Quota Reservation in Quota : कोटे में कोटा आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी, 20 साल पुराना फैसला बदला!

राज्यों को सब कैटेगरी बनाने का अधिकार दिया, पर अपने फैसले में दो शर्तें भी जोड़ी!

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Quota Reservation in Quota : कोटे में कोटा आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी, 20 साल पुराना फैसला बदला!

New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आरक्षण के बारे में बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें अब अनुसूचित जाति के आरक्षण कोटे में कोटा दे सकेंगी। कोर्ट ने अपना ही 20 साल पुराना फैसला पलट दिया। तब कोर्ट ने कहा था कि अनुसूचित जातियां खुद में एक समूह है, इसमें शामिल जातियों के आधार पर और बंटवारा नहीं किया जा सकता। लेकिन, नए फैसले से यह किया जा सकेगा।

अपने इस फैसले के साथ सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों के लिए जरूरी हिदायत भी दी। कहा कि राज्य सरकारें मनमर्जी से फैसला नहीं कर सकतीं। इसके लिए दो शर्तें होंगी। पहली शर्त के अनुसार, अनुसूचित जाति के भीतर किसी एक जाति को 100% कोटा नहीं दे सकती। दूसरी शर्त अनुसूचित जाति में शामिल किसी जाति का कोटा तय करने से पहले उसकी हिस्सेदारी का पुख्ता प्रमाणित डेटा होना चाहिए।

यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संविधान पीठ का है। इसमें कहा गया कि अनुसूचित जाति को उसमें शामिल जातियों के आधार पर बांटना संविधान के अनुच्छेद-341 के खिलाफ नहीं है। अदालत ने यह फैसला उन याचिकाओं पर सुनाया जिनमें कहा गया था कि अनुसूचित जाति और जनजातियों के आरक्षण का फायदा उनमें शामिल कुछ ही जातियों को मिला है। इससे कई जातियां पीछे रह गई। उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए कोटे में कोटा होना चाहिए। इस दलील के आड़े 2004 का फैसला आ रहा था, जिसमें कहा गया था कि अनुसूचित जातियों को सब-कैटेगरी में नहीं बांट सकते।

इस फैसले से क्या बदलेगा

सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले के बाद अब राज्य सरकारें राज्यों में अनुसूचित जातियों में शामिल अन्य जातियों को भी कोटे में कोटा दे सकेंगी। यानी अनुसूचित जातियों की जो जातियां वंचित रह गई हैं, उनके लिए कोटा बनाकर उन्हें आरक्षण दिया जा सकेगा। जैसे कि 2006 में पंजाब ने अनुसूचित जातियों के लिए निर्धारित कोटे के भीतर वाल्मीकि और मजहबी सिखों को सार्वजनिक नौकरियों में 50% कोटा और पहली वरीयता दी गई थी। अब इस तरह की कार्यवाही सभी राज्य सरकारें कर सकेंगी।