पुर्तगालियों की यादों को सहेजे, समुद्र से घिरा “दीव” कहता है थोड़ा और ठहरो यहां…

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खंडहर होते किले को सहेजने की मानो अब शुरुआत कर रहा पुरातत्व विभाग का काम यह बता रहा है कि 1961 तक पुर्तगालियों के कब्जे में रहे दीव की सजा मानो उनकी धरोहरों को दी जा रही थी। यह शायद इन धरोहरों के साथ हो रही नाइंसाफी ही थी, जिसकी सुध लेकर मानो भूलसुधार कर लिया गया हो। यदि मरम्मत और पुनर्निर्माण का कार्य पूरा हो गया, तो यह किला फिर जीवंत हो उठेगा। अगर किले में ही कोई हेरिटेज होटल बनाकर पर्यटकों को रुकने की सुविधा दी गई, तो शायद यह सर्वश्रेष्ठ हेरिटेज होटल में शुमार हो जाए।
यह किला तीन तरफ से समुद्र से घिरा है। किले के अंदर ही बना पनिकोटा किला “फोर्टिम-डो-मार” के नाम से भी जाना जाता है। पनिकोटा फोर्ट एक पूर्व दीव जेल है। सफेद रंग की यह विशाल संरचना दीव किले के भीतर स्थित है। और यहां पहुंचने वाले सैलानियों का मन यह जरूर होता है कि समुद्र में स्थित इस इमारत के दीदार किए जाएं। फिलहाल यहां इस बुलंद पर जर्जर दिखती इमारत में पुनर्निर्माण कार्य होने से आवागमन बंद है। वहीं पुर्तगालियों के समय के चर्च पुरानी बुलंदियों को बयां करते हैं। पर दु:ख की बात यह है कि पुरानी सभी इमारतें खस्ताहाल हैं। और यहां का आकर्षण बने हुए हैं वह बीच, जो पर्यटकों को एडवेंचरस गतिविधियों का आमंत्रण देते हैं और जो पर्यटकों को समुद्री लहरों के साथ संभलकर लुत्फ उठाने की हिदायत भी देते रहते हैं।
फिलहाल यहां का खास आकर्षण बन गया है, आईएनएस खुखरी स्मारक। यह एक भारतीय नौसेना जहाज का स्मारक स्थल है जो 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान डूब गया था। यह स्थान आईएनएस खुखरी रोड पर स्थित है और स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों के बीच काफी लोकप्रिय है। शाम को समुद्र किनारे बेहतर तरीके से विकसित किए गए इस स्थल पर सनसेट देखना सैलानियों के खास आकर्षण का केंद्र है। तो इसके पास ही स्थित गंगेश्वर मंदिर पहुंचना हिंदुओं की आस्था की लहरों को किनारा दे देता है। सभी पर्यटक स्थलों को खास तौर पर विस्तार मिलता है समुद्र की उस असीम जलराशि से, जिसकी लहरें सभी को सहज ही अपनी तरफ लुभा लेती हैं। जिसका असीमित फैलाव शायद हर इंसान से कहता है कि जितना हो सके खुद को उतना विस्तार दो। ऐसा विस्तार जो दूसरों को कष्ट न दे, बल्कि सभी को खुशियां देने का जरिया बने। ऐसी ही है यह लुभावनी जगह दीव, जिसके “बीच” और दूसरे पर्यटक स्थलों पर अक्सर मौसम बड़ा आनंदित करने वाला है और समुद्र बार-बार कहता है कि हमारे इस दीव में थोड़ा और ठहरो।
जब दीव में प्रवेश किया, तब ऐसा लगा था कि पुर्तगाली किला शायद सबसे संरक्षित स्थल होगा। पर जब किले में प्रवेश किया, तो लगा कि सुदूर पश्चिमी क्षेत्र में स्थित होने के चलते शायद किले पर किसी की नजर नहीं पड़ पाई है। अंदर जाकर पुख्ता हो गया कि हालत बड़ी जीर्णशीर्ण है और किला खंडहरनुमा होने को मजबूर है। फिर दिखा जैसे तरस खाकर पुरातत्व ने थोड़ा बहुत काम करने का मन बनाया हो। हां यह बात सही है कि गिने-चुने पर्यटकों को भी शाम ठीक 5.45 बजे किले से बाहर निकालने के लिए सीटी बजाने वाले गार्ड पर्याप्त संख्या में यहां मौजूद दिखे।
और गाइड के नाम पर मौजूद था, किले के अंदर का वह सूचना पटल जो किले के इतिहास और इसकी बुलंदी की गवाही पूरी ईमानदारी से दे रहा है। हालांकि दीव की सड़कें अच्छी बनी हैं। शहर में पुराने घरों को भी सलीके से संभाला गया है। नए निर्माण भी दिखते हैं। पर “मॉल संस्कृति” ने अभी तक दीव पर अपना प्यार नहीं उड़ेला है। बाजार के नाम पर कुछ गिनी-चुनी दुकानें ठीक उसी तरह हैं, जैसे बड़े शहरों में फुटपाथ पर दुकानें सजा दी जाती हों। बाकी बाजार का पेट पास स्थित गुजरात का ऊना शहर ही भरता है, जो दीव के करीब ही है।
बाकी बात रही गुजरात में शराबबंदी की और दीव में शराब पर प्रतिबंध न होने की, तो आंखों से भले न देख पाया हो लेकिन गुजरात के बासिंदे इस बात की गवाही खुलकर देते हैं कि पीने वालों के लिए सब कुछ वहीं मौजूद है, जहां वह चाहते हैं। शराबबंदी का जिन्न उन्हें जकड़ नहीं सका है। और दीव पहुंचने पर मुझे लग गया कि यहां न तो बड़ी-बड़ी शराब की दुकानें ही हैं और न ही इन दुकानों पर गुजराती भाईयों की वह भीड़ ही, जो उन्हें शराबबंदी के चलते दीव पहुंचकर शराब खरीदने को मजबूर कर रही हो। हां दीव में प्रवेश करते ही आबकारी का वह ऑफिस जरूर दिख गया, जो पर्यटक वाहनों से टैक्स वसूलता है।
और यह पता भी चला कि पर्यटक टैक्सी वाहन से 140 रुपए टैक्स वसूला जाता है और 60 रुपए का नजराना भी खुशी-खुशी 200 रुपए के नोट में शामिल हो जाता है। इसी तरह कुछ अघोषित वसूली प्राइवेट वाहनों से भी हो जाती है, जो लोग आटे में नमक जैसा होने से खुशी-खुशी दे भी देते हैं। स्मार्ट सिटी में शामिल होने की वजह से दीव को स्मार्ट बनाने की कोशिश जारी है। पर्यटकों को समुद्र की अथाह जलराशि ही मानसिक और शारीरिक सुकून देने के लिए असीमित है। समुद्र से घिरा होने के चलते दीव का मौसम भी आनंददायक हो जाता है। और पर्यटक आने के बाद कम से कम 24 घंटे यहां रुकने का मन तो बना ही लेते हैं। समुद्र भी कहे बिना नहीं रहता कि थोड़ा और ठहरो हमारे दीव में, हम आपको निराश नहीं होने देंगे। और उम्मीद है कि इस स्मार्ट सिटी की पुरानी धरोहरें भी जल्दी स्मार्ट होकर कम से कम “गाइड” के पेशे को यहां पर पर्यटकों के जरिए भरण-पोषण का अवसर भी देंगीं। और पर्यटकों को भी निराश नहीं होने देंगीं।