किस जमीन पर कितना कर्ज, किस पर हुई बेल, अब एक दिन में प्रमाणपत्र देगी सरकार

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Finance Department Issued Orders

किस जमीन पर कितना कर्ज, किस पर हुई बेल, अब एक दिन में प्रमाणपत्र देगी सरकार

भोपाल: यदि आप प्रदेश में कोई जमीन खरीदने जा रहे है और आपको पता करना है कि उस जमीन पर बैंको और वित्तीय संस्थाओं का कितना कर्ज है या उस जमीन का उपयोग कर किसको जमानत दिलाई गई और जमीन कहीं बंधक तो नहीं है यह सारी जानकारी अब राज्य सरकार न केवल प्रमाणित करेगी बल्कि एक दिन में यह प्रमाणपत्र आम आदमी को भी मिल जाएगा।

राजस्व विभाग ने भूमि पर विल्लंगम तथा प्रभार का प्रमाणपत्र देने की सेवा को लोक सेवा गारंटी के दायरे में शामिल किया है। इसके लिए केवल एक दिन की समयसीमा भी तय कर दी गई है। तहसीलदार, अपर तहसीलदार, नायब तहसीलदार अपने-अपने अधिकारिता क्षेत्र में यह प्रमाणपत्र मांगने पर जारी करेंगे। एक दिन में यह प्रमाणपत्र नहीं मिलता है तो अनुविभागीय अधिकारी के पास अपील की जा सकेगी। वे पंद्रह दिन के भीतर इस आवेदन पर कार्यवाही कर प्रमाणपत्र दिलवाएंगे। यहां पर भी समयसीमा में प्रमाणपत्र नहीं मिला तो कलेक्टर के पास इसके लिए अपील की जा सकेगी।

प्रमाणपत्र में यह जानकारी मिल सकेगी-
सारे बैँक, सिविल कोर्ट को राजस्व विभग ने सीधे लेंड रिकार्ड से जोड़ दिया है। किसी भी बैंक में जमीन गिरवी रखकर यदि कोई व्यक्ति कर्ज लेता है तो उसका पूरा ब्यौरा कितनी अवधि के लिए कितनी राशि का कर्ज लिया गया है और कितना कर्ज बाकी है यह जानकारी इस प्रमाणपत्र में प्रदाय की जाएगी। इसके अलावा आपराधिक मामलों या अन्य मामलों में यदि कोर्ट में किसी जमीन को जमानत के रुप में उपयोग कर आरोपी की जमानत कराई जाती है तो इसकी भी पूरी जानकारी दी जाएगी कि किसकी जमानत कराई गई है और कितनी अवधि के लिए यह जमानत दी गई है। यह सारी जानकारी अब लोक सेवा केन्द्र या एमपी आॅनलाईन पर या फिर राजस्व विभाग की वेवसाईट पर आवेदन कर प्राप्त की जा सकेगी। इसके लिए पहले पेज का शुल्क तीस रुपए होगा और इसके बाद प्रत्येक पेज के लिए पंद्रह रुपए का शुल्क निर्धारित किया गया है। आॅनलाईन शुल्क भरकर इस सेवा का लाभ मिल सकेगा।

इन्हें होगा फायदा-
अभी तकसर्च रिपोर्ट के जरिए यह जानकारी निकलवाई जाती थी। इसके लिए वकील को फीस देना होता था। अब आमजन स्वयं यह जानकारी निकलवा सकेंगे। वकीलों को भी प्रमाणित जानकारी आसानी से मिल जाएगी। किसी जमीन को खरीदने से पहले उस पर कर्ज और जमानत तथा देनदारी की सारी जानकारी खरीददार को मिल सकेगी। अब भूमिस्वामी इस जानकारी को छुपा नहीं सकेंगे। पहले ऋण पुस्तिका पर जमानत और कर्ज की जानकारी दर्ज की जाती थी लेकिन भूमिस्वामी और कोर्ट या बैंक को ही इसकी जानकारी होती थी। अब यह जानकारी सभी को सुलभ हो सकेगी।