Memoirs of An IFS Officer: फिल्मी दुनिया की चकाचौंध,जानिए हकीकत? बड़े डायरेक्टर ने उधार के पैसे आज तक नहीं लौटाएं!

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Memoirs of An IFS Officer: फिल्मी दुनिया की चकाचौंध,जानिए हकीकत? बड़े डायरेक्टर ने उधार के पैसे आज तक नहीं लौटाएं!

 

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अशोक बरोनिया

 

तब मैं माधव राष्ट्रीय उद्यान शिवपुरी में संचालक के अस्थायी प्रभार में था। उस दौरान एक फिल्म “डाकू हसीना” की शूटिंग शिवपुरी में हुई। फिल्म डायरेक्टर अशोक राय भोपाल से पार्क के अंदर शूटिंग की अनुमति लेकर पूरी टीम, जिसमें राकेश रोशन, जीनत अमान, जोगिंदर सिंह जैसे बड़े कलाकार थे,शिवपुरी आ गए। इन्हें रुकने के लिए पार्क में सेलिंग क्लब स्थित रेस्ट हाउस के दोनों वीआईपी रूम के अलावा अन्य कमरे भी चाहिए थे।

मुझसे अशोक राय ने कमरे खुलवा देने का कहा। इस पर मैंने साफ-साफ शब्दों में उनसे कहा कि जितने दिन आप लोगों को रुकना है, उतने दिन का कमरों का किराया पहले जमा कर दीजिए। उसके बाद ही कमरे खुलवाना संभव होगा। इस पर पहले तो युनिट ने बहस की कि हम शूटिंग की अनुमति लेकर आए हैं और किराया रूम खाली करते समय कर देंगे। लेकिन मैंने उनकी बात सुनी अनसुनी कर दी। हमारे रेंजर साहब भी जीनत अमान से ज्यादा प्रभावित दिख रहे थे। रेंजर ने मुझसे कहा “सर कमरे खोल देते हैं। किराया तो मिल ही जाएगा।” इसपर मैं रेंजर पर भी नाराज हुआ और उससे कहा कि ऐसा है तो आप ही पैसा जमा कर रसीद मुझे दिखा दीजिए उसके बाद ही इन लोगों के लिए कमरे खुल पाएंगे। इस सब बहस में करीब आधा घंटा निकल गया। जब फिल्म यूनिट को लगा कि बिना किराया जमा किए कमरे नहीं खुलेंगे तो अंततः पैसे जमा कर दिए गए। अगले दिन से शूटिंग शुरू होनी ही थी।

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शूटिंग सेलिंग क्लब के आसपास ही होनी थी। किसी गाने को फिल्माया जाना था। शहर में खबर फैल ही चुकी थी कि पार्क के अंदर शूटिंग हो रही है और राकेश रौशन, जीनत अमान जैसे दिग्गज कलाकार शूटिंग कर रहे हैं। पार्क में सबेरे से ही शहरवासियों की भीड़ जुट गई। पुलिस व्यवस्था के बाद भी बमुश्किल भीड़ को नियंत्रित किया जा सका। दिनभर शूटिंग हुई। शाम को मेरे स्टाफ ने मुझे बताया कि सर भारी-भरकम भीड़ के कारण दो चीतल खत्म हो गए हैं। खबर मेरे लिए शॉकिंग थी। मैंने तत्काल अशोक राय से कहा कि कल से आप पार्क में शूटिंग नहीं कर सकेंगे। अन्य कोई स्थल देख लें। साथ ही मैंने भोपाल बात कर वस्तुस्थिति बताई तथा कहा कि “सर मैं इस स्थिति में शूटिंग करने नहीं दे सकता।” भोपाल के वरिष्ठ अधिकारियों ने मेरी बात सुनी समझी और फिल्म शूटिंग की अनुमति तत्काल निरस्त कर दी। अशोक राय ने भोपाल बात की लेकिन उनकी दलील नहीं सुनी गई और मेरे लिए गए निर्णय को मान्यता दी गई।

खैर आगे की शूटिंग क्षत्री में की गई। कुछ बड़े कलाकार राकेश रौशन और जोगिंदर सिंह पार्क में रुके रहे। शेष कलाकार जीनत अमान आदि मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम के भोपाल रोड स्थित होटल में रुके।

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यह सब होने के बाद भी अशोक राय और राकेश रौशन मेरा बकायदा सम्मान करते रहे। एक दिन शूटिंग नरवर के किले पर होनी थी तो मुझे भी शूटिंग देखने राकेश रौशन ने व्यक्तिगत रूप से सपरिवार निमंत्रित किया।

 

अगले दिन शूटिंग देखने गया तो किले पर चढ़ते समय देखा कि जिला न्यायाधीश भी शूटिंग देखने पैदल पहाड़ चढ़ रहे हैं। इनके अलावा हजारों लोगों की भीड़ भी शूटिंग देखने जा रही थी। खैर शूटिंग का क्रैज ही ऐसा होता है। खासकर जब फिल्म में बड़े कलाकार हों। जज साहब को मैंने अभिवादन किया और अपने साथ चलने को कहा। किले के ऊपर पहुंच कर मैंने अपने आने की खबर अशोक राय को भिजवाई तो उनका एक आदमी आकर मुझे और जज साहब को साथ ले गया। जज साहब का मैंने परिचय कराया तो सभी बड़े कलाकार आत्मीयता से जज साहब से मिले।

 

खैर शूटिंग खत्म होने के बाद पूरी टीम मुंबई चली गई। एक दो दिन बाद ही पर्यटन विभाग के होटल का मैनेजर मेरे पास आया। उसने बताया कि अशोक राय ने कमरों का किराया अभी नहीं दिया है। कहकर गए हैं कि मुंबई पहुंचकर भिजवा देंगे। मैनेजर इस भ्रम में था कि वन विभाग को भी किराए का पैसा लेना होगा। जब मैंने बताया कि मैं तो उनसे सारा किराया अग्रिम में ले चुका हूँ तो मैनेजर थोड़ा चिंतित हुआ। उसे करीब 40 हजार रुपये किराए तथा भोजन पानी के लेने थे। दिन बीत गए। 15-20 दिन बाद मैनेजर का फोन आया कि सर अभी तक फिल्म वालों ने पैसे नहीं भेजे। क्या करूँ? मैंने उसे मुंबई जाकर पैसे लेकर आने की सलाह दी। मैनेजर मुंबई गया। लौटने के बाद उसने बताया कि बमुश्किल 25 हजार मिले हैं। वह भी राकेश रौशन के कारण। राकेश रौशन का हस्तक्षेप नहीं होता तो ये 25 हजार भी नहीं मिल पाते।

 

खैर बाकी पैसे मैनेजर को अपनी जेब से जमा करने पड़े। तो ऐसे होते हैं चकाचौंध भरी फिल्म नगरी के लोग।

 

संभवतः 1985 की बात है। तब मैं शिवपुरी ही पदस्थ था। एक दिन खबर आई कि एक फिल्म की शूटिंग अनधिकृत रूप से टूंडा जल प्रपात पर हो रही है। क्षेत्र पार्क के अंदर था तो तुरंत मैं स्टाफ को लेकर घटना स्थल पर पहुंचा। देखा प्रख्यात फिल्म निर्देशक दयाल निहलानी कलाकारों के साथ फिल्म “गुरु दक्षिणा” की शूटिंग कर रहे थे। मौके पर पल्लवी जोशी तथा अन्य कलाकार भी थे। मैंने तत्काल सभी को हिरासत में ले लिया। पल्लवी जोशी यह सब देख रोने लगी। खैर मैं सभी को लेकर आफिस आया। संचालक महोदय को जानकारी दी। करीब 2 घंटे की बहस के बाद भारीभरकम जुर्माना वसूल कर छोड़ने के आदेश संचालक महोदय ने दिए। निहलानी जी ने बताया कि पड़ोसी जिले के एक रेंजर के कहने पर हम यहां शूटिंग करने आए थे। वे रेंजर भी फिल्म में सहनिर्माता थे। चूंकि रेंजर साहब राजनीतिक रूप से काफी दम-खम वाले थे। इसलिए दयाल निहलानी तथा अन्य लोगों को केवल जुर्माना कर रिहा कर दिया गया।

 

मेरा शुरू से ही यह सिद्धांत रहा है कि शासकीय काम करते समय मुझे किसी की चमक-दमक और रुतबे में कभी नहीं आना। पहले नियमानुसार काम करवाना उसके बाद बाकी सब… इन्हीं कारणों से मुझे हमेशा फायदा भी मिलता रहा…

 

नोट: इस फ़िल्म यूनिट के बिना पेमेंट भाग जाने के कारण चिंकारा मोटल शिवपुरी के प्रबंधक सैयद अब्दुल वारिस निलंबित किए गए थे । (एमपी टूरिस्म से प्राप्त जानकारी अनुसार)