कुछ तो विपक्षी सांसद कहेंगे…

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कुछ तो विपक्षी सांसद कहेंगे…

 

मोदी-3 सरकार में विपक्ष अपनी उपस्थिति का अहसास हर रोज करा रहा है। लगता तो यही है कि नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में विपक्ष अब यह कमर कस चुका है कि हर बॉल पर छक्का मारकर ही दम लेंगे, भले बोल्ड या कैच आउट होने का रिस्क साथ-साथ चलता रहे। विपक्षी गठबंधन के सांसद अखिलेश यादव ने तो सबसे पहले अध्यक्ष की कुर्सी की ऊंचाई पर ही सवाल उठा दिया था कि पुरानी लोकसभा में अध्यक्ष महोदय ज्यादा ऊंची कुर्सी पर थे। तो अब सवाल सैंगोल पर उठ गया है। और सैंगोल की जगह संविधान रखने का सुझाव भी आ गया है। बात इतनी ही नहीं है, बल्कि लोकसभा अध्यक्ष के इमरजेंसी के बयान पर भी नए नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने तल्ख प्रतिक्रिया दे दी। यही नहीं बल्कि संसद टीवी में पीएम को कितनी ज्यादा बार दिखाया गया और नेता प्रतिपक्ष को कितना कम, अब यह भी चर्चा का विषय बन गया है। सपा सांसद आरके चौधरी द्वारा संसद से सेंगोल हटाए जाने के बयान पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कुछ असमझ लोग हमेशा भारतीय संस्कृति का अपमान करते हैं। परमात्मा से ऐसे लोगों की सद्बुद्धि के लिए कामना करता हूं। मध्यप्रदेश के डॉ मोहन यादव ने कहा कि उन भारतीय मान बिंदुओं, जिस पर हमें अपने देश की संस्कृति पर गर्व और गौरव का अनुभव होता है। तमिल संस्कृति के माध्यम से हमारे अपने ऐसे सभा स्थल जहां पर विचारों की अभिव्यक्ति होती है और लोकतंत्र का सम्मान होता है उस स्थान पर सिंगोल रखकर और पवित्र बनाने का काम माननीय प्रधानमंत्री द्वारा हुआ था लेकिन कुछ असमझ लोग जिनको इस बात की समझ नहीं है कि वो है क्या.. ये हमेशा भारतीय संस्कृति का अपमान करते हैं। मैं ऐसे लोगों के लिए परमात्मा से कामना करता हूं इन्हें सद्बुद्धि दे।

उधर नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद राहुल गांधी ने सैम पित्रोदा को दोबारा ओवरसीज कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कांग्रेस पर तंज कसा है कि….. कांग्रेस चुनाव के बाद असली चरित्र दिखाती है। कांग्रेस कर्णधारों को सैम पित्रोदा को फिर से बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि सच्चे अर्थों में कांग्रेस का चरित्र दोमुहा है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण सैम पित्रोदा की कांग्रेस में वापसी है। बड़े दुर्भाग्य के साथ कहना पड़ रहा है, “कांग्रेस हमेशा चुनाव के समय अलग रोल में रहती है और चुनाव के बाद असली चरित्र दिखाती है।” सैम पित्रोदा के माध्यम से भारत के विभिन्न प्रांतो में रहने वाले स्थानीय रहवासियों को (आदिवासी अंचल के लोगों को) अपमान का घूंट पीना पड़ा। वो कांग्रेस का कितना शर्मनाक का बयान था। जब कांग्रेस ने कहा था हमारा इनसे कोई लेना-देना नहीं है और उनको अपनी पार्टी से बाहर कर दिया। जैसे ही चुनाव निकला कांग्रेस अपने वादे से मुकर गई। प्रधानमंत्री मोदी ने उस समय भी कहा था, कांग्रेस आज पित्रोदा को निकाल रही है, कांग्रेस का दरवाजा वापस खुलेगा और सैम पित्रोदा कांग्रेस की धरोहर बनकर निकलेगा। आज वह सबके सामने उदाहरण बना है। कांग्रेस के कर्णधारों को देश से माफी मांगना चाहिए कि उनसे गलती हुई और सैम पित्रोदा को फिर से बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए।

तो अब सीएए कानून के तहत मिलने वाली नागरिकता की शुरुआत मध्यप्रदेश में हो गई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने तीन नागरिकों को भारत की नागरिकता देकर कानून की मंशा पर मुहर लगा दी है। तो अब मुद्दे कुछ भी हों, पर 18वीं लोकसभा की मंशा साफ है कि अगर इधर मोदी-शाह हैं और बड़ा समूह है तो उधर राहुल और अखिलेश यादव की जोड़ी भी सदन में हलचल पैदा करती रहेगी…। आखिरकार कुछ तो विपक्षी सांसद कहेंगे..

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