

A True Story-in Filmy Style: नायक: योगी आदित्यनाथ-फौलादी इरादों वाला सन्यासी
* राजेश जयंत
2005 की सर्दियों में, उत्तर प्रदेश का मऊ शहर बारूद के ढेर पर बैठा था। एक ओर था मुख्तार अंसारी- माफिया, विधायक और इलाके का खुद को खुदा समझने वाला, जिसकी खुली जीप की खड़खड़ाहट ही लोगों के लिए डर का दूसरा नाम थी। दूसरी तरफ, गोरखपुर के युवा सांसद योगी आदित्यनाथ- साफ नीयत, फौलादी इरादे और हिंदुत्व के लिए जान देने वाला सन्यासी।
मऊ में दंगे की आग भड़कती है। मुख्तार के गुर्गे खुलेआम हथियार लहराते हैं, पुलिस और प्रशासन मूकदर्शक बने रहते हैं। तीन दिन तक शहर जलता है, लोग घरों में कैद, सड़कों पर लाशें बिछ जाती हैं। मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की सरकार सब जानकर भी बेबस है।
इसी वक्त गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ को खबर मिलती है। वो पार्टी की राजनीति से ऊपर उठकर सीधे मऊ जाने का फैसला करते हैं। प्रशासन डरता है- अगर योगी मऊ पहुंचे तो हालात और बिगड़ सकते हैं। पुलिस उन्हें बॉर्डर पर रोक लेती है, लेकिन योगी झुकते नहीं।
उनकी आवाज़ दूर तक गूंजती है- “जहां अन्याय होगा, वहां योगी जरूर पहुंचेगा!”
मुख्तार अंसारी को पता चलता है कि योगी आ रहे हैं। उसके गुर्गे और सियासी आका घबरा जाते हैं। दंगाई भागने लगते हैं, मुख्तार छुपने लगता है।
इसी बीच, कहानी में नए किरदार आते हैं-
*एसपी अंजलि वर्मा*, जो मऊ की पहली महिला एसपी बनकर आई हैं, उनके लिए ये सिर्फ एक केस नहीं, इज्जत की लड़ाई है।
*राहुल मिश्रा*, एक तेज पत्रकार, जो सच की तलाश में अपनी जान दांव पर लगा देता है।
*इमरान*, मुख्तार का पुराना साथी, जो अब अपराध से तंग आकर पुलिस को गुप्त सूचनाएं देने लगता है।
पुलिस, योगी और आम जनता-तीनों मिलकर मऊ को बचाने के लिए एकजुट हो जाते हैं।
आखिरकार, एसपी अंजलि के नेतृत्व में पुलिस मुख्तार के ठिकाने पर छापा मारती है, राहुल मिश्रा लाइव रिपोर्टिंग करता है, और योगी आदित्यनाथ लोगों का हौसला बढ़ाते हैं।
मुख्तार अंसारी गिरफ्तार होता है—उसका साम्राज्य ढह जाता है।
*सालों बाद…*
योगी यूपी के सीएम बनते हैं, एसपी अंजलि डीजीपी, राहुल मिश्रा देश का नामी पत्रकार और इमरान को नई जिंदगी मिलती है।
मऊ की गलियों में अब डर नहीं, उम्मीद का उजाला है।
*योगी राज का असर:*
2017 के बाद यूपी में माफिया राज का खात्मा शुरू होता है। योगी के सीएम बनते ही यूपी के गुंडों की रातों की नींद उड़ गई! जहां कभी माफिया खुलेआम जीप में घूमते थे, अब वही लोग पुलिस से बचने के लिए रातों को छुप-छुपकर भागते नजर आए। कई कुख्यात माफिया- जैसे विकास दुबे, असद अहमद एनकाउंटर में मारे गए, कुछ ने डर के मारे खुद ही कोर्ट में सरेंडर कर दिया, तो कईयों ने यूपी ही छोड़ दिया; अब गांव-शहर की गलियों में चर्चा थी- “अब यूपी में सिर्फ कानून का राज है, गुंडों का नहीं!”
*_”माफिया राज खात्मे पर एक नजर-_*
– 234 अपराधी पुलिस एनकाउंटर में मारे गए, 9,200 से ज्यादा घायल हुए।
– 20,000+ इनामी बदमाश गिरफ्तार, कई माफिया खुद ही जमानत रद्द करवा जेल चले गए।
– 140 अरब की माफिया संपत्ति जब्त, बुलडोजर से गैंग धराशायी।
– विकास दुबे, असद अहमद, गौरी यादव, अरशद जैसे कुख्यात अपराधी एनकाउंटर में मारे गए।
– ऑपरेशन लंगड़ा जैसे एक्शन में दर्जनों बदमाश या तो घायल हुए या डर के मारे खुद सरेंडर कर दिए।
अब यूपी में माफिया राज नहीं, कानून का राज है- योगी का मिशन जारी है, और अपराधियों का ‘गेम ओवर’! योगी जी का अगला कदम अब राष्ट्रीय राजनीति की ओर माना जा रहा है!
कई लोग उन्हें भविष्य का प्रधानमंत्री कैंडिडेट भी मानते हैं, क्योंकि उनकी छवि मजबूत और निर्णायक नेता की बन चुकी है।