विशेष – शारदीय नवरात्रि शुभारंभ हस्त नक्षत्र में शिववास और इंद्र योग में होगा – कलश स्थापना और आराधना मुहूर्त एवं विधान

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विशेष – शारदीय नवरात्रि शुभारंभ हस्त नक्षत्र में शिववास और इंद्र योग में होगा – कलश स्थापना और आराधना मुहूर्त एवं विधान

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ज्योतिर्विद पंडित राघवेंद्र रवीशराय गौड़

प्रस्तुति डॉ घनश्याम बटवाल मन्दसौर

सनातन धर्म एवं देवी आराधकों में दशहरा – दीपावली पूर्व की शारदीय नवरात्र का बहुत महत्व बताया गया है । यह देवी भगवती की वार्षिक आराधना का पर्व भी है । मातारानी जगतउद्दार , रोगहरण और श्रीवृद्धि के निमित्त आशीष प्रदान करती है ।

शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ 3 अक्टूबर से कलश स्थापना के साथ होगा । इस वर्ष नवरात्रि 10 दिनों तक मनाई जाएगी। नवरात्रि के प्रथम दिन हस्त नक्षत्र ऐन्द्र योग व जयद योग में पूजन होगा। मां दुर्गा का आगमन इस बार पालकी पर और विदाई चरणायुध (मुर्गे) पर होगा। आगमन और विदाई वाहनों को लेकर भी पुराण में स्पष्ट उल्लेख मिलता है । तद्नुसार फल मिलना माना जाता है ।

यह शुभाशुभ योग , अनिष्ट और संतोष का परिचायक है । ओर सच्चे मन और हृदय से की गई प्रार्थना और आराधना देवी भगवती स्वीकार कर मनोकामनाएं और मनोरथ पूर्ण करती है ।

नवरात्रि त्यौहार के रूप में सम्पूर्ण भारत और विदेशों के भारतवंशी उत्साह से उत्सव मनाते हैं । गरबों की धूम के साथ नृत्यों और गीतों से मनारानी को मनाते हैं । घटस्थापना के साथ ही परिवारों में और सार्वजनिक स्थानों पर भी यह क्रम चलता है ।

इस वर्ष सनातन पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि पर्व गुरुवार, 3 अक्टूबर से प्रारंभ होगा। शारदीय नवरात्रि का पर्व 11 अक्तूबर को समाप्त होगा।

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शारदीय नवरात्रि का पहला दिन

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पंचांग के अनुसार इस साल आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 3 अक्तूबर 2024 को सुबह 12 बजकर 19 मिनट से हो रहा है। इसका समापन 4 अक्टूबर को सुबह 2 बजकर 58 मिनट पर होगा। उदया तिथि के मुताबिक शारदीय नवरात्रि का पहला दिन 3 अक्टूबर 2024 को होगा, और इस दिन से ही नवरात्रि की शुरूआत होगी।

 

*शारदीय नवरात्रि प्रारंभ तिथि*

वैदिक पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्र की शुरुआत 03 अक्टूबर से हो रही है।आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 03 अक्टूबर को देर रात 12 बजकर 18 मिनट से शुरू होगी और 04 अक्टूबर को देर रात 02 बजकर 58 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। अतः गुरुवार 03 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र की शुरुआत होगी।

शारदीय नवरात्रि घटस्थापना समय

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शारदीय नवरात्रि के शुभ अवसर पर घटस्थापना मुहूर्त 03 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 15 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 22 मिनट तक है। वहीं, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक है। इन दोनों शुभ योग समय में घटस्थापना कर सकते हैं।

शारदीय नवरात्रि शुभ योग 

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शारदीय नवरात्र के पहले दिन यानी घटस्थापना के शुभ अवसर पर दुर्लभ इंद्र योग का निर्माण हो रहा है। पंडित राघवेंद्र गौड़ के अनुसार इस योग का समापन 04 अक्टूबर को सुबह 04 बजकर 24 मिनट पर होगा। इसके अलावा, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन भगवान शिव कैलाश पर जगत की देवी मां गौरी के साथ विराजमान रहेंगे।  इन योग में जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा करने से सकल मनोरथ सिद्ध होंगे।

शारदीय नवरात्रि 2024 

03 अक्टूबर- मां शैलपुत्री की पूजा

04 अक्टूबर- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा

05 अक्टूबर- मां चंद्रघंटा की पूजा

06 अक्टूबर- मां कूष्मांडा की पूजा

07 अक्टूबर- मां स्कंदमाता की पूजा

08 अक्टूबर- मां कात्यायनी की पूजा

09 अक्टूबर- मां कालरात्रि की पूजा

10 अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री की पूजा

11 अक्टूबर- मां महागौरी की पूजा

12 अक्टूबर- विजयदशमी (दशहरा)

 

नवरात्रि पर्व की प्रमुख तिथिया

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शारदीय नवरात्रि प्रारंभ (घटस्थापना)- 03 अक्तूबर से शारदीय नवरात्रि शुरू होंगे. नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि पर घटस्थापना होती है. नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है. कई लोग इन नौ दिनों का व्रत रखते हुए देवी दुर्गा की पूजा आराधना करते हैं.

शारदीय नवरात्रि 2024 अष्टमी-नवमी कब ? 

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सनातन पंचांग के अनुसार, अश्विन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से शुरू होगी और 11 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 06 पर समाप्त होगी। इसके बाद नवमी तिथि लग जाएगी, जो 12 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 57 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में नवरात्रि की अष्टमी और नवमी का व्रत 11 अक्टूबर 2024 को ही रखा जाएगा। इसके अलावा 11 अक्टूबर को महाष्टमी पर संधि पूजा भी की जाएगी।

12अक्तूबर 2022 – विजयदशमी, दशहरा, – 

इस दिन विजयदशमी का त्योहार मनाया जाएगा. विजयदशमी पर भगवान राम में रावण का वध करके लंका पर विजय प्राप्ति की थी. इसके अलावा इस दिन पर मां दुर्गा ने दैत्य महिषासुर का वध भी किया था. विजयदशमी को दशहरा भी कहा जाता है.

शारदीय नवरात्रि मां दुर्गा के वाहन का महत्व  

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देवी भागवत के अनुसार शारदीय नवरात्रि पर मां दुर्गा की सवारी- पंचांग के अनुसार, मां दुर्गा का आगमन पालकी पर होगा और मां भवानी का प्रस्थान चरणायुध (बड़े पंजे वाले मुर्गे) पर होगा।

मां दुर्गा की सवारी का महत्व- देवी पुराण में पालकी की सवारी को शुभ माना गया है। हालांकि पालकी की सवारी आंशिक महामारी का कारण भी मानी गई है। वहीं मुर्गे की सवारी का देश पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

नवरात्रि के पर्व पर पृथ्वीलोक में माता का आगमन होता है और घर-घर स्थापित होकर अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

 

देवी भागवत पुराण में माता के आगमन पर उनकी सवारी के बारे में विस्तार से बताया गया है।

 

शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे।

गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥

 

अगर नवरात्रि पर्व का शुभारंभ सोमवार या रविवार के दिन होता है तो माता हाथी पर बैठकर पृथ्वी लोक पर आती हैं। वहीं अगर नवरात्रि शनिवार या मंगलवार के दिन शुरू होती है तो माता की सवारी घोड़ा होता है। अगर शुक्रवार या गुरुवार के दिन नवरात्रि आरंभ होती है मां दु्र्गा पालिकी में सवार होकर आती हैं। बुधवार के दिन अगर नवरात्रि पर्व की शुरुआत होती है तो माता का वाहन नौका पर होता है।

शारदीय नवरात्रि पूजा विधि

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सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। साफ वस्त्र पहनें। शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना की विधि को पूरा करें। कलश में गंगाजल भरें और कलश के मुख पर आम के पत्ते रखें। नाारियल को लाल चुनरी के साथ लपेटें। नारियल को आम के पत्ते के ऊपर रखें। कलश को मिट्टी के बर्तन के पास या फिर उसके ऊपर रखें। मिट्टी के बर्तन पर जौके बीज बोएं और नवमी तक हर रोज कुछ पानी छिड़कें। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करें।फूल, कपूर, अगरबत्ती, और व्यंजनों के साथ पूजा करनी चाहिए। साथ ही घर पर नौ कन्याओं को आमंत्रित करें। उन्हें एक साफ और आरामदायक जगह पर बैठाकर उनके पैर धोएं। उनकी पूजा करें और उनके माथे पर तिलक लगाएं। साथ ही उन्हें स्वादिष्ट भोजन परोसें। दूर्गा पूजा के बाद अंतिम दिन घट विसर्जन कर दें।

♦️नवरात्रि में नो दिवस लगाए यह भोग और पाए आशीर्वाद

• 🔸नवरात्रि के पहले दिन मां के चरणों में गाय का शुद्ध घी अर्पित करने से आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है।

• 🔸नवरात्रि के दूसरे दिन मां को शक्कर का भोग लगाकर घर के सभी सदस्यों में बांटें। इससे आयु में वृद्धि होती है।

• 🔸नवरात्रि के तीसरे दिन दूध या खीर का भोग लगाकर ब्राह्मणों को दान करने से दुखों से मुक्ति मिलती है। इससे परम आनंद की प्राप्ति होती है।

• 🔸नवरात्रि के चौथे दिन मालपुए का भोग लगाकर मंदिर के ब्राह्मणों को दान दें। ऐसा करने से बुद्धि का विकास होने के साथ-साथ निर्णय शक्ति भी बढ़ती है।

• 🔸नवरात्रि के पांचवे दिन मां को केले का नैवेद्य चढ़ाने से शरीर स्वस्थ रहता है।

• 🔸नवरात्रि के छठे दिन शहद का भोग लगाएं। इससे आकर्षण शक्ति में वृद्धि होगी।

• 🔸नवरात्रि के सातवें दिन मां को गुड़ का नैवेद्य चढ़ाने व उसे ब्राह्मण को दान करने से शोक से मुक्ति मिलती है।

•🔸 नवरात्रि के आठवें दिन देवी मां को नारियल का भोग लगाएं व नारियल का दान भी करें। इससे संतान संबंधी परेशानियों से छुटकारा मिलता है।

•🔸 नवरात्रि की नवमी पर तिल का भोग लगाकर ब्राह्मण को दान दें। इससे मृत्यु के भय से राहत मिलने के साथ अनहोनी घटनाओं से भी बचाव होता है।

 

जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी ।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते’।।

 

नारायण श्रीनारायण