

Ahmedabad Plane Crash: एक बेटे की आखिरी उड़ान: अधूरी चाय और अधूरी ख्वाहिशें…
– राजेश जयंत की रिपोर्ट
कुछ ही दिनों में सेवानिवृत्त होने वाले कैप्टन सुमित सभरवाल की जिंदगी अचानक एक दर्दनाक मोड़ पर आ गई। एयर इंडिया के विमान हादसे में उनकी बहादुरी के बावजूद, सैकड़ों यात्रियों की जान बचाते हुए, वे खुद जिंदगी की जंग हार गए। इस हादसे ने पूरे देश को झकझोर दिया, लेकिन सबसे ज्यादा टूट गए उनके 88 वर्षीय पिता पुष्करराज सभरवाल- जिस बेटे ने शादी तक नहीं की ताकि पिता की देखभाल कर सके, उसी बेटे का अंतिम संस्कार अब बूढ़े पिता के कांपते हाथों से हुआ। यह मंजर हर किसी की आंखें नम कर गया।
सुमित के लिए उनके पिता ही पूरी दुनिया थे। जब भी शादी की बात आती, वो मुस्कुरा कर कहते, “अगर मैं शादी कर लूंगा, तो पापा की देखभाल कौन करेगा?” अपने तीन दशक के करियर में 8,200 घंटे से ज्यादा उड़ान भरने वाले सुमित, घर लौटते ही अपने पिता के सबसे प्यारे दोस्त बन जाते। पवई के जल वायु विहार में दोनों की जोड़ी सबके लिए मिसाल थी- शाम की चाय, हंसी-ठिठोली और साथ बिताए हर लम्हे की कहानी मोहल्ले में मशहूर थी।
सुमित की एक ख्वाहिश थी- रिटायरमेंट के बाद रोज़ सुबह खुद चाय बनाकर पापा को पिलाना, साथ बैठकर पुराने किस्से सुनना। लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। अब हर सुबह चाय की प्याली तो तैयार होती है, मगर सामने वाली कुर्सी खाली रहती है। पिता की आंखें दरवाजे की ओर टिक जाती हैं- शायद बेटा लौट आए, शायद कोई आवाज़ दे, “पापा, चाय तैयार है!”
अब वो चाय की प्याली सिर्फ यादों से भरी है- हर घूंट में बेटे की हंसी, हर घूंट में अधूरी ख्वाहिशें।
यह अधूरी चाय, पिता के जीवन की सबसे कड़वी और सबसे मीठी याद बन गई है।
“आज फिर सुबह चाय बनाई।
सुमित की पसंद की अदरक वाली चाय… लेकिन सामने वाली कुर्सी खाली है।
बेटा, तुमने कहा था—रिटायरमेंट के बाद रोज़ मेरे साथ बैठकर चाय पियोगे।
अब तुम्हारी जगह सिर्फ यादें बैठी हैं।
तुम्हारे बिना ये घर, ये चाय, सब अधूरा है। काश, एक बार फिर तुम दरवाज़े से आवाज़ लगाओ—’पापा, चाय तैयार है!’
तुम्हारा इंतजार हमेशा रहेगा, मेरे बेटे…”