उदयपुर की घटना कलंकित करने वाली कायराना हरकत है…

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उदयपुर की घटना कलंकित करने वाली कायराना हरकत है...
समुदाय विशेष के खिलाफ विवादित बयान देने वाली भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा के खिलाफ राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। यहां तक कि भाजपा ने भी न केवल नूपुर के बयान से पल्ला झाड़ा था, बल्कि उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता भी दिखाया था। यह प्रसंग सिर्फ इसलिए कि उदयपुर में नूपुर शर्मा के पक्ष में सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने वाले व्यक्ति की नृशंस तरीके से की गई हत्या यह सोचने पर मजबूर कर रही है कि क्या यह घटना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर धारदार हथियारों से किया गया हमला है?
यह न केवल घृणित है, वरन घृणा की पराकाष्ठा है। ऐसे अपराधियों का समर्थन कोई भी नेता और कोई भी दल नहीं कर सकता। यह आजाद भारत में वही दागी और घृणित चेहरे हैं, जिनको न लोक पर भरोसा है और न तंत्र पर। जिन्हें यह लगने लगा है कि अब उनका खुद का अस्तित्व खतरे में है, इसलिए लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए वह विकृतता पर उतर आए हैं। यह लोकतांत्रिक और संवैधानिक व्यवस्था पर किया गया हमला है। ठीक उसी तरह जैसे कुछ समय पहले गौवंश की हत्या के नाम पर सरेराह कानून हाथ में लेकर कथित हत्याओं की खबरें आती थीं। इसी तरह उदयपुर की घटना ने सबको शर्मसार कर दिया है। जरूरत यही है कि ऐसे गुनाहगारों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाना चाहिए। इन्हें कठोरतम दंड मिलना चाहिए, ताकि कानून हाथ में लेकर अपराध करने वालों की रूह कांपने लगे।
वैसे अपराधियों का कोई धर्म नहीं होता, न ही इनसे इंसानियत की अपेक्षा की जा सकती है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की प्रतिक्रिया उनकी मंशा जाहिर कर रही है। उन्होंने कहा कि उदयपुर की घटना कोई मामूली घटना नहीं है। वह जिस रूप में की गई है, वो कल्पना के बाहर है। उन्होंने आश्चर्य जताया कि ऐसा भी कोई कर सकता है क्या? इसकी जितनी निंदा करें, कम है। मैंने सबसे अपील की है कि शांति बनाए रखें। मैंने नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया से बात भी की है। हम कहते हैं कि सब मिलकर ऐसे वक्त में तनाव पैदा नहीं होने दें।
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दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर पुलिस ने भी मंशा जता दी है कि हत्यारों को सजा दिलाने में कोई चूक नहीं होगी। पर पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान लग रहा है कि मृतक कन्हैया द्वारा धमकी मिलने की शिकायत करने पर यदि समय रहते आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही होती, तो शायद ऐसी वीभत्स घटना को टाला जा सकता था। अच्छी बात यह है कि समय रहते राहुल गांधी की प्रतिक्रिया भी आई और उन्होंने घटना की निंदा और नफरत फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की बात कही है। पर सवाल यहां उठेगा कि क्या राहुल गांधी मृतक के घर पहुंचकर सांत्वना देंगे, जिस तरह से यह उनकी आदत में शुमार माना जा सकता है। अब घटना उस राज्य में हुई है, जहां उनके दल की ही सरकार है। खैर उनका जाना या न जाना उतना महत्वपूर्ण नहीं है।

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पर उदयपुर की यह घटना सबक सिखाने के लिए काफी है। इस कायराना हरकत को सामान्य तौर पर कतई नहीं देखा जा सकता। अच्छा यही है कि ऐसी घटना को दलीय प्रतिक्रियाओं में न बांटकर अपराधियों के खिलाफ कठोरतम कार्यवाही की जाए, ताकि कानून हाथ में लेने का दुस्साहस देश में कोई न कर पाए।