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भोपाल:
प्रदेश की 36 नगर पालिकाओं के सामने आए चुनाव परिणामों में से कांग्रेस के एक दर्जन विधायकों के सामने हार के खतरे की घंटी बज गई है। कांग्रेस के ये विधायक अपने क्षेत्र की नगर पालिका में पार्षदों की इतनी संख्या नहीं ला सके कि नगर पालिका में पार्टी का बहुमत हो सके। दरअसल कमलनाथ ने पार्षद के टिकट दिए जाने में विधायकों को महत्व दिया था, लेकिन विधायक इन्हें जीत दिलाने में खरे नहीं उतर सके। इसमें विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष एनपी प्रजापति भी शामिल हैं।
रविवार को नगर पालिकाओं के आए नतीजों में 36 में से 29 नगर पालिकाओं में भाजपा ने कब्जा किया। इसमें से कांग्रेस ऐसी एक दर्जन नगर पालिका हार गई, जहां पर उसके विधायक हैं। इनमें से कुछ विधायक तो मध्य प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में बड़ा कद भी रखते हैं। गोटेगांव से कांग्रेस के एनपी प्रजापति विधायक हैं। वे कमलनाथ सरकार के दौरान विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे। गोटेगांव के 15 वार्डो में से कांग्रेस के महज दो पार्षद ही जीत सके। भाजपा ने एक तरह से एनपी प्रजापति के क्षेत्र में क्लीन स्विप किया है। भाजपा के यहां से 12 और एक निर्दलीय पार्षद बने हैं। इसी तरह राजगढ़ से कांग्रेस विधायक बाबू सिंह तंवर भी सिर्फ कांग्रेस के तीन उम्मीदवार ही जीता सके। वहीं ब्यावरा से रामचंद्र दांगी सात प्रत्याशी कांग्रेस के जीता सके। विदिशा विधायक शशांक भार्गव 39 में से महज 6 उम्मीदवार ही जीता सके।
इसी तरह डबरा, अमरवाड़ा, गाड़रवारा, शाजापुर, छतरपुर, दमोह, बैतूल, श्योपुर की स्थिति रही। शाजापुर के विधायक हुकुम सिंह कराड़ा नाथ की सरकार में मंत्री रह चुके हैं,उनके क्षेत्र से 29 में से सिर्फ 9 ही कांग्रेस के पार्षद बने। कमलनाथ का गढ़ माने जाने वाले छिंदवाड़ा जिले के अमरवाड़ा में भी विधायक कमलेश शाह 15 में से 5 पार्षद ही जीता सकें।
जल्द होगी बैठक
कांग्रेस अभी दूसरे दौर की मतगणना का इंतजार कर रही है। प्रदेश में कुल 99 नगर पालिकाओं में से 36 के परिणाम आ चुके हैं। बाकी के नतीजे आने के बाद कांग्रेस सभी क्षेत्रों की समीक्षा करेंगी। खासकर उन क्षेत्रों से जिनमें कांग्रेस विधायक हैं और पार्टी वहां पर नगर पालिका में अपना बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकी।