Death Before Release : ₹2.39 करोड़ के फर्जीवाड़े के आरोपी रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल की रिहाई से पहले जेल में मौत!

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नहीं खुला माैत का राज, पत्नी ने पहले ही आशंका जताई थी!

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Death Before Release : ₹2.39 करोड़ के फर्जीवाड़े के आरोपी रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल की रिहाई से पहले जेल में मौत!

Agra : यहां के जिला जेल में बंद फुटवियर कंपनी के मालिक और रिटायर लेफ्निेंट कर्नल विजय तोमर की जेल में ही संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। एक दिन बाद उनकी रिहाई होने वाली थी। उन पर 2.39 करोड़ रुपए के फर्जीवाड़े का आरोप लगा था। डाॅक्टरों ने विसरा सुरक्षित रखा है। अब जेल प्रशासन कठघरे में है। परिजनों का आरोप है कि उन्हें झूठे मुकदमे में जेल भिजवाने के बाद साजिश करके हत्या की गई। परिजनों ने 7 सितंबर को अपर पुलिस आयुक्त से शिकायत कर उनकी जान का खतरा जता दिया था।

बुधवार को उनकी मौत के बाद 3 डॉक्टर्स के पैनल ने पोस्टमार्टम किया, जिसकी वीडियोग्राफी भी की गई। प्रभारी एसीपी हरीपर्वत डॉ सुकन्या शर्मा ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में माैत का कारण साफ नहीं हो सका। विसरा की जांच विधि विज्ञान प्रयोगशाला में कराई जाएगी। रिपोर्ट आने पर स्थिति साफ होगी। मृतक की पत्नी डाॅ अलका सिंह ने थाना हरीपर्वत में शिकायत की है। इसमें साजिश के तहत हत्या का आरोप लगाया गया। जेल प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है।

कारोबारी मामले में गलत आरोप लगाए गए
रिटायर लेफ्निेंट कर्नल विजय तोमर के रिश्तेदार पूर्व डीआईजी सीआरपीएफ प्रताप सिंह ने बताया कि जिस कंपनी ने आरोप लगाया। उनसे उनकी कंपनी ने जूते लेकर सिक्किम पुलिस और अफ्रीकन देश घाना में सेना को सप्लाई किए थे। मगर, माल में कमी थी, इस कारण माल वापस हो गया। सिक्किम पुलिस की ओर से 70 लाख का भुगतान भी कर दिया गया। कंपनी को रकम दी गई। मगर, घाना का माल वेयर हाउस में पड़ा है, इसकी बिक्री की जानी है। इसके बाद ही भुगतान होता। फिर भी व्यापारिक मामले में गलत तरीके से मुकदमा दर्ज कराया गया।

पहले ही खतरा जताया था
उधर, डाॅ अलका सिंह ने 7 सितंबर को अपर पुलिस आयुक्त को प्रार्थना पत्र दिया था। इसमें कहा था कि पति और परिवार के सदस्यों के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट में केस दर्ज करने की साजिश की जा रही है। उनके परिवार के जीवन पर खतरा है। थाना सिकंदरा में पति के खिलाफ दर्ज कराया केस उन्हें मजबूर करने के लिए दायर कराया, जबकि उन्होंने पहले ही एमएसएमई परिषद के समक्ष सिविल केस और नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंटस एक्ट की धारा 138 के तहत मामला दायर किया था, जो लंबित है। उन्होंने अपने प्रार्थना में कहा था कि अगर, उनके परिवार को कुछ होता है तो विपक्षी जिम्मेदार होंगे।