निष्क्रिय और शिकायत वाले संगठन व निगम मंडल पदाधिकारियों पर होगा एक्शन
भोपाल: बीजेपी जल्द ही निष्क्रिय और शिकायत वाले निगम मंडल पदाधिकारियों और जिला अध्यक्षों व अन्य पदाधिकारियों पर एक्शन लेगी। बीजेपी कोर कमेटी की बैठक में इसको लेकर हुए मंथन के बाद संगठन द्वारा ऐसे नेताओं की सूची तैयार की जा रही है जो पार्टी लाइन की अनदेखी कर रहे हैं और जनता व कार्यकर्ता से संवाद में पीछे हैं। इनकी जगह नए कार्यकर्ताओं को मौका दिया जाएगा।
भाजपा कोर कमेटी की मंगलवार को हुई बैठक में पार्टी के शीर्ष नेताओं की मौजूदगी में यह फैसला लिया गया है कि संगठन के कामकाज में लापरवाही करने वालों को जिम्मेदारी से मुक्त किया जाए और ऐसे कार्यकर्ताओं को मौका दिया जाए जो काम को लेकर गंभीर हैं। इससे पार्टी के आगामी कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में भी तेजी आएगी और जो कार्यकर्ता मेहनतकश हैं, उन्हें जिम्मेदारी मिलने पर वे दोगुने जोश के साथ काम करेंगे। संगठन सूत्रों के अनुसार कोर कमेटी ने निष्क्रिय और शिकायत वाले पदाधिकारियों की श्रेणी में न सिर्फ जिला अध्यक्षों को शामिल किया है बल्कि 11 माह पहले 24 दिसम्बर को निगम मंडल, प्राधिकरण, बोर्ड की जिम्मेदारी पाने वाले 25 नेताओं को भी इसकी कैटेगरी में रखा है। संगठन इनके साथ ही निष्क्रिय जिला और संभागीय प्रभारियों पर भी एक्शन लेने की तैयारी में है।
*पांच संभागीय प्रभारी बदलना इसी निर्णय की कड़ी*
कोर कमेटी की बैठक के दिन ही बीजेपी ने पांच संभागों के प्रभारियों के क्षेत्रों में बदलाव किया है। यह बदलाव कोर कमेटी के इसी फैसले का असर माना जा रहा है। वैसे भी नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के बाद कमजोर परफार्मेंस और वरिष्ठ नेताओं के साथ समन्वय न बना पाने वाले जिला अध्यक्षों की सूची तैयार कराई जा चुकी है। इसी कड़ी में मांडू में हुए तीन दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग के ऐन पहले छह जिला अध्यक्षों को हटा दिया गया था और नए कार्यकर्ताओं को संगठन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
*एक्टिव मोड में रहें संगठन कार्यकर्ता*
पार्टी ने तय किया है कि आने वाले महीनों में चुनावी साल के चलते हर पदाधिकारी को को एक्टिव मोड में रहना होगा। कार्यकर्ताओं की लापरवाही संगठन को नुकसान पहुंचाएगी। इसीलिए संगठन एप के जरिये निगरानी करने की व्यवस्था पहले ही की जा चुकी है। साथ ही अब बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को भी मुख्य धारा से जोड़कर वरिष्ठ नेताओं की रिपोर्ट ली जाएगी। जिम्मेदार नेता फील्ड में जाने के मामले में झूठ न बोलें और कार्यकर्ताओं से संवाद में कमजोरी न रहे। इसकी सीधी निगरानी प्रदेश से लेकर केंद्रीय नेतृत्व तक को सौंपी गई है।