Jhabua Choupal: बंदरबांट में रायता फैला!  

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  आदिवासियों के पारंपरिक पर्व भगोरिया में मुख्यमंत्री की शिरकत के दौरान भाजपा नेताओं की अंदरूनी कलह साफ दिखाई दी। झाबुआ जिले के सरकारी स्कूलों में खेल सामग्री खरीद घोटाले में शामिल सत्ता दल के नेताओं की बंदरबांट ने रायता फैला दिया। एक असंतुष्ट नेता ने मुख्यमंत्री के सामने घोटाले के पोल खोल दी। इससे जिले की बदनामी तो हुई, उन नेताओं का भी चेहरा सामने आ गया, जो इस घोटाले में हिस्सेदार हैं।

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मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद प्रशासन ने ताबड़तोड़ कार्यवाही करते हुए कई कर्मचारियों ओर अधिकारियों को निलंबित कर दिया। लेकिन, भाजपा के घोटालेबाज नेता अभी तक पार्टी और संगठन की कुदृष्टि से बचे हैं। देखना है कि इन नेताओं पर कब और कैसे गाज गिरेगी या ये सभी यूंही छूट जाएंगे। भगोरिया में मुख्यमंत्री को आमंत्रित करने वाले नेता ने एक तीर से दो शिकार कर लिए। एक तो खरीदी घोटाला उजागर कर दिया, दूसरा अपनी ही पार्टी के विरोधियों को शक्ति प्रदर्शन से दिखा दिया की हम किसी से कम नहीं!

‘राजा साहब’ से बात हो गई!
भगोरिया के दौरान कांग्रेस के दो गुटों में हुए विवाद की गूंज राजधानी तक पहुंच गई। जोबट उपचुनाव से शुरू हुई, जुबानी जंग हाथा-पाई तक जा पहुंची। मामला थाने तक गया, रिपोर्ट हुई और आरोप-प्रत्यारोप के बाद कांग्रेस आलाकमान ने एक पक्ष की शिकायत पर दूसरे पक्ष के नेता को 6 साल के लिए आराम दे दिया। दिग्गज नेता की शिकायत पर हुई कार्यवाही को लेकर राजनीतिक हलकों में जोर शोर से चर्चा हो रही थी कि आने वाले समय मे दोनों नेताओं का राजनीतिक भविष्य क्या होगा और पार्टी पर इसका क्या असर होगा।

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निष्कासित नेता ओर उनके करीबियों के कान पर जूं तक नहीं रेंगना भी आश्चर्य करने जैसा था। जब मामले की तह तक गए तो पता चला की पार्टी से निकाले गए नेता ने अपने करीबियों से कहा कि ‘राजा साहब’ से बात हो गई है। कुछ दिन बाद सब ठीक हो जाएगा। कांग्रेस में राजा साहब कौन है, यह भी जगजाहिर है।

‘साहब’ विदाई समारोह को तरसे!
कांग्रेस की 14 माह की सरकार में जिले के एक प्रशासनिक अधिकारी ‘साहब’ ने अतिक्रमण मुहिम में कांग्रेस नेताओं के दम पर खूब तांडव मचाया था। वाह वाही लूटी और माल भी छापा। हाथ में डंडा लिए ये ‘साहब’ बुलडोजर लेकर जिधर निकलते उधर तबाही मच जाती थी। कांग्रेसी नेताओं ने भाजपा नेताओं के साथ राजनीतिक ओर व्यक्तिगत द्वेष निकालने के लिए ‘साहब’ का भरपूर उपयोग किया। लेकिन, जैसे ही सरकार बदली और फिर भाजपा की सरकार बनी, साहब ने मौका देखते ही पाला बदल लिया। भाजपा नेता की दहलीज पर माथा टेकने पहुंच गए।

 

यह देखकर कांग्रेस नेता भी भौंचक्के रह गए। लेकिन, अपना रोब झाड़ते हुए कालीटोपी-खाकी पेंट से भिड़ना साहब को महंगा पड़ गया। साहब लूप लाईन में डाल दिए गए, पर साहब ने फिर भी आस नहीं छोड़ी। जिस भाजपा नेता की साहब ने सेवा की थी उनसे उम्मीद लगाए बैठे थे की फिर मलाईदार कुर्सी दिलवाएंगे। लेकिन, इंतजार की घड़ियां समाप्त हो गई और साहब का तबादला हो गया। बड़े साहब ने छोटे साहब को रिलीव कर दिया। साहब का किसी ने विदाई समारोह भी नहीं मनाया। चलते चलते यह भी बता दें कि ये साहब रंगीन मिजाज भी थे और रंगरेलियां मनाने के लिए भी मशहूर थे। तबादले के बाद भी सप्ताहभर तक ‘साहब’ ने सरकारी गाड़ी नहीं छोड़ी। जब बड़े साहब ने हड़काया, तब गाड़ी जमा हुई।

जय-वीरू की दोस्ती!
फिल्म शोले की कहानी तो सभी को याद होगी। जिसमें दो दोस्तों का किरदार अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र ने निभाया था। कोरोना काल के दो साल बाद इस बार मनाई गई होली पर ऐसी ही दोस्ती झाबुआ में दिखाई दी। जिले के दो प्रशासनिक मुखिया होली के रंग मे इतने सराबोर हो गए की ‘शोले’ के कई सीन याद आ गए।

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दोनों युवा अधिकारी अपने पद और मर्यादा की सीमा में रहते है, लेकिन होली के रंग में इतने रंग गए की मन में छुपी दोस्ती बाहर आ गई। दोनों अधिकारियों ने अपने मातहतों के साथ प्रेम ओर आत्मीयता पूर्वक त्योहार मनाया। खूब रंग गुलाल उड़ाया, ठंडाई का लुत्फ उठाया, होली के फिल्मी ओर पारंपरिक गीतों पर झूम के नाचे-गाए और होली को यादगार बना दिया।