यह फैसले भी अच्छे हैं और फैसलों की गति भी प्रभावी है…

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|CM Shivraj
सोमवार का दिन और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सुबह से विशेष बैठक। हवाला दिया गया था कि पन्ना जिले के अधिकारी वीसी से जुड़ेंगे और अजयगढ़ में मध्यान्ह भोजन वितरण में गड़बड़ी पर चर्चा होगी। पर जो खबरें बाहर आईं वह बिल्कुल ताबड़तोड़ एक्शन वाली थी और उनमें पन्ना का जिक्र भी नहीं था। पहला फैसला गाज गिराने वाला था, तो दूसरा फैसला राहत की बौछार करने वाला था। दोनों ही फैसले जितनी तीव्र गति से किए गए थे, वह प्रभावी थे और प्रभावित करने वाले थे। दोनों फैसलों में त्वरित एक्शन का संदेश यही था कि सीएम सुपर एक्शन मोड में आ गए हैं। और पिछले महीनों की आपाधापी के बाद कूनो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सान्निध्य पाकर शिवराज को फिर जो ऊर्जा मिली, उससे वह तरोताजा हो गए हैं। इन दो फैसलों के बाद ही मोदी की उज्जैन आने की सूचना भले ही पुरानी हो, लेकिन जिस तरह से एक महीने में दूसरी बार मध्यप्रदेश आने की बात साझा की गई…उसने शिवराज के सुपर एक्शन मोड पर मुहर लगा दी। वैसे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ भी एक्शन मोड में हैं और जिस तरह उन्होंने हेमंत कटारे की नाराजगी के मामले में कहा है कि जिसे भाजपा में जाना है, उसे अपनी कार से भेज देंगे…वह भी कमलनाथ की साफगोई और सुपर एक्शन मोड का ही उदाहरण है। जिस तरह 2020 में मुख्यमंत्री रहते हुए कमलनाथ ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के सड़क पर उतरने के बयान पर भी प्रतिक्रिया दी थी कि जिसे सड़क पर उतरना है वह उतर जाए।
तो शिवराज का सोमवार का सुबह-सुबह का फैसला था कि झाबुआ एसपी को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए। वजह यही कि मामा के भानजों को एसपी ने फोन पर गालियां दी थीं। औकात दिखाई थी। वॉइस रिकार्डिंग वायरल हुई थी। एसपी का व्यवहार गलत था और मर्यादा के विपरीत था। शिवराज ने सीएस-डीजीपी को एसपी को हटाने के निर्देश दिए और आनन-फानन में आईपीएस अरविंद तिवारी को झाबुआ एसपी से हटाकर पुलिस मुख्यालय में पदस्थ करने का आदेश जारी हो गया। और मामला यहां भी नहीं ठहरा। आनन-फानन में वॉइस रिकार्डिंग में झाबुआ के तत्कलीन एसपी की आवाज की पुष्टि होने पर उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। यह फैसला थोड़ा कड़वा सा था, तो इसके ठीक बाद मीठा सा फैसला आ गया। कोरोना के चलते पीएससी की परीक्षाएं स्थगित होने के कारण जो युवा ओवरएज हो गए थे, उनकी परेशानी का समाधान करते हुए मामा ने एक साल के लिए अधिकतम आयु में तीन साल की छूट देने का फैसला सुना दिया। और आदेश भी उसी गति से निकला, जितनी गति से फैसला किया गया था। मामला यहां भी नहीं रुका। इसके बाद बारी आई रीवा जिले की, तो रीवा जिला प्रशासन को सीएम के सख्त निदेश हुए कि दुष्कर्म के आरोपियों को नेस्तनाबूद कर दो, कोई दया नहीं रखनी है। तो यह रहा सीएम का सिंघम मोड। तो पन्ना कहीं बादलों में छिप गया और झाबुआ, रीवा और भानजे-भानजियों के संग न्याय धरातल पर दिख गया। और इसके बाद फिर एक माह में मोदी के मध्यप्रदेश आने की खबर और 11 अक्टूबर को महाकाल कारीडोर के प्रथम चरण का लोकार्पण करने उज्जैन आने की जानकारी साझा की गई। यानि कि दिन भी शिवराज का और ताबड़तोड़ फैसले भी असरकारी ौ। इसके बाद दिनभर का दौरा। उज्जैन महाकालेश्वर परिसर के निर्माण कार्यों का अवलोकन और रतलाम, पेटलावद होते वापस भोपाल।

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तो लगा न कि चीतों के मध्यप्रदेश आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी चीतों की गति से ही फैसले भी ले रहे हैं और आदेश भी चीतों की गति से निकल रहे हैं। शिवराज का यह सुपर एक्शन मोड बरकरार रहे और त्वरित फैसले और त्वरित आदेश निकलते रहें। निश्चित तौर पर यह फैसले भी अच्छे हैं और फैसलों की गति भी प्रभावी है…।