पाठक प्रतिक्रिया : मैं पाकिस्तान में भारत का जासूस था

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मैं पाकिस्तान में भारत का जासूस था
मैं पाकिस्तान में भारत का जासूस था

पाठक प्रतिक्रिया: मैं पाकिस्तान में भारत का जासूस था

अपने भाषण से श्रोताओं में देशप्रेम का जज्बा उत्पन्न करते – करते मोहनलाल भास्कर पाकिस्तान में भारत का जासूस बन जाता है। एक साथी भारतीय जासूस का ज़मीर बिक जाता है, वह अपने साथियों की खबर पाकिस्तान के अधिकारियों को देकर इन्हें गिरफ्तार करवा देता है। शुरू होता है यंत्रणाओं का दौर .. एक जेल से दूसरी जेलों में तबादले का दौर .. कुछ अच्छे तो अधिकांश जल्लाद अधिकारियों की यंत्रणाएं … जेल में कैदियों के पास पिस्तौल..चाकू .. अफीम.. सिगरेट-शराब एवं इन्हीं सब का जेल में ही कैदियों के बीच ही व्यवसाय.. अश्लीलता की भरमार.. आश्चर्य होता है कि पाकिस्तान की जेलों में यह सब सुलभता से उपलब्ध था।
रविवार पत्रिका में यह धारावाहिक रूप से प्रकाशित हुआ था जिसमें यह भी बताया गया था कि जेल में उनकी देखभाल करने वाले जनरल ने कहा था कि उसके पूर्वज हिन्दू थे जिन्हें हिंदुओं द्वारा अपमानित किए जाने पर इस्लाम कबूल किया था । इसीलिए उन्हें हिंदुओं से नफरत है ।
शिमला समझौते के अंतर्गत दोनों देशों के कैदियों की अदला-बदली की प्रक्रिया से देश आगमन पर शासन का उपेक्षित रवैया भी बहुत दुखी करता है।
यही सभी दास्तां इस पुस्तक में विस्तार से लिपिबद्ध है।

इसी से पुस्तक –
* किसी ने याह्या ख़ाँ की रखैल अक़लीम अख़तर उर्फ ‘जेनरल रानी’ के ख़ाविन्द से कहा, ‘तुम्हें ज़रा भी शर्म नहीं आती, तुम्हारी बीवी जेनरल लिए घूमता-फिरता है,’ तो उसने मुस्कराकर शराब के जाम की चुस्की भरते हुए कहा, ‘जनाब, हमने समाज में जीने के लिए सोचने का तरीक़ा बदल लिया है। हम यह सोचते हैं कि वह बीवी तो जेनरल साहब की है और हमारी रखैल है, जिसे कभी-कभी एक रात के लिए हम भी अपने पास रख लेते हैं । ‘
* यह वह शख़्स बोल रहा था जिसने इमरजेंसी में सिर्फ़ उन्नीस महीने की क़ैद काटी और उस क़ैद में सहे ‘अत्याचारों’ के नाम की दुहाई देकर प्रधानमंत्री की गद्दी हासिल कर ली थी, जिसने अपनी पार्टी के उन्नीस महीने में कैद होनेवाले सभी मेम्बरों की पेंशन बाँध दी थी। सबसे बड़ा दुख तो मुझे इस बात का था कि इस शख्स के साथ मेरे व्यक्तिगत सम्बन्ध रह चुके थे। सैकड़ों की तादाद में सन् ’67 से पहले के इसके लिखे पत्र पर मेरे पास थे, जिनमें से अधिकांश मैंने उस दिन गुस्से में जला डाले।

पुस्तक -मैं पाकिस्तान में भारत का जासूस था
लेखक – मोहनलाल भास्कर
प्रकाशक – राजकमल पैपरबैक्स
पृष्ठ – 182,  मूल्य –     ,प्रकाशन वर्ष –

 पाठक प्रतिक्रिया -महेश बंसल ,इंदौर 

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