Mumbai Expressway: आज खुलने वाला है दुनिया का सबसे लंबे एक्सप्रेस वे का पहला चरण!

'मुंबई-नागपुर समृद्धि महामार्ग' का लोकार्पण आज PM करेंगे 

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Mumbai Expressway: आज खुलने वाला है दुनिया का सबसे लंबे एक्सप्रेस वे का पहला चरण!

Nagpur : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज महाराष्ट्र के दौरे पर हैं। वे नागपुर में आज कई परियोजनाओं की शुरुआत करेंगे। नागपुर से बिलासपुर के बीच चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस को भी हरी झंडी दिखाएंगे। आज जिन परियोजनाओं की शुरुआत करेंगे, उनमें समृद्धि महामार्ग के पहले चरण का उद्घाटन भी शामिल है। समृद्धि महामार्ग का पहला चरण 520 किलोमीटर की दूरी को कवर करेगा।

यह दुनिया का सबसे लंबा एक्सप्रेस वे है। 1380 किमी लंबा यह एक्सप्रेस वे (Expressway) छह राज्यों दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से गुजरेगा। इससे दिल्ली से मुंबई का सफर 12 घंटे में पूरा हो सकेगा। अभी इन दोनों शहरों के बीच यात्रा में 24 घंटे लगते हैं। केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को रीवा में बताया कि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे दिसंबर तक करीब पूरा हो जाएगा। इसके बनने से दिल्ली से मुंबई तक सड़क मार्ग से केवल 12 घंटे में यात्रा की जा सकेगी। इसके बन जाने से दिल्ली से मुंबई की यात्रा सिर्फ 12 घंटे में हो सकेगी।

इस एक्सप्रेस वे के बनने से सिर्फ दिल्ली और मुंबई के लोगों को नहीं बल्कि कई राज्यों को फायदा होगा। इस एक्सप्रेस वे का 160 किलोमीटर का हिस्सा हरियाणा में, 374 किलोमीटर का हिस्सा राजस्थान में, 245 किलोमीटर हिस्सा मध्य प्रदेश में और 423 किलोमीटर लंबा हिस्सा गुजरात से गुजर रहा है। इससे जयपुर, किशनगढ़, अजमेर, कोटा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, भोपाल, उज्जैन, इंदौर, अहमदाबाद, वडोदरा जैसे शहरों की कनेक्टिविटी भी बेहतर होगी।

इस मुंबई-नागपुर समृद्धि महामार्ग के दिसंबर 2023 तक पूरी तरह से बन जाने का अनुमान है। यह महाराष्ट्र सरकार की परियोजना है। केंद्र सरकार भी दिल्ली से मुंबई के बीच एक एक्सप्रेस वे बना रही है। इसका निर्माण जोर-शोर से हो रहा है। यह एक्सप्रेस वे भी इसी महीने करीब-करीब बन कर तैयार हो जाएगा। यह जानकारी खुद केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को रीवा में दी।

 

कई शहर नजदीक आएंगे

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे का निर्माण पूरा होने से जयपुर, किशनगढ़, अजमेर, कोटा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, भोपाल, उज्जैन, इंदौर, अहमदाबाद, वडोदरा जैसे आर्थिक केंद्रों से कनेक्टिविटी में सुधार होगा। इससे इन शहरों में आर्थिक गतिविधियों को बल मिलेगा। इस एक्सप्रेस वे पर हेलीपैड बनाने की भी योजना है। इससे दुर्घटना की स्थिति में पीड़ितों को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाया जा सकेगा।

 

10 घंटे का सफर आधे समय में

इस महामार्ग के जिस पहले चरण को खोला जा रहा है, वह नागपुर को शिरडी से भी जोड़ेगा। अभी इन दोनों शहरों के बीच यात्रा का समय जो 10 घंटे का है, वह घटकर पांच घंटे का रह जाएगा। इस महामार्ग का असली नाम बालासाहेब ठाकरे महाराष्ट्र समृद्धि महामार्ग है जो महाराष्ट्र के 10 जिलों से गुजरेगा।

 

जंगली जानवरों के लिए ‘ग्रीन ओवरपास’

एशिया का यह पहला ऐसा एक्सप्रेस वे है, जिसमें वन्य जीवों के लिए ग्रीन ओवरपास (Green Overpass) बनाया गया है। मतलब यह कि जंगली जानवरों को वन में विचरण करते वक्त सड़क पार नहीं करना होगा। उनके लिए सड़क के नीचे से विशेष रास्ता बनाया गया है, वहीं से वे आर पार हो जाएंगे। ऐसा नहीं होने से जंगली जानवर सड़क पर आ जाते हैं और अक्सर दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं।

 

आठ लेन का, हो सकेगा 12 लेन

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे को फिलहाल आठ लेन का बनाया जा रहा है। लेकिन आने वाले दिनों में इसे 12 लेन का किया जा सकता है। इसके लिए जमीन समेत सभी व्यवस्था कर के रखी गई है। इस पर 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ियां फर्राटा भरेंगी। इसके साथ ही इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (Industrial Corridor) का भी विकास किया जा रहा है। माना जा रहा है कि यह एक्सप्रेस वे सही मायनों में देश की प्रगति का एक्सप्रेस वे (Expressway of Progress) साबित होगा।

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दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे की आधारशिला 9 मार्च 2019 को रखी गई थी। इसके निर्माण में 12 लाख टन स्टील का इस्तेमाल हो रहा है। इतने स्टील से 50 हावड़ा ब्रिज बनाया जा सकता है। साथ ही, इसमें 35 करोड़ क्यूबिक मीटर मिट्टी और 80 लाख टन सीमेंट का इस्तेमाल हो रहा है। सालभर के दौरान देश में जितने सीमेंट का उत्पादन होता है, उसके दो फीसदी की खपत यहीं हो गई।

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दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे की लागत

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे को बनाने में करीब एक लाख करोड़ रुपए की लागत आई हैं। यह 1,382 किलोमीटर लंबा है। यह एक्सप्रेस वे एक्सेस कंट्रोल है।इसका निर्माण पूरा होने के बाद फ्यूल की खपत में 32 करोड़ लीटर की कमी भी आएगी। साथ ही कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन में 85 करोड़ किलोग्राम की कमी आएगी जो कि चार करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है। यह पर्यावरण के लिए काफी फायदेमंद होगा। हाईवे पर हर 500 मीटर पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम होगा। साथ ही एक्सप्रेस वे के दोनों तरफ 40 लाख पेड़ लगाए जाने की योजना है।