
गणतंत्र दिवस पर दुविधा का शिकार प्रशासन, कौन होगा मुख्य अतिथि, SDM ने छपवाये दो अलहदा कार्ड
राजेश चौरसिया की रिपोर्ट
छतरपुर: जिले के बड़ामलहरा का प्रशासन अत्यंत दुविधा का शिकार है और गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व को उसने मजाक और चर्चा का विषय बनाकर रख दिया है।
मुख्य पर्व के ध्वजारोहण हेतु SDM द्वारा पहले एक कार्ड मुद्रित और प्रसारित करवाया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त जिला पंचायत अध्यक्ष विद्या अग्निहोत्री का नाम मुद्रित है।
उसके बाद SDM बड़ामलहरा ने अलहदा दूसरा कार्ड भी मुद्रित और प्रसारित करा दिया, जिसमें ध्वजारोहण हेतु मुख्य अतिथि के रूप में जनपद पंचायत अध्यक्ष राघव राजा को दर्शाया गया है। हर शासकीय संस्थान में राष्ट्रीय पर्व पर ध्वजारोहण होता है, लेकिन SDM उसका आमंत्रण नहीं देता। फिर तो बड़ामलहरा क्षेत्र के हर स्कूल और हर शासकीय संस्था में ध्वजारोहण का आमंत्रण एसडीएम को देना चाहिए। जनपद अध्यक्ष तो जनपद कार्यालय में ध्वजारोहण करेगा ही, लेकिन एसडीएम ने अपनी तरफ से कार्ड प्रकाशित और प्रसारित कर राष्ट्रीय पर्व को विवादास्पद रूप दे डाला है।
इस सम्बन्ध में बड़ामलहरा SDM से बात की गई, उन्होंने कहा कि अभी मैं एक कार्यक्रम में हूँ, आप से बाद में बात करता हूँ। लेकिन एसडीएम के ऐसे आचरण से राष्ट्रीय पर्व जन चर्चा का विषय बन गया है कि कौन होगा मुख्य अतिथि। दो अलग-अलग कार्ड छपवाने और उन्हें वितरित कराने के कारण एसडीएम बड़ामलहरा खुद मजाक के पात्र बन गए हैं और गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व पर उनकी भूमिका सवालिया निशान लगाने जैसी हो गई है। जो एक प्रशासनिक अधिकारी के पद को कतई शोभा नहीं देती है।
वैसे देखा जाए तो मुद्रित कार्डों के अनुसार शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में आयोजित मुख्य कार्यक्रम की मुख्य अतिथि जिला पंचायत की अध्यक्ष विद्या पटैरिया हैं और जनपद पंचायत के ध्वजारोहण कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जनपद पंचायत अध्यक्ष राघव राजा हैं। लेकिन आज तक मुख्य पर्व के कार्यक्रम के कार्ड ही SDM द्वारा प्रकाशित और प्रसारित कराये जाते रहे हैं। फिर पता नहीं किस राजनीतिक दबाव में जनपद पंचायत का कार्ड भी SDM ने प्रकाशित और वितरित करा कर एक विवादास्पद स्थिति पैदा कर डाली और गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व को विवादास्पद बनाने में अहम भूमिका निभा डाली। जिसकी कटु निंदा हो रही है। ऐसे आचरण को अविवेक पूर्ण ही कहा जायेगा।