गौरवशाली इतिहास का प्रत्यक्ष साक्षी : “धार का किला ,जहां पेशवा बाजीराव द्वितीय का जन्म हुआ “

3482

गौरवशाली इतिहास का प्रत्यक्ष साक्षी :”धार का किला ,जहां

पेशवा बाजीराव द्वितीय का जन्म हुआ ” 

धार: राजा भोज की धारा नगरी अपने गौरवशाली इतिहास और पुरातात्विक विरासत के लिए जानी जाती रही है। धारा नगरी के उत्तरी छोर पर आयताकार पहाड़ी पर बना लाल बलुआ पत्थरों से निर्मित किला अत्यंत आकर्षक एवं भव्य है। ठोस मुरम और काले पत्थर का सम्मिश्रण इसे मजबूत फौलादी बनाए रखे हैं।धार का किला एक छोटी पहाड़ी के ऊपर बना हुआ है और इस किले का निर्माण पूरी तरह लाल बलुवा पत्थर से हुआ है। इसका आरंभिक निर्माण राजा भोज द्वारा शुरू किया गया। समय के साथ-साथ इसमें राजपूत, मुस्लिम और अफगानी शैली का अद्भुत मिश्रण शामिल हो गया। किले का भव्य मुख्य द्वार पश्चिम की ओर खुलता है।मध्यप्रदेश का धार किला आयातकार के आकार में बना हुआ है। वास्तुकला के नज़रिये से इसकी खूबसूरती में चार-चाँद लग जाते हैं।

धार किला (Dhar Fort) नगर... - Dhar The City Of "Raja Bhoj" | Facebook

मध्यप्रदेश का धार किला - Khabar Lahariya (खबर लहरिया)हर अनाम शहीद के नाम “उसने कहा था !” 

1305 इसी में अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति मुल्तानी ने मालवा पर आक्रमण करके तत्कालीन परमार राजा महलक देव की हत्या करके मालवा पर कब्जा कर लिया। किले का मजबूत मुख्य द्वार तोड़कर अंदर प्रवेश किया।
समय आगे बढ़ता गया। 1344 ईस्वी में मुहम्मद तुगलक ने दक्कन विजय अभियान के दौरान इस किले में अपना मुकाम जमाया । इसी दरमियान किले का निर्माण पूरा किया गया ।तुगलक के एक खास सिपहसालार दिलाबर खान गोरी ने मालवा सल्तनत की राजधानी धार को बनाया।मोहम्मद बिन तुगलक तुगलक वंश का सुल्तान था और अपने पिता गयासुद्दीन तुगलक की मृत्यु के बाद इसे दिल्ली की सल्तनत मिली। इसका मूल उलूग खान था तथा कई स्थानों पर इसका नाम जुना खां भी सुनने और पढऩे को मिलता है।

muhammad-tughlaq

धरोहर के लिए:20 करोड़ मिले, पुरातत्व विभाग ने शुरू की किले की मैपिंग, 15 दिन में बनेगी याेजना - HelloDharNews

मोहम्मद बिन तुगलक एक क्रूर और विस्तारवादी नीति वाला राजा था और केवल अपने फायदे के बारे में सोचता था। उसने धार का किला अपने साम्राज्य के विस्तार के लिए मालवा में बनाया था लेकिन वो अपने साम्राज्य को मालवा के आगे नहीं ले जा पाया।  काफी मंदिर, इमारत, मूर्तियां खंडित की गई। जिसके भग्नावशेष आज भी रखे हुए हैं। बाद में सुरक्षा की दृष्टि से मांडू को राजधानी बना लिया।
औरंगजेब के बाद मुगल शासकों के कमजोर होते ही पेशवा ने मालवा पर कब्जा कर लिया। परमार शासकों ने उनकी मदद की ।धार किले की दीवार,बावड़ी और इमारतों का पुनर्निर्माण अलग-अलग शासकों ने करवाया।
पवार शासकों ने पुनः 1732 में इस किले पर कब्जा कर लिया। यह किला सैन्य गतिविधियों के साथ-साथ प्रशासनिक और रिहायशी काम के लिए उपयोग में लिया जाने लगा। पेशवा संघर्ष के दौरान धार के किले में रघुनाथ राव की गर्भवती पत्नी आनंदीबाई ने 1775 ईस्वी में बाजीराव पेशवा द्वितीय को धार किले में जन्म दिया।बाजीराव द्वितीय आठवाँ और अन्तिम पेशवा (1796-1818) थे। वह रघुनाथराव (राघोवा) का पुत्र थे . सन १७९६ से १८१८ तक मराठा साम्राज्य के पेशवा थे.
पवार द्वारा अट्ठारह सौ सत्तावन में स्वतंत्रता संग्राम का समर्थन किया गया । ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आंदोलन कर रोहिला ने किले पर कब्जा कर लिया। लगभग चार महीनों तक यह क्रांतिकारियों के कब्जे में रहा। उस वक्त मालवा स्वतंत्रता संग्राम का मुख्य केंद्र बना रहा। बाद में लगातार भारी तोपों से अंग्रेजों ने किले की मुख्य दीवार व अन्य हिस्सों को क्षतिग्रस्त करके पूनः किले पर कब्जा कर लिया। सभी क्रांतिकारी किले स्थित गुप्त मार्ग द्वारा सुरक्षित भूमिगत हो गए। 1858 में उत्तराधिकारी का प्रश्न उठाकर रियासत को अंग्रेजों ने अपने कब्जे में ले लिया लेकिन 1860 में उन्हें वापस छोड़ना पड़ा।

Dhar Fort, Dhar | DestiMap | Destinations On Map
किले के भग्नावशेष इसके प्राचीन गौरवशाली इतिहास के जीवंत प्रमाण हैं। किले के अंदर प्राचीन मूर्तियां अन्य ऐतिहासिक शिलालेख क्षत-विक्षत स्थिति विद्यमान है। किले के तीसरे द्वार पर औरंगजेब और शाहजहां के सौतेले भाई असर बेग के राज के शिलालेख हैं। किले में प्रवेश करने के लिए रास्तों पर पत्थर लगे हैं। किले के अंदर शीश महल, खरबूजा महल के विशाल बुर्ज इसके भव्य होने का प्रमाण दे रहे हैं।
खरबूजा महल – किले के उत्तरी छोर पर निर्मित खरबूजे की आकृति का खरबूजा महल पूर्वमुखी हैं। इसकी अधो रचना मुगलकालीन स्थापत्य शैली से मेल खाती है। कहीं-कहीं राजपूताना शैली की भी झलक दिखाई देती है। महल के छोटे शिखर, मेहराब जालियां बहुत आकर्षक कलात्मक हैं।

Gomatgiri : 24 संगमरमर के मंदिर जो जैन धर्म के सभी 24 तीर्थंकरों को समर्पित हैं. 

इतिहास के किस्से सुनाता धार का किला

शीश महल– दो मंजिला शीश महल उत्तरी दिशा में स्थित है। इसकी छत पर मेहराब और शिखर है। पूर्वी भाग में अंदर बड़ा हाल बना हुआ है ।इसका निर्माण मोहम्मद बिन तुगलक 1344 इस्वी सन में करवाया था ।उसने यहीं कुछ समय मुकाम किया था।किले में भारतीय वास्तुकला के अतिरिक्त अफगानी कलाशैली और इस्लामिक कला शैली भी देखने को मिलती है। मोहम्मद बिन तुगलक खुद एक वास्तुकार और कलाशैली का ज्ञान रखने वाला राजा था। वह तुगलक वंश के सबसे अधिक पढ़े लिखे राजाओं को सूची में था। उसे अरबी फारसी के अन्य भाषाओं का भी ज्ञान था। उसने कई लेख भी लिखे जो अरबी और फारसी भाषा में थे।
सप्त कोठी विश्राम भवन– किले के भीतर उत्तरी दिशा के परकोटे के पास सात छोटे-छोटे कक्ष बने हैं। यह दक्षिणमुखी है। दीपक जलाने के लिए कुलिंकाएं बनाई गई हैं। महल के अंदर और बाहर जाने के लिए मेहराबदार प्रवेश द्वार हैं। हवा प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था की गई थी। यहां सैनिकों के रुकने की व्यवस्था थी।
बंदी छोड़ सरकार – कहा जाता है कि धार रियासत के एक राजा को कोढ़ थी। किसी तांत्रिक ने 1000 नवविवाहित जोड़ों के रक्त से स्नान करने पर कोढ़ मिट जाने की बात कही। अंधविश्वासी राजा ने गांव-गांव से नवविवाहित जोड़ों को बंदी बनाकर किले में कैद कर लिया। उनकी बलि की तैयारी की जाने लगी। रात में कोत्तामल परमार नामक किले के सिपाही ने सभी जोड़ों को आजाद कर दिया। किले में युद्ध शुरू हो गया । कोत्तामल का सिर धड़ से अलग किले में ही जमींदोज हो गया। उनका धड़ लड़ते-लड़ते किले से 500 मीटर दूर जाकर गिरा ।उसी स्थान पर उन्हें समाधि दे दी गई। इसी कारण उन्हें बंदी छोड़ बाबा कहा गया। यह स्थान आज भी हिंदू मुस्लिम आस्था का केंद्र बना हुआ है। लोग यहां जाकर मन्नत मांगते हैं।
इस प्रकार धार का ऐतिहासिक दुर्ग परमार कालीन शासकों एवं मुगल काल के घटनाक्रम का साक्षी बना रहा। इसकी भव्य दीवारें रक्षा कवच का काम करती रही। बार-बार होते रहे आक्रमणों के कारण इसकी भव्यता को खंडित किया जाता है। इसके बावजूद धार का यह किला आज भी सिर उठाकर इतिहास को चुनौती दे रहा है। उचित मरम्मत एवं रखरखाव के अभाव में यह महान ऐतिहासिक किला खंडहर में तब्दील होता रहा। भव्य दर्शनीय धार के किले को समुचित संरक्षण एवं सौंदर्यीकरण की आवश्यकता है। धार का किला और भोजशाला मंदिर के कारण सारी दुनिया में धार की बनी रहती है ।
सभी चित्र सोशल मीडिया से साभार
# रमेश चंद्र शर्मा
16 कृष्णा नगर- इंदौर -452012