Accident in Rangpanchami Ger : इंदौर की रंगपंचमी गेर में हादसा, ट्रैक्टर से कुचलने से युवक की मौत, CM गेर में शामिल नहीं हुए!

इस दुर्घटना पर CM ने दुख जताया, ₹4 लाख की आर्थिक सहायता की घोषणा!

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Accident in Rangpanchami Ger : इंदौर की रंगपंचमी गेर में हादसा, ट्रैक्टर से कुचलने से युवक की मौत, CM गेर में शामिल नहीं हुए!

 

Indore : शहर की परंपरागत रंगपंचमी गेर में आज एक हादसा हो गया। गेर के दौरान राजवाड़ा में ट्रैक्टर के पहिए के नीचे दबने से 45 वर्षीय शख्स की मौत हो गई। इस बात की जानकारी मिलने पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने गेर में शामिल नहीं होने का कार्यक्रम कैंसिल कर दिया और एयरपोर्ट से ही उज्जैन रवाना हो गए। मुख्यमंत्री ने मृतक के परिवार ₹4 लाख की सहायता देने की घोषणा की। मृतक की जेब में ₹150 मिले हैं। लेकिन, कोई मोबाइल या आईडी कार्ड नहीं होने से अभी तक उसकी पहचान नहीं हो पाई।

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बुधवार को रंगपंचमी पर इंदौर में गेर निकली। इसमें 5 लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए। यूनेस्को की टीम भी मौजूद रही। कलेक्टर आशीष सिंह ने भी बताया कि गेर में अभी तक 5 लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए हैं। उन्होंने कहा कि यूनेस्को में शामिल होने का हमारा दावा तभी मजबूत होगा जब हम शालीनता, महिलाओं की सहभागिता और सुरक्षित तरीके से गेर निकालेंगे।

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फाग यात्रा के दौरान अचानक एक शख्स की तबीयत बिगड़ गई, उसे तुरंत एम्बुलेंस में बैठाया गया। हजारों लोगों की भीड़ ने रास्ता देकर कुछ ही मिनट में एम्बुलेंस को बाहर निकाला। वहीं, गेर में तीन लोग घबराहट से बेहोश हो गए। 75 साल से चले आ रहे इस पारंपरिक आयोजन में फाग यात्रा में झांकियां भी शामिल की गई हैं। ब्रज की लठ्ठमार होली, रासरंग, श्रीकृष्ण की झांकी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।

पुलिस ने व्यवस्था संभाली

गेर में हर तरफ पुलिस तैनात है। नरसिंह बाजार से राजवाड़ा की ओर जाने वाले लोगों के मास्क ले रही है। उनके भोंपू भी जब्त किए जा रहे हैं।पुलिस ने ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों से पूरी गेर पर नजर रखी जा रही है। फाग यात्रा में मंत्री तुलसी सिलावट और विधायक मालिनी गौर भी शामिल हुए। पुलिस ने ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों से पूरी गेर पर नजर रखी जा रही है।

300 साल पुरानी है ये गेर परंपरा

इंदौर में गेर निकालने की परंपरा 300 साल पुरानी है। कहा जाता है कि होलकर राजघराने के लोग रंगपंचमी के दिन बैलगाड़ियों से फूल और गुलाल आम नागरिकों पर डालते थे। इससे सामाजिक सौहार्द बढ़ा और धीरे धीरे गेर ने पूरी तरह से सामाजिक रंग ले लिया। सौ साल पहले इसे सामाजिक रूप से सार्वजनिक जगहों पर मनाने की शुरुआत हुई।

बताया जाता है कि मल्हारगंज क्षेत्र में कुछ लोग खड़े हनुमान के मंदिर में फगुआ गाते थे और एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाते थे। इसी क्षेत्र में रहने वाले रंगू पहलवान एक बड़े से लोटे में केसरिया रंग घोलकर आने-जाने वालों पर रंग डालते थे। इन सब आयोजनों ने गेर को समय के साथ भव्य रूप दिया। इस गेर को देखने के लिए गेर के यात्रा मार्ग की छतों की बुकिंग कराई गई। लोगों ने छतों पर तिरपाल लगाकर गेर का आनंद लिया।