यह सम्मानजनक जीत-हार है…

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यह सम्मानजनक जीत-हार है…

भारतीय क्रिकेट टीम को सेमीफाइनल में एकतरफा हराने वाली इंग्लैंड क्रिकेट टीम को फाइनल मैच एकतरफा जीतने का अवसर नहीं मिला। पाकिस्तान क्रिकेट टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए आठ विकेट खोकर 137 रन बनाए थे। तो बाद में बल्लेबाजी करने उतरी टीम इंग्लैंड ने यह सोचा होगा कि भारत की तरह ही पाकिस्तान को एकतरफा हराकर टी-20 वर्ल्डकप अपने नाम कर लेंगे। पर पाकिस्तान के गेंदबाजों ने इंग्लैंड के इन अरमानों पर पानी फेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। शायद अफरीदी को घायल होकर मैदान न छोड़ना पड़ता और मैच की तस्वीर बदल जाती तो कोई आश्चर्य की बात नहीं थी। चोटिल हुए अफरीदी का समर्पण भाव प्रेरित करने वाला है कि दर्द होने के बाद भी गेंदबाजी करने के लिए मैदान में लौटे, लेकिन एक डॉट गेंद फेंकने के बाद दर्द ने दूसरी गेंद फेंकने की इजाजत नहीं दी। और अफरीदी को मजबूर मन से मैदान छोड़ने को मजबूर होना पड़ा। उसी ओवर को इफ्तिखार को दिया गया और मैच का परिणाम इंग्लैंड के पाले में जाकर खड़ा हो गया। टी-20 वर्ल्ड कप क्रिकेट, इंग्लैंड ने पाकिस्तान को 5 विकेट से हराकर जीत लिया। फाइनल मैच में पाकिस्तान ने पहले खेलते हुए 20 ओवर में 137 रन 8 विकेट खोकर बनाए थे।

इंग्लैंड ने जीत के लिए 138 रन के लक्ष्य को 5 विकेट खोकर 141 रन 19वें ओवर में ही बनाकर मैच अपने नाम कर लिया। 12 वर्ष बाद इंग्लैंड दूसरी बार टी-20 वर्ल्ड कप चैंपियन बन गया। जीत तो जीत होती है, पर यह जीत भी सम्मानजनक थी और यह हार भी सम्मानजनक थी। 15 ओवर तक के खेल में बैटिंग कर रही इंग्लैंड टीम के खिलाड़ियों की सांसें भी गले में अटकी हुई थीं। जब एक-एक रन लेना भी उन्हें भारी पड़ रहा था। अली के क्रीज पर आने के बाद स्थिति सुधरी। तो अफरीदी के मैदान से लौटने के बाद ब्रेन स्ट्रोक्स ने जो खुलकर स्ट्रोक्स लगाए, उसके बाद ही इंग्लैंड के खिलाड़ियों की जान में जान आ सकी। यह लिखकर भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों को आइना दिखाने वाली कोई बात नहीं है, क्योंकि क्रिकेट बाय चांस की तर्ज पर कभी-कभी खराब प्रदर्शन का भुक्तभोगी और साक्षी भी बनना पड़ता है। और पूरे साल अच्छा प्रदर्शन करने में विफल रही इंग्लैंड की क्रिकेट टीम टी-20 विश्व चैंपियन बन जाती है। फिर भी मुकाबला एकतरफा हो जाए और प्रतिकूल परिस्थितियों में भी बैटिंग संतोषजनक होने पर भी गेंदबाज एक विकेट भी न ले पाएं, यह बात मन में क्षणिक तौर पर खटास तो पैदा करती ही है। हालांकि खेलभावना में जीत-हार सब स्वीकार है, लेकिन यह तो मन करता ही है कि स्थिति सम्मानजनक रहे। यह अपेक्षा करना तो क्रिकेट प्रेमियों का हक है। और ऐसा हक क्रिकेट प्रेमियों को मिलना भी चाहिए।

पर एक बात यह भी है कि भारत और पाकिस्तान चाहे सीमा पर आमने-सामने हों या फिर क्रिकेट मैदान में, मामला दुश्मनों जैसा ही रहता है। पर इससे इतर भारत और पाक किसी तीसरे देश से भी खेल रहे हों, तब भी भारत-पाकिस्तान क्रिकेटर्स और क्रिकेट प्रेमियों की बयानबाजी का तल्ख अंदाज दुश्मनी भरा ही रहता है। भारत को जब इंग्लैंड ने सेमीफाइनल में हराया था, तब पाक क्रिकेटर शोएब अख्तर ने टिप्पणी की थी कि भारत के पास कंडीशनल फास्ट बॉलर हैं। इंडिया की शर्मनाक हार… ये टीम बहुत गंदा खेली और वो इसी लायक थी। हैरानी है आप एक विकेट भी नहीं ले सके। आपकी बॉलिंग पूरी तरह एक्सपाेज हो गई। तो जब पाकिस्तान हारी, तब बारी भारत की थी। ऐसे में शोएब अख्तर के टूटे दिल वाले इमोजी पर मोहम्मद शमी ने मजेदार जवाब दिया और कहा,’सॉरी ब्रदर इट्स कॉल कर्मा’। यानि आइना दिखाया कि तुम्हारे यानि पाकिस्तान के कर्म ही खराब हैं, सो खामियाजा सामने है।

पर पाक-इंग्लैंड मैच पर क्रिकेट प्रेमी फातिमा की यह टिप्पणी काबिले गौर है कि कांटे की टक्कर का मैच देखने को मिला। पाक ने बॉलिंग अच्छी की लेकिन इंग्लैंड ने बता दिया कि जीतने के लिए कैसे खेला जाता है…। यह टिप्पणी भी सही है और भाव भी सौ फीसदी सच से भरा है। सभी टीमें इससे सीख ले सकती हैं। निश्चित तौर पर खेल का यही भाव महत्वपूर्ण है। फातिमा से शोएब और शमी जैसे खिलाड़ियों को भी सीखना चाहिए कि प्रतिक्रिया बदले की भावना से नहीं, बल्कि खेल भावना से ही जताई जानी चाहिए। तो पाकिस्तान की जीत पर भारत में कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं भी घृणित और असहनशील होती हैं। जैसे पंजाब-मोगा के फिरोजपुर रोड पर लाला लाजपत राय कॉलेज में पाकिस्तान और इंग्लैंड के फाइनल मैच के दौरान कॉलेज के विद्यार्थियों के आपस में भिड़ने की खबर है। जम्मू-कश्मीर और बिहार के स्टूडेंट्स में पथराव से कई स्टूडेंट घायल हुए हैं। तो किसी भी राष्ट्र में रहकर जो राष्ट्र प्रेम से ओतप्रोत न हो सके, वह कहीं भी सम्मान पाने के लायक नहीं है।

जब बात भारत-पाकिस्तान की होने लगती है, तब राह से भटकने जैसी स्थिति बन ही जाती है। बात कहां से शुरू हुई थी और कहां पहुंच गई। पर चलो मुद्दे पर आते हैं और बात वही कि पाकिस्तान ने इंग्लैंड के साथ अच्छा मैच खेला। टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने वाली इंग्लैंड बेहतर फार्म में थी, विश्वास से भरी थी और किस्मत भी उसके साथ थी। वहीं पाकिस्तान टीम टॉस हारने के बाद मनोवैज्ञानिक दबाव में थी, पहले बैटिंग कर वह सम्मानजनक रन नहीं बना पाई और किस्मत ने भी पाकिस्तान का साथ नहीं दिया। फिर भी इंग्लैंड की जीत सम्मानजनक थी और पाकिस्तान की हार भी सम्मानजनक थी।