Top in Voting : लोकसभा चुनाव में खरगोन के मतदान में अव्वल रहने का राज खुला!

प्रदेश में कम मतदान के दौर में 75.79% का रिकॉर्ड बनने के पीछे की कहानी!

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Top in Voting : लोकसभा चुनाव में खरगोन के मतदान में अव्वल रहने का राज खुला!

Khargone : जिला निर्वाचन अधिकारी होने के नाते कलेक्टर को पूरे जिले में चुनाव की व्यवस्था करनी होती है। आमतौर पर कलेक्टर्स इसके तहत बैठकें लेते हैं, थोड़े-बहुत दौरे करते हैं और निर्वाचन आयोग को रिपोर्ट भेजते रहते हैं। किंतु, खरगोन कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने कुछ अलग ही किया। अपने साथी अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ वे कड़ी धूप में मैदान में उतर गए। इससे प्रशासन की टीम का हौसला तो बढ़ा ही, लोगों को भी लगा कि जब एक अधिकारी लोकतंत्र के सम्मान के लिए इतनी मेहनत कर सकते हैं, तो हम भी क्यों न घरों से निकलें। कलेक्टर की इस पहल और ‘बुलावा अभियान’ ने माहौल बनाया और लोगों ने घरों से निकलकर खरगोन सीट पर मतदान 75.79% तक पहुंचा दिया।

ये सारा कमाल किया कलेक्टर कर्मवीर शर्मा के एक अनूठे प्रयोग ने। उनके ‘बुलावा अभियान’ ने मतदाताओं को घरों से निकलकर मतदान केंद्र तक आने के लिए मजबूर कर दिया। हिंदू सभ्यता में ‘बुलावा देना’ एक अद्भुत पुरातन परंपरा है। बुलावा यानी बहुत आग्रह के साथ किसी को बुलाना। समाज में मंगल कार्यक्रम हो, तो नाई बंधू या नावन मां घर-घर बुलावा देने जाते थे। यह ऐसी परंपरा है, जो भारत के गांव से लेकर शहर तक और लोगों के मन से लेकर ह्रदय तक से जुड़ी है।

किंतु क्या किसी ने सोचा था कि कलेक्टर जैसा शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी इस परंपरा का सदुपयोग करते हुए कुछ करिश्मा कर सकता है! लेकिन, ये करिश्मा हुआ है। यह अनोखी कहानी खरगोन जिले की है। यहां कलेक्टर कर्मवीर शर्मा पदस्थ हैं। निर्वाचन अधिकारी होने के नाते इनके पास चुनाव में पूरे जिले की चुनाव व्यवस्थाओं की कमान भी रही। पहले और दूसरे चरण में जब मतदान कम हुआ, तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी तक सब चिंतित हो गए।

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चुनाव आयोग और जनता की भी अपनी चिंताएं थीं। लेकिन, उसी दौर में खरगोन कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने चिंतित होने के बजाए एक अनूठा आइडिया सोचा और उस पर काम शुरू कर दिया। उन्होंने जिला प्रशासन की टीमें गठित कीं और जिले में ‘बुलावा अभियान’ शुरू कर दिया। बुलावा अर्थात आम जनता को वोट देने के लिए न्यौतना। इसके तहत प्रशासन की टीम घर-घर जाकर न्योता देने लगी। लोगों ने भी प्रशासनिक टीम की आवभगत की और कहीं सम्मान से बैठाकर चाय पिलाई, तो कहीं अपने दरवाजे पर आए अधिकारी को देखकर प्रणाम किया। आम लोगों के मन में अधिकारियों की छवि रहती है कि ये पढ़े-लिखे साहब हमारी कहां सुनेंगे। लेकिन, खरगोन कलेक्टर की इस पहल ने लोगों का भाव बदल डाला। यह ऐसी पहल थी, जिसने प्रशासन और जनता के बीच की दूरी को पाट दिया और लोग प्रशासन के प्रति सद्भावना और सम्मान के भाव से भर गए।

परिणाम यह हुआ कि आम जनता में जिम्मेदारी और सम्मान का भाव जागा। वे भी ‘बुलावा अभियान’ से जुड़े और वोट करने का निर्णय ले लिया। कलेक्टर की इस पहल का इतना असर हुआ कि लोग चिलचिलाती धूप में भी अपने घरों से निकले। इसका नतीजा ये हुआ कि खरगोन में सबसे ज्यादा मतदान हुआ। कमाल यह भी हुआ कि चारों चरणों में सबसे ज्यादा औसत मतदान चौथे चरण में हुआ, जो कि 72.02 प्रतिशत रहा। इस चौथे चरण में खरगोन 75.79% के साथ सबसे ऊपर रहा।

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बुलावा अभियान के लिए जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा प्रत्येक बूथ पर गठित किए गए, जिसमें सारे स्थानीय कर्मचारी बीएलओ, शिक्षक, पटवारी, सचिव, रोजगार सहायक, मोबिलाइज़र, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, आशा कार्यकर्ता, स्व सहायता समूह सदस्य शामिल थे। मतदान से सप्ताह भर पहले घर-घर जाकर पीले चावल डालकर मतदाताओं को मतदान के लिए बुलावा दिया गया। मतदान के दिन बीएलओ को छोड़कर इन कर्मचारियों को पहली फुर्सत में मतदान करके गांव में जाकर पीले चावल के परिपालन में पंगत के बुलावे की तरह मतदाताओं को पुनः बुलावा देने का आदेश था।

जब किसी इतने आग्रह पूर्वक बुलाया जाएगा तो मतदाता क्यों नहीं आयेंगे। इतना ही नहीं मतदान केंद्रों पर मतदानकर्मियों के लिए ही नहीं, बल्कि मतदाताओं के लिए संख्या के आधार पर टेंट सीलिंग, शीतल पेयजल, कुर्सी और कूलर की व्यवस्था पंचायतों के माध्यम से करवाई गई थी|

जब हमारा संविधान बना, तब जैसे प्रशासन की कल्पना की गई थी, वैसा ही कुछ खरगोन प्रशासन ने लोकतंत्र के लिए इस बार कर दिखाया। कलेक्टर कर्मवीर शर्मा की यह मेहनत इतिहास में दर्ज हुई ही, साथ ही लोकतंत्र के ललाट पर किसी मंगल तिलक की भांति हमेशा सुशोभित होती रहेगी।