Municipal Elections: पद, परिवारवाद, पट्ठावाद, उम्र क्राइटेरिया पर BJP तय कर रही गाइडलाइन

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Pachmarhi
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भोपाल: चुनाव लड़ने वाले कैंडिडेट्स के लिए परिवारवाद, पट्ठावाद और उम्र के क्राइटेरिया पर भाजपा में मंथन हो रहा है। नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव संचालन समितियों की बैठकों के जरिये भाजपा इसके लिए गाइडलाइन तय करने जा रही है।

इसको लेकर संचालन समिति की पहली बैठक में पार्टी नेताओं के सुझाव लेने का काम किया जाएगा। पार्टी इस बात पर फोकस करेगी कि जो क्राइटेरिया तय हो वह पार्टी की जीत का मार्ग प्रशस्त करे।

स्थानीय निकाय चुनाव को आम चुनाव की तर्ज पर लेकर भाजपा इस चुनाव के जरिये यह संदेश देना चाहती है कि 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी पूरी तरह तैयार है और जीत की राह भी तय है।

इसी के चलते सोमवार को पहले नगरीय निकाय चुनाव संचालन समिति की बैठक प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा, चुनाव संचालन समिति के पदाधिकारी उमाशंकर गुप्ता समेत अन्य सदस्यों की मौजूदगी में हो रही है।

इस बैठक में अंतिम दौर में सीएम शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हो सकते हैं।

सूत्रों ने बताया कि पार्टी इस चुनाव में खासतौर पर नगरीय निकाय चुनाव के टिकट पर ज्यादा फोकस करेगी और गाइडलाइन तय करेगी कि टिकट वितरण का क्राइटेरिया क्या होगा?

चूंकि भाजपा में विधायकों की उम्र, परिवारवाद के रूप में नेता-मंत्री पुत्रों-परिजनों को और पट्ठावाद के आधार पर टिकट वितरण का विरोध होता रहा है।

साथ ही केंद्र की गाइडलाइन में भी इसको लेकर कई बार राज्य को संदेश मिलता रहा है, इसलिए बैठक में इस पर चर्चा होना तय है कि पार्टी महापौर, नगरपालिका अध्यक्ष के टिकट वितरण में विधायकों को टिकट देगी या नहीं, विधायकों, मंत्रियों के परिजनों को टिकट दिए जाने, दो या अधिक चुनाव लड़ चुके नेताओं को टिकट देने या उम्र का बंधन तय करने की रणनीति में से किस मुद्दे पर ज्यादा फोकस करना है और कैसे जीत की राह आसान करनी है?

चूंकि संगठनात्मक चुनाव में उम्र का क्राइटेरिया तय कर जिला अध्यक्षों के लिए 55 साल और मंडल अध्यक्षों के लिए 40 साल की लिमिट तय की गई थी, इसलिए उम्र का क्राइटेरिया तय कर युवाओं को अधिक से अधिक नेतृत्व का मौका देने पर पार्टी निर्णय ले सकती है।

यही स्थिति बगैर दलीय आधार पर होने वाले पंचायत चुनाव के मामले में भी लागू की जा सकती है।