New Delhi : पंजाब के पूर्व CM और भारतीय सेना में कैप्टन रहे अमरिंदर सिंह ने कहा ‘अग्निपथ’ योजना के तहत चार साल के अनुंबध पर ये सैनिक शारीरिक जोखिम लेने से बच सकते हैं। 1971 के युद्ध में हम इसकी बानगी देख चुके हैं।
केंद्र सरकार ने दशकों पुरानी रक्षा भर्ती प्रक्रिया में आमूलचूल परिवर्तन करते हुए नौसेना, थलसेना और वायुसेना में सैनिकों की भर्ती संबंधी ‘अग्निपथ’ नामक योजना को मंगलवार को मंजूरी दी। इस योजना के तहत सैनिकों की भर्ती 4 साल की अवधि के लिए संविदा आधार पर की जाएगी। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार की इस योजना पर कड़ी आपत्ति जताई। राजनीति में आने से पहले अमरिंदर सिंह सिख रेजिमेंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
उनके परिवार के कई सदस्य भी सेना में रहे हैं। अखिल भारतीय ऑल क्लास पद्धति के तहत सैनिकों की भर्ती प्रक्रिया की कड़ी आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि यह एकल वर्ग रेजिमेंट जैसे सिख, सिख लाइट इन्फैंट्री, गोरखा राइफल्स, राजपूत रेजिमेंट, जाट रेजिमेंट के लिए मौत की घंटी बजाने जैसा है। इससे उन कई रेजींमेंट की संरचना में बदलाव आएगा, जो विशिष्ट क्षेत्रों से भर्ती करने के अलावा राजपूतों, जाटों और सिखों जैसे समुदायों के युवाओं की भर्ती करती हैं।
लंदन से एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि ऐसा करने का क्या कारण है, मुझे समझ नहीं आ रहा। उन्होंने कहा कि सिंगल क्लास रेजिमेंट के साथ ऑल इंडिया ऑल क्लास का प्रयोग 80 के दशक में शुरू किया गया, जो कि फेल रहा था। उन्होंने कहा कि ये रेजिमेंट अपने वर्तमान माहौल में अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं, तो फिर इसमें बदलाव क्यों? कैप्टन ने कहा कि मैं इस कदम से सहमत नहीं हूं।
उन्होंने कहा कि रेजिमेंटों की अपनी परम्पराएं और जीने का तरीका होता है तो आप किसी ऐसे व्यक्ति से कैसे ये सब करने की उम्मीद कर सकते हैं जो इस पृष्ठभूमि से ही नहीं है। कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि चार साल के कार्यकाल के साथ, एक सैनिक के पास मैदान में जाने से पहले सैनिकों का बुनियादी अनुभव इकट्ठा करने के लिए मुश्किल से पर्याप्त समय होगा। उन्होंने कहा कि सात साल की सेवा अवधि और सात साल की आरक्षित देयता हुआ करती थी। लेकिन, अब एक सैनिक के लिए अत्याधुनिक रूप से परिपक्व होने के लिए चार साल का समय बहुत कम है।
क्या है सरकार की ‘अग्निपथ’ योजना
सेना में अधिक योग्य और युवा सैनिकों को भर्ती करने के लिए दशकों पुरानी चयन प्रक्रिया में बड़े बदलाव को लेकर रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इस योजना के तहत तीनों सेनाओं में इस साल 46 हजार सैनिकों की भर्ती की जाएगी। सैनिकों की पात्रता आयु 17.5 वर्ष से 21 वर्ष के बीच होगी, जिन्हें ‘अग्निवीर’ नाम दिया जाएगा! कैप्टन ने कहा कि 1971 के युद्ध में हम संविदा सैनिकों का खराब प्रदर्शन देख चुके हैं। उस दौरान मेरा अनुभव यह रहा कि वे जोखिम लेने से कतराते हैं। क्योंकि, उन्हें लगता है कि उन्हें केवल थोड़े समय के लिए बुलाया गया है। अग्निपथ में भी ऐसा ही होने की संभावना है। चार साल के अनुंबध पर ये सैनिक किसी प्रकार का शारीरिक जोखिम लेने से बच सकते हैं।