
PM College of Excellence: सीनियर को पछाड़ जूनियर बने प्राचार्य, 20 अंक के साक्षात्कार में मिले हैं 7-7 अंक
भोपाल. प्रदेश के प्रधानमंत्री कालेज आफ एक्सीलेंस (PM College of Excellence) और स्वशासी कॉलेजों में प्राचार्य होने के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने मेरिट जारी कर दी है। जारी सूची कालेजों में पढ़ाने वाले प्रोफेसरों की पोल खोल कर रख दी है। क्योंकि नव नियुक्त प्रोफेसरों को कालेजों का प्रभार मिल गया है।
अपने आपको बड़ा बताने प्रोफेसरों को सूची में शामिल तक नहीं किया गया है। इससे प्रदेश की प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है।
प्रदेश के सीनियर प्रोफेसरों की कालेजों की क्या स्थिति से इसका अंदाजा उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी की गई प्राचार्यों की मेरिट सूची से जारी हो गया है। विभाग ने PM College of Excellence में प्राचार्यों को नियुक्त करने के लिऐ आवेदन लेने के बाद साक्षात्कार कराए थे। विभाग ने मेरिट के आधार पर PMCOE और स्वशासी कालेजों में प्राचार्यों को नियुक्त कर दिया है। विभाग ने प्राचर्यों को नियुक्त कर दिया, लेकिन उनकी मेरिट सूची जारी नहीं की। तब हाईकोर्ट इंदौर खंडपीठ में प्रो यशवंत मिश्रा रतलाम की तरफ से मेरिट सूची जारी करने पर याचिका दायर की थी। इंदौर खंडपीठ के आदेश के तहत विभाग ने सूची जारी कर दी है। इसमें प्रोफेसर के नाम उनकी प्रथम और द्वितीय च्वाइस के साथ उनके सीआर, गतिविधियां, जांच, विजन और साक्षात्कार को शामिल किया गया है। इससे प्रोफेसरों की वरिष्ठता को चैलेंज किया जा सकता है। सुरेंद्र पार सिंह परमार, कल्पना सिंह, योगेंद्र कुमार शर्मा और किशोर जॉन को 99.99 अंक प्राप्त हुए हैं।
एक ही कालेज में रहना चाहते हैं प्रोफेसर
प्राचार्य बनने के लिऐ प्रोफेसर अपने कालेज को छोड़ना नहीं चाहते हैं। वे प्राचार्य भी उसी कालेज में बनना चाहते हैं, जिसमें उन्होंने अपनी उम्र का एक लंबा पड़ाव कालेज में गुजारा है। वे राज्य के किसी भी दूसरे कालेज में जाना पसंद ही नहीं कर रहे हैं। इसलिए उन्होंने दोनों च्वाइस में एक ही कालेज दिया है। सूची में मंजू शर्मा जीजा कालेज का नाम भी ऐसे ही उजागर हो रहा है।
आगर मालवा में नियुक्त हो सकता है जूनियर
विभाग ने सभी PMCOE कालेज में प्राचार्य बनने के लिऐ आवेदन जमा कराए थे। इसमें विभाग को आगर मालवा प्राचार्य के लिए ज्यादा आवेदन नहीं मिले। यहां तक सीनियर प्रोफेसरों ने वहां के लिए फर्स्ट या सेकेंड च्वाइस देना तक जरुरी नहीं समझा। अब आलम यह है कि विभाग को पूर्व में नियुक्त हुए असस्टिेंट प्रोफेसर को प्राचार्य के रूप में नियुक्त करना होगा।