

Lilavati Hospital के पूर्व ट्रस्टियों पर 2000 करोड़ के घोटाले का आरोप,काला जादू करने के भी आरोप !
मुंबई :लीलावती अस्पताल और अनुसंधान केंद्र बांद्रा, मुंबई, भारत में स्थित एक निजी अस्पताल है। अस्पताल की स्थापना 1978 में लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट द्वारा की गई थी लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट के वर्तमान ट्रस्टियों ने पूर्व ट्रस्टियों पर अब तक के सबसे बड़े मेडिकल घोटाले को अंजाम देने का आरोप लगाया है। ट्रस्ट ने 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की कथित हेराफेरी के मामले में तीसरी एफआईआर दर्ज करवाई है। अब ट्रस्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को भी पत्र लिखकर मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग की है और धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत जांच करने की अपील की है।बांद्रा मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट के निर्देश पर बांद्रा पुलिस ने 6 मार्च को LKMM के 14 पूर्व ट्रस्टियों और तीन निजी कंपनियों के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में मामला दर्ज किया।
ट्रस्ट के मौजूदा ट्रस्टियों का आरोप है कि अस्पताल से जुड़ी खरीदी में धांधली कर भारी मात्रा में फंड को अवैध रूप से डायवर्ट किया गया। जिन पर आरोप लगे हैं, वह दुबई और बेल्जियम में बैठे हुए हैं। पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर और LKMM के मौजूदा कार्यकारी निदेशक परमबीर सिंह ने कहा कि पूर्व ट्रस्टियों ने ट्रस्ट के फंड से भारी मात्रा में धनराशि गबन की। यह घोटाला सैकड़ों करोड़ रुपये का है।
नवीनतम एफआईआर में 14 पूर्व ट्रस्टियों और 3 निजी कंपनियों को नामजद किया गया है। आरोप है कि बीते 20 वर्षों में मेडिकल उपकरणों की खरीद-फरोख्त की आड़ में 1,250 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई।
85 करोड़ के घोटाले की जांच EOW के पास
आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने लीलावती अस्पताल के तीन पूर्व ट्रस्टियों के खिलाफ दर्ज 85 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी के मामले की जांच शुरू की है। एक अधिकारी ने बताया कि पिछले साल 30 दिसंबर को बांद्रा पुलिस स्टेशन में दर्ज मामला अदालत के आदेश पर जांच के लिए अब EOW को स्थानांतरित कर दिया गया था। उन्होंने बताया कि इसी के अनुसार मामले की जांच शुरू की गई है।
लीलावती हॉस्पिटल ट्रस्ट के कार्यकारी निदेशक परमबीर सिंह ने गंभीर आरोप लगाया है कि पूर्व ट्रस्टियों ने अस्पताल परिसर में वर्तमान ट्रस्टी बोर्ड के खिलाफ काला जादू करने का प्रयास किया, जिससे अस्पताल की स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है.
प्रशांत मेहता के मुताबिक, दिसंबर 2024 में कुछ पूर्व कर्मचारियों ने उन्हें इस काले जादू के बारे में जानकारी दी थी. इसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग विभाग को ऑफिस की फ्लोरिंग तोड़ने का निर्देश दिया, जहां से आठ कलश बरामद किए गए. इन कलशों में हड्डियां, खोपड़ी, बाल और चावल मिले, जिनकी पूरी घटना वीडियो में रिकॉर्ड की गई.
आपको बता दें कि अस्पताल के कार्यकारी निदेशक और पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने इस मामले पर गंभीर चिंता जताई, लेकिन बांद्रा पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया. इसके बाद मामला अदालत में पहुंचा, लेकिन कोर्ट ने पुलिस को जांच के निर्देश देने के बजाय खुद जांच करने का विकल्प चुना.
पूर्व ट्रस्टियों का पलटवार
हालांकि पूर्व ट्रस्टियों ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है. उन्होंने इसे गलत, निराधार और दुर्भावनापूर्ण करार देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी है. उनका कहना है कि यह आरोप ट्रस्ट के प्रबंधन पर अवैध रूप से कब्जा जमाने की साजिश का हिस्सा हैं.
Lokayukt Trap: महिला बाबू 5000 रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार