Expectation from Budget 2025 : इस बार के बजट में आयकर में बड़ी राहत की उम्मीद, एक नया टैक्‍स स्‍लैब बनाने पर विचार!

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Expectation from Budget 2025 : इस बार के बजट में आयकर में बड़ी राहत की उम्मीद, एक नया टैक्‍स स्‍लैब बनाने पर विचार!

जानिए, क्या है सरकार की योजना, किसे कितनी राहत मिलने के आसार!

New Delhi : एक फरवरी को पेश किए जाने वाले बजट से मध्‍यम वर्ग को काफी आस है। पिछले दो-तीन बजट में मिडिल क्‍लास को कोई बड़ी राहत नहीं मिली। बजट 2025 में टैक्स स्लैब्स में बदलाव से मिडिल क्लास को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। यह कदम न केवल लोगों की आर्थिक स्थिति को सुधार सकता है, बल्कि धीमी हो रही अर्थव्यवस्था को भी नई ऊर्जा देगा। सरकार इनकम टैक्स स्लैब्स में बदलाव पर विचार कर रही है, जिससे सालाना ₹20 लाख तक कमाने वाले सैलरीड टैक्सपेयर्स को फायदा हो सकता है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार फिलहाल दो प्रमुख विकल्पों पर विचार कर रही है। पहला, ₹10 लाख तक की सालाना आय को पूरी तरह टैक्स-फ्री करना। दूसरा, ₹15 से ₹20 लाख की आय पर 25% का नया टैक्स स्लैब लाना। वर्तमान में ₹15 लाख से अधिक की आय पर 30% टैक्स लगता है। अगर बजट अनुमति देता है, तो दोनों ही विकल्प लागू किए जा सकते हैं। इसके लिए सरकार ₹50 हजार करोड़ से ₹1 लाख करोड़ तक के रेवेन्यू लॉस को तैयार है।

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पिछले बजट की रियायत अधूरी रही

2023 में वित्त मंत्री ने सेक्शन 87ए के तहत रिबेट बढ़ाकर 7 लाख रुपये तक की आय को टैक्स-फ्री किया था। लेकिन, इसके लिए ज्यादातर डिडक्शन्स छोड़ने की शर्त थी। अब नई टैक्स व्यवस्था के तहत टैक्स छूट की सीमा बढ़ाकर ₹10 लाख तक की आय को टैक्स-फ्री किया जा सकता है। वर्तमान में, ₹75 हजार के स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ ₹7.75 लाख तक की आय वालों को टैक्स नहीं देना पड़ता।

इससे शहरी खपत को बढ़ावा मिलेगा

यदि सरकार टैक्‍स छूट का दायरा बढाती है या नया स्‍लैब लाती है तो इससे शहरी खपत को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। खासकर तब, जब देश की जीडीपी ग्रोथ धीमी हो रही है। वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 5.4% रही, जो सात तिमाहियों में सबसे कम है। टैक्स रियायत से लोगों की खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी, जिससे बाजार में मांग बढ़ेगी और इकनॉमी को मजबूती मिलेगी।

वित्त व्यवस्था के जानकारों का मानना है कि ₹15 लाख से ₹20 लाख तक की आय वालों के लिए 25% का टैक्स स्लैब लाना चाहिए। इससे मिडिल क्लास के पास ज्यादा पैसा बचेगा, जिससे कंज्यूमर ड्यूरेबल्स (जैसे फ्रिज, टीवी) की खरीदारी बढ़ेगी। यह भी कहा गया कि ₹15 लाख से थोड़ी अधिक आय पर 30% टैक्स अनुचित है। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को सैलरीड क्लास को राहत देनी चाहिए, लेकिन मौजूदा इंसेंटिव्स में बदलाव किए बिना।

फिस्कल डेफिसिट को लेकर ज्यादा फोकस

एक अन्य विशेषज्ञ के मुताबिक, सरकार फिस्कल डेफिसिट को लेकर ज्यादा फोकस्ड है। कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए बजट तो बनाया जाता है, लेकिन उसे खर्च करने में कमी होती है। उदाहरण के लिए, नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पास पर्याप्त फंड्स हैं, लेकिन उनका इस्तेमाल लोन चुकाने में हो रहा है।