Approval to Lokayukta : आबकारी अधिकारी की संपत्ति आय से 550% ज्यादा, हाई कोर्ट ने मामले की मंजूरी दी!

लोकायुक्त की रिव्यू पिटीशन हाई कोर्ट में स्वीकृत, हाई कोर्ट ने पुराना आदेश निरस्त किया

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Approval to Lokayukta : आबकारी अधिकारी की संपत्ति आय से 550% ज्यादा, हाई कोर्ट ने मामले की मंजूरी दी!

Indore : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने लोकायुक्त संगठन की रिव्यू याचिका को स्वीकार करते हुए पूर्व खंडपीठ के 17 अगस्त 2024 के आदेश को निरस्त कर दिया। यह फैसला जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस विनोद कुमार द्विवेदी की बेंच ने सुनाया। मामला तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी जगदीश राठी के खिलाफ लोकायुक्त द्वारा की गई छापामार कार्रवाई से जुड़ा है। राठी के निवास पर छापे के दौरान उनकी कुल संपत्ति में 550 प्रतिशत की अनुपातहीन पाई गई थी।

लोकायुक्त पुलिस ने इस संबंध में उनके विरुद्ध चालान पेश किया था। इसके बाद राठी ने हाईकोर्ट में अभियोजन स्वीकृति को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई के लिए अदालत ने 29 अगस्त 2024 की तारीख नियत की थी। लेकिन, इस बीच आरोपी ने 16 अगस्त को तत्कालीन खंडपीठ के समक्ष मेंशन स्लिप के जरिए केस को 17 अगस्त को पेश करा लिया। 17 अगस्त 2024 को हुई सुनवाई में लोकायुक्त संगठन और शासन की ओर से जवाब प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा गया था, लेकिन तत्कालीन खंडपीठ ने यह मांग अस्वीकार करते हुए अभियोजन स्वीकृति और पूरे अभियोजन को निरस्त कर दिया था।

लोकायुक्त संगठन ने इस आदेश के विरुद्ध हाई कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल की थी। मामले की कानूनी रणनीति लोकायुक्त संगठन के वरिष्ठ अधिकारी, विशेष लोक अभियोजक प्रसन्ना प्रसाद, एसपी लोकायुक्त इंदौर राजेश सहाय, डीएसपी और केस प्रभारी अधिकारियों के नेतृत्व में तैयार की गई है। अब अदालत ने यह स्वीकार करते हुए पूर्व खंडपीठ का आदेश रद्द कर दिया है। इसके बाद लोकायुक्त पुलिस ने जिला अदालत में पुनः कार्यवाही शुरू कर दी है और आरोपी को कोर्ट में उपस्थित कराने की प्रक्रिया जारी है। मध्यप्रदेश शासन और लोकायुक्त संगठन की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के तहत इस मामले को गंभीरता से लिया गया है।