आज एक राष्ट्र गौरव की पुण्य तिथि है…
मामा बालेश्वर दयाल वह नाम है, जिसे राष्ट्र गौरव मानकर हर कोई गर्व से भर सकता है। भारत के एक सामाजिक कार्यकर्ता और समाजवादी राजनीतिज्ञ, जिन्हें राजस्थान और मध्य प्रदेश की भील जनजातियों के बीच उनके काम के लिए याद किया जाता है। जिन्हें उन्होंने जल, जंगल और जमीन के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए संगठित किया था। आज यानि 26 दिसंबर को मामा बालेश्वर दयाल की पुण्य तिथि है। बिना किसी राजनीति के मामा को याद करना सुकून से भर रहा है।
मामा बालेश्वर दयाल का जन्म 1905 में आगरा और अवध के संयुक्त प्रांत के इटावा जिले के निवादिकालन में शिव शंकर लाल के पुत्र के रूप में हुआ था। वह एक गांधीवादी कार्यकर्ता और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भागीदार थे। उनका विवाह श्रीमती सावित्री से हुआ था। दयाल ने बांसवाड़ा और डूंगरपुर के भील आदिवासियों के बीच काम किया। वह एक सुधारक और कार्यकर्ता थे, जिन्होंने भीलों के बीच मौजूद शराब, बहुविवाह , अंधविश्वास
दयाल एक समाजवादी थे और भीलों के बीच उनके काम ने उन्हें समाजवादी और बाद में राजस्थान में जनता पार्टी के वोटबैंक में बदल दिया। वह 1977 और 1984 के बीच मध्य प्रदेश से राज्य सभा के सदस्य थे और 1973 में अखिल भारतीय संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के अध्यक्ष थे। दयाल का झाबुआ में 26 दिसंबर 1998 को 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया था।उनकी समाधि झाबुआ के बामनिया गांव में भील आश्रम में है, जहां कई राज्यों के भील और जनता और समाजवादी दलों के राजनीतिक नेता हर साल अपने सम्मान का भुगतान करने के लिए इकट्ठा होते हैं।
हर साल की तरह इस साल भी मामा बालेश्वर दयाल पुण्य तिथि समारोह पर राजस्थान, गुजरात व मध्य प्रदेश के भीलांचल से समर्थकों की पदयात्राएं बामनिया पहुंची। प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी समाजवादी चिन्तक, स्वतंत्रता सेनानी, पूर्व सांसद मामा बालेश्वर दयाल की 24वीं पुण्यतिथि पर भील आश्रम, बामनिया जिला झाबुआ, मध्य प्रदेश में उन्हें याद किया जा रहा है। उनकी पुण्यतिथि पर सम्पूर्ण भीलांचल क्षेत्र में लोकोत्सव जैसा माहौल है। मामा को भीलों के गांधी भी कहा जाता है।लोक क्रांति अभियान के संयोजक गोविंद यादव ने याद दिलाया, तो मैं भी मामा बालेश्वर दयाल जी को याद कर गौरव से भर गया। हो सकता है कि पढ़कर आप भी गौरव की अनुभूति करें। आज एक राष्ट्र गौरव की पुण्य तिथि है…।