Awareness About Millets : मिलेट्स के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रीति चौहान सम्मानित!

प्रीति का कहना है 'इसे मोटा अनाज नहीं, 'श्रीअन्न' कहा जाना चाहिए!'

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Awareness About Millets : मिलेट्स के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रीति चौहान सम्मानित!

Indore : सिकोईडिकोन संस्था द्वारा देशज खाद्यान्न के उपयोग के प्रति वातावरण निर्माण करने के उद्देश्य से सिकोईडिकोन व किसान सेवा समिति महासंघ द्वारा ‘देशज खाद्यान्न महोत्सव’ का आयोजन चाकसू (जयपुर) में आयोजित हुआ था। इस कार्यक्रम में शहर की प्रीति चौहान पंजाबी को सम्मानित किया गया।

प्रीति ने कोविड के समय एक खास फ़ूड इनोवेशन शुरू किया, जिसमें वे मिलेट्स के लाइव फूड के साथ ही हेल्दी स्नैक्स भी बना रही है। खास बात यह है कि ये स्नैक्स फ्राइड नहीं बल्कि रोस्टेड हैं, इसलिए यह परफेक्ट हेल्दी ऑप्शन बन जाते हैं। इसमें ज्वार, बाजरा, रागी और कुट्टू जैसे अनाजों को शामिल किया गया है। ये ग्लूटेन फ्री होने के साथ शरीर के लिए फायदेमंद भी होते हैं।

समारोह में प्रीति ने बताया कि मिलेट्स को देशज यानी मोटे अनाज के नाम से जाना जाता है पर हमें इसे ‘श्री अन्न’ के नाम से पुकारना चाहिए। उन्होंने बताया कि मोटे अनाज के फायदे को को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 2023 को मिलेट वर्ष घोषित किया था। इसका सेवन करने से बीपी, शुगर, कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियां नहीं होती हैं और इसमें कैल्शियम, आयरन, पोटेशियम, जिंक और सोडियम भी प्रचुर मात्रा में होते हैं।

इसलिए कि जब किसान अनाज को बोता है तो उसे भगवान मानता है। यह प्रार्थना भी करता है, कि मैं ये जो बो रहा हूं यह पूरे देश और समाज का और आखिरी में पेरे परिवार का और फिर मेरा पेट भरे। उसके अंदर एक त्याग की भावना होती है। हमें इस भावना को बरकरार रखते हुए इसे ‘श्री अन्न’ बुलाना चाहिए।

सरकार भी दे रही है प्रोत्साहन
भारत सरकार भी देशज अनाजों के महत्व को समझते हुए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम में मोटे अनाज को स्थानीय स्तर पर प्रोत्साहन दे रही है। भारत की भौगोलिक, सामाजिक व सांस्कृतिक विविधता के आधार पर हजारों वर्ष से संचित परम्परागत व देशज ज्ञान प्रकृति के साथ तारतम्य से उपजा है। अतः जलवायु परिवर्तन व कुपोषण जैसी समस्याओं को सामना करने के लिए आवश्यक है कि देशज खाद्यान्न के संरक्षण, उपभोग व उपयुक्त बाजार को बढ़ावा दिया जाए।