें चबाना बहुत पसंद है। ये वाकई बहुत काम के हैं, ये बात मैं नही कह रहा हूँ बल्कि कई क्लिनिकल स्टडीज में भी यह स्पष्ट हो चुका है कि डिमेंशिया और शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म मेमोरी लॉस वाली कंडीशन्स में ये बीज ग़ज़ब काम करते हैं। इसके अलावा ये बालों और त्वचा की चमक बनाए रखने में भी कमाल का काम करते हैं। जो लोग डायबेटिक्स हैं उनके लिए तो यह फायदेमंद हैं ही।कद्दू के बीज प्रोटीन , असंतृप्त फैटी एसिड , विटामिन और खनिजों का एक समृद्ध स्रोत हैं जो कैंसर जैसी पुरानी बीमारियों के होने के जोखिम को कम कर सकते हैं ।
हमारे मध्यप्रदेश के छिंदवाडा जिले के पातालकोट क्षेत्र में भी भूरे और सफेद कुम्हड़े के बीज खासे प्रचलित हैं। बीमारी से आई कमजोरी को दूर भगाने के लिए ये शर्तिया नुस्खा है। गुरूदेव डॉ. Deepak Achary जी कहते थे कि मोबाइल और लैपटॉप पर काम करते करते आंखें औंधीया जाए तो ब्रेक मारकर इन बीजों को चबा लीजिएगा, आंखों के लिए बड़े ख़ास हैं ये।
कद्दू एक ऐसा सब्जी फल है जिसे मिष्टान्न, सब्जी, बड़ी, मगज और पेठा आदि कई रूपों में सेवन किया जाता है। अंग्रेजी में इसे pumpkin तो वहीं वैज्ञानिक भाषा मे Cucurbita maxima या C. pepo कहा जाता है। इसके अलावा Cucurbita genus की कई अन्य जातियां हैं। जहाँ एक ओर बच्चे इसे न पसंद करते हैं वही बड़ी उम्र के लोग इसके स्वाद के दीवाने होते हैं। कद्दू की सब्जी हल्का मीठापन लिए होती है शायद यही कारण इसकी नापसंद का हो। लेकिन अधिक खटाई और मिर्च मशाले के साथ बनाने पर यह मीठापन गायब हो जाता है। इसकी सब्जी के दीवाने लोगो को कद्दू- चावल खाने में असीम आंनद आनंद की अनुभूति होती है।
कद्दू कटेगा तो सबमे बटेगा- यह कहावत शायद कद्दू के बड़े आकार की वजह से प्रचलन में आ गयी हो, क्योंकि इसके आकार के बारे में कहूँ तो यह 15 – 20 किलो तक का हो सकता है। छिंदवाड़ा जिले के मोहखेड़ क्षेत्र में कद्दू की फसल और इसके आकार के कई नमूने मैं देख चुका हूं, क्योंकि मेरा बचपन वहाँ बीता है।
गांव देहात में कद्दू के बीज बारिस के पूर्व गोबर खाद के गड्ढे के आसपास या फिर खेत के झोपड़ों के आसपास लगा दिए जाते हैं। बारिस खत्म होते होते बिना मेहनत के कई कद्दू तैयार हो जाते है, जिनसे साल भर के पकवान का जुगाड़ बन जाता है। त्योहारों के मौसम में तो कद्दू की खीर बहुत खास व्यंजन है। इसके अलावा अधिक मेहमान होने पर सब्जी का भी यह सस्ता और स्वादिष्ट विकल्प है। कई बार तो एक बड़े आकार के कद्दू को काटकर पास पड़ोस या रिस्तेदारो में बांट दिया जाता है, फिर भी दो- तीन उपयोग ले लिये बच जाता है। कद्दू के कुछ प्रकारों को बड़ी बनाने के लिये रख दिया जाता है। जबकि कुछ की खेती पेठा बनाने के लिये की जाती है। जिन किस्मो में बीजों का आकार छोटा होता है उनके बीज मगज प्राप्ति के लिये कम उपयोगी माने जाते हैं।
आपको कद्दू की कौन सी डिश पसंद है और क्यो, बताइये तो जरा…
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वनस्पति शास्त्र विभाग
शासकीय महाविद्यालय चौरई
जिला छिन्दवाड़ा (म.प्र.)