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Turmeric Every Day : हल्दी पर इल्जाम है कि यह लाखो लोगो को गोरा बनाती है,आज की पंचायत हल्दी पर
आज की पंचायत में फैसला होगा हल्दी के गुणों पर। हल्दी पर इल्जाम है कि यह लाखो लोगो को गोरा बनाती है, कइयों जख्मो को इसने बखूबी भरा है। इतना ही नही हल्दी ने तो जाने माने ऊर्जा और शक्ति के भंडार दूध की शान भी पतली कर दी। सुना है कि एक बार इसका अपहरण भी हो चुका है, फिर बकायदा कानूनी लड़ाई में बाद यह भारत की बिटिया साबित हुई और लौटकर आ ही गई।
विदेश वालो ने क्यों आखिर इसे अपना साबित करने में कानूनी लड़ाई लड़ी होगी? इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि यह भारत के भोजन व्यवस्था में जहाँ यह सबसे खास मसाले में शामिल है, तो वहीं दवा के तौर पर सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली और जांची परखी पारंपरिक औषधि भी है।
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हल्दी एक छोटे आकार का बहुवर्षीय पौधा है, जिसकी खेती आजकल दुनिया के ज्यादातर हिस्सो में की जाने लगी है। इसकी गाँठो की पीसकर हल्दी पाउडर तैयार किया जाता है।
इसका वैज्ञानिक नाम Curcuma longa है जो जिन्जीबरेसी कुल का सदस्य है। लेकिन हमारे भारत मे खाने वाली हल्दी के साथ काली हल्दी, जंगली हल्दी, कचूर, तीखुर आदि नामो से कई अन्य प्रकार की हल्दी भी पाई जाती हैं। केदार सैनी जी से इस वर्ष लोकडोंग हल्दी व सफेद हल्दी भी प्राप्त हुई। आमा हल्दी भी होती हैं किंतु वह इनसे अलग याने बारवेरी है।
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ज्यादातर हल्दियों के औषधीय गुण एक समान हैं किसी की तीक्ष्णता या तीव्रता अधिक तो किसी की कम। किन्तु कुछ खास मामलों में सभी के अलग अलग उपयोग हैं, अर्थात भोजन, मसाला,अचार, सौंदर्य वर्धन और पूजा से लेकर जादू टोना तक सबमे हल्दी मिल जाएगी आपको। इन सबकी चर्चा किसी अन्य पोस्ट पर। भीमाशंकर महादेव में पूजन सामग्री में शामिल जंगली कमल का फूल भी एक किस्म की हल्दी का ही फूल है।
हल्दी के विषय मे कौन नही जानता। किसी भी इंसान से इसके गुणों की चर्चा करें तो एकाध घंटे तक तो ज्ञान पिला ही देगा। हर भारतीय के पास हल्दी के 2- 4 फार्मूले तैयार हैं। आज यहाँ हम बात कर रहे हैं हल्दी की, जिसके बिना कोई भी भारतीय सब्जी एवम् व्यंजन अधूरा है।
बचपन में छोटी मोटी चोट लग जाने पर माँ अक्सर हल्दी और तेल मिलकर लगा दिया करती थी, और दर्द में झट आराम के साथ साथ घाव भी जल्दी भर जाता था, क्योंकि इसमें पाये जाने वाले एंटीसेप्टिक गुणों को वैज्ञानिक प्रयोगों द्वारा भी परखा जा चुका है। ताजी हल्दी की गांठो (राइजोम) की सब्जी एक बहुत ही स्वादिष्ट व्यंजन है, जिसे राजस्थान में बहुत पसंद किया जाता है। इसके अलावा ताजी हल्दी की गाँठो का अचार भी खासा लोकप्रिय है।
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सर्दी जुखाम, हड्डियों की बुखार, दाद- खाज- खुजली के उपचार में, हड्डियों के टूट जाने पर, दर्द निवारक के रूप में दूध के साथ और न जाने कितनी ही औषधियों के रूप में हल्दी को जाना जाता है, लेकिन इन सब पर भारी पड़ता है, इसका कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स की तरह इस्तेमाल। यह वास्तव में भारतीय युवतियों की ख़ूबसूरती पर चार चांद लगाने के लिये मुख्य रूप से विख्यात है। पुराने जमाने मे राजा महाराजा भी सौंदर्य निखार और युद्ध के जख्मो को भरने के लिए हल्दी का पेस्ट और उबटन लगाया करते थे। हिन्दुओ के शादी संस्कार में भी दूल्हे और दुल्हन को इसी हल्दी की उबटन लगाकर निखारा जाता है। कहा जाता है कि हल्दी में उत्तेजक और मादक कर देने वाले गुण भी होते हैं।
आयुर्वेद में हल्दी को महत्वपूर्ण औषधि माना गया है। इसके साथ साथ कई प्रमुख दवाओं की क्षमता बढ़ाने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है। इन्ही सभी गुणों से आकर्षित होकर एक विदेशी कंपनी ने इसे चुराकर अपने नाम से पेटेंट करवाने की गलती की थी। विस्तृत विवरण के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार नाम से सर्च करना होगा। हल्दी में एन्टी कैंसर (कैंसर प्रतिरोधक) गुण भी पाये जाते है। घरो में अक्सर सौफ या अजवाईन को हल्दी के साथ भूनकर रखा जाता है क्योंकि इसमें सूक्ष्ममजीवो कीटो का आक्रमण नहीं होता है।
लेकिन अगर आपको लगता है कि ये सब बातें केवल भारतीय और पारंपरिक ज्ञान की हैं तो मैं आपको बता दूँ कि आप पूरी तरह से गलत हैं। आधुनिक शोध के नतीजे झोली भर भर कर हल्दी की पारंपरिक जानकारियों को सही साबित करने में जुटे हैं। यकीन न आये तो जरा गूगल कर लें। दुनिया का ऐसा कोई रोग नही है जिसमे हल्दी कारगर नही है। हम भारतीय विश्व मे सबसे अधिक हल्दी का सेवन भी करते हैं, लेकिन फिर भी रोगों के मामले में हम किसी से कम नही तो क्या हल्दी के गुणों वाली सारी बातें झूठी हैं, और सारे शोधपत्र भी गलत हैं? नही साहेब बिल्कुल नही, हल्दी के औषधीय गुण अपनी जगह सटीक और सही हैं। गलत सिर्फ हमारा हल्दी खाने का तरीका है और उससे कहीं अधिक ये कि हम हल्दी ही खा रहे हैं या पीला रंग? इस पर भी विचार करने की आवश्यकता है।
आधुनिक शोधपत्रों को खँगालने के बाद वही जानकारी निकाल पाया हूँ, जो बर्षों से दादी और नानी से सुनता आ रहा था। उन्होंने बस वो अंग्रेजी वाले भारी भरकम नाम नही बताये थे। सीधे और सरल शब्दों में बता दिया था कि गला खराब हो तो हल्दी की गाँठ चूसो, अंदरूनी चोट या दर्द हो तो हल्दी वाला दुध पियो, बाहरी चोट या संक्रमण हो तो हल्दी और तेल लगाओ, त्वचा के निखार में दूध और हल्दी का हाथ थामो। भोजन में भी हर रोज हल्दी डालो ताकि यह तेल के हानिकारक गुणों को हटा सके। वैसे मुझे गुरुदेव डॉ. Deepak Acharya जी की एक बात आज भी याद आती है, जब वे कहते थे कि हमारे तेल घी और दूध हल्दी के लिये व्हीकल का काम करते हैं याने इन्हें शरीर के जुड़ी अंगों तक लेकर जाते हैं।
हल्दी में करक्यूमिन सहित फ्लेवेनॉइड्स, फिनोल्स, अल्कालोइड्स, टरपिनोइड्स, टैनिन, सेपोनिन व स्टेरॉइड्स पाये जाते हैं, जो इसके औषधीय गुणों के लिए जिम्मेदार होते हैं। हल्दी के संबंध में आपको यह जानकारी कैसी लगी बताइयेगा।
डॉ विकास शर्मा
वनस्पति शास्त्र विभाग
शासकीय महाविद्यालय चौरई
जिला छिंदवाड़ा (म.प्र.)