बदलता भारत-3: कांग्रेस के भ्रष्टाचार,परिवारवाद ने खोले भाजपा के रास्ते

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यूं तो दुनिया के किसी भी कोने में बैठे राजनीतिक दल का एक ही मकसद होता है-पहले किसी भी तरह से सत्ता प्राप्त करना, फिर सत्ता में बने रहना और अंतत: विपक्ष विहीन व्यवस्था की कल्पना करना। कोई चुनौती नहीं, कोई प्रतिद्वंद्वी नहीं,कोई अवरोध नहीं। सीधे तौर पर कहें तो तानाशाही की मंशा के साथ लोकतंत्र। चीन इसे संवैधानिक जामे में कर रहा है। जबकि भारत में ऐसी कोशिशें नाकाम कर दी जाती रही हैं। यहां कुछ ज्यादतियां भी करना हैं तो लोकतांत्रिक दायरे में ही करना होगा। कांग्रेस ने कमोबेश साठ साल तक यही किया। एक ही दल का राज और उनका मुखिया भी एक ही परिवार का। नाम लोकतंत्र का, लेकिन व्यवस्था राजशाही अंदाज की। याने तौर-तरीके निर्वाचन के, किंतु मंशा परिवारवाद की। चलिये सीधे नेहरू-गांधी परिवार पर आ जाते हैं। स्वतंत्रता के बाद से ही कांग्रेस पर कुंडली मारकर बैठे इस परिवार ने दल के भीतर दासता प्रवृत्ति को बरकरार रखा है। तमाम विपरीत हालातों के बाद भी कोई सबक,कोई परिवर्तन, कोई समझौता और कोई प्रयोग नहीं। परिवारवाद,असीमित भ्रष्टाचार,तुष्टिकरण,विकास परक सोच का अभाव,अवसरों को उपलब्ध न कराना,गरीबी को केवल नारे में हटाना,दूषित इतिहास परोसना,सनातनी मूल्यों-परंपराओं को इरादतन विस्मृत कर देना,सीमित वर्ग की प्रगति और समय के साथ खुद को बदलने से बेखबर रहने के कारण ही कांग्रेस जहां जनाधार बुरी तरह खो चुकी, वहीं भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस की उन तमाम कमियों का तोड़ सामने लाकर समूची बाजी इस तरह से पलट दी कि दूर तक कांग्रेस या किसी और दल के वर्चस्व का दीया भी टिमटिमाता नजर नहीं आता।

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भारत में मोदी सरकार आई तो कांग्रेस की घोरतम विफलता,भ्रष्टाचार की वजह से, किंतु दोबारा सत्तारूढ़ होने और राज्यों तक सत्ता का विस्तार करने के पीछे है,दीर्घकालीन नीतियां,विकास कार्यों की लंबी श्रृंखला,आमजन को सीधे प्रभावित करने वाले फैसले,आत्म निर्भर बनाने वाले अनगिनत कदम,रक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी फैसले,आधारभूत संरचना का जाल बिछा देना,असंभव से लगने वा्ले और अक्षरक्ष: संदिग्ध नजर आने वाले मसलों का निराकरण और नये जमाने से कदम मिलाकर चलने का अद्भुत माद्द‌ा । साथ ही तकनीक,विज्ञान,संचार क्रांति के उपयोग से कार्य प्रणाली में परिवर्तन से भी परहेज न करना । यदि सलसिलेवार देखें और विश्लेषण करें तो फेहरिस्त बेहद लंबी है, जो मोदी सरकार को स्वतंत्र भारत की सर्वाधिक क्रियाशील,प्रयोगधर्मी सरकार ठहराई है।

महिला कांग्रेस की उपाध्यक्षों को तवज्जो देने बैठक हुई

2014 में दस साला कांग्रेस नीत सरकार को जनता के पास अलविदा कहने के अलावा विकल्प ही नहीं था। मोटे तौर पर देखें तो भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा,परिवारवाद,आर्थिक मोर्चे पर विफलता,विकास परक सोच का अभाव,अंतरराष्टीय स्तर पर मलिन होती छवि,बढ़ता आतंकवाद कांग्रेस को ले डूबा। कांग्रेस को भ्रष्टाचार का चस्का तो आजादी के ठीक बाद 1948 में ही लग गया था, जब इंगलैंड में भारत के उच्चायुक्त वी.के.कृष्ण मेनन ने जीप खरीदी घोटाला किया और उनका कुछ नहीं बिगड़ा। मेनन ने अमेरिका की उस अनजान सी कंपनी से 2000 पुरानी जीपें 42 लाख 14 हजार रूपये में खरीदी, जिसकी कुल पूंजी मात्र 14 हजार 822 रुपये थी। इनमें 155 जीप तो पूरी तरह से अनुपयोगी निकली। यही मेनन 1956 में केंद्र में बिना विभाग के मंत्री, फिर 1957 में रक्षा मंत्री बनाये गये याने नंबर दो।

 

देश के इतिहास में अब तक के सबसे बड़े घोटाले का खिताब कोयला घोटाले को मिला है, जिसमें 2004 से 2009 के बीच देश को 10 लाख 67 हजार करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया गया था। हालांकि कैग की जो रिपोर्ट सदन में रखी गई, उसमें एक लाख 86 हजार करोड़ का घोटाला बताया गया था। इसके अलावा 2010 के राष्ट्र मंडल खेल, जिसका बजट 35 हजार करोड़ रुपये का था। जिसमें अनेक बेनामी कंपनियों को ठेके दे दिये और अधूरे् कामों का भुगतान कर दिया गया। आयोजन समिति के प्रमुख सुरेश कलमाड़ी को जेल भी जाना पड़ा था।

 

2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला 2007 में हुआ, जिसमें सरकार को 1.76 लाख करोड़ का घाटा होना बताया गया। तत्कालीन संचार मंत्री ए.राजा और कनिमोझी की गिरफ्तारी भी हुई थी। 14 हजार करोड़ रुपये का तेलगी स्टांप कांड। बोफोर्स खरीदी घोटाला, जिसमें 20 करोड़ की रिश्वत का आरोप राजीव गांधी पर लगा,जिससे सरकार भी गिरी और उनके ही वित्त मंत्री रहे वी.पी. सिंह प्रधानमंत्री बने। 1992 में हर्षद मेहता कांड, जिसमें 5000 करोड़ रुपये का घपला सामने आया, तब नरसिंहराव प्रधानमंत्री थे। हर्षद के खिलाफ तब 72 आपराधिक प्रकरण दर्ज हुए थे। 1996 में हुआ हवाला कांड, जिसमें विदेश से अनेक नेताओं को करीब 64 लाख रुपये मिले थे।

 

ये वे मामले हैं, जो किसी प्रकार से जनता के बीच आ गये और जिनमें विभिन्न जांच एजेंसियों के शामिल हो जाने की वजह से बचाव के रास्ते भी बंद हो गये थे। जो थोड़े छोटे, लेकिन अनगिनत प्रकरण थे और जिन पर परदा डला रहा, किंतु जनता के बीच उनकी चर्चा होती रही, वे भी कम नहीं। इससे यह संदेश तो साफ गया कि देश में भ्रष्टाचार शिष्टाचार बन चुका था। ऐसे में जनता की उचित विकल्प की तलाश भाजपा या यूं कहें कि नरेंद्र मोदी पर आकर खत्म हुई, जब 2013 में भाजपा ने उन्हें प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर प्रस्तुत किया। जाहिर है कि कांग्रेस सहित विपक्ष कुछ भी प्रचारित करता रहा हो, किंतु गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी की नेतृत्व क्षमता,कर्मठता,विकासपरक सोच, त्वरित फैसले लेने की योग्यता और साहसी फैसले लेने में भी देश की जनता ने सक्षम पाया और 2014 के आम चुनाव में उन्हें सत्ता् सौंप दी।

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रमण रावल

 

संपादक - वीकेंड पोस्ट

स्थानीय संपादक - पीपुल्स समाचार,इंदौर                               

संपादक - चौथासंसार, इंदौर

प्रधान संपादक - भास्कर टीवी(बीटीवी), इंदौर

शहर संपादक - नईदुनिया, इंदौर

समाचार संपादक - दैनिक भास्कर, इंदौर

कार्यकारी संपादक  - चौथा संसार, इंदौर

उप संपादक - नवभारत, इंदौर

साहित्य संपादक - चौथासंसार, इंदौर                                                             

समाचार संपादक - प्रभातकिरण, इंदौर      

                                                 

1979 से 1981 तक साप्ताहिक अखबार युग प्रभात,स्पूतनिक और दैनिक अखबार इंदौर समाचार में उप संपादक और नगर प्रतिनिधि के दायित्व का निर्वाह किया ।

शिक्षा - वाणिज्य स्नातक (1976), विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन

उल्लेखनीय-

० 1990 में  दैनिक नवभारत के लिये इंदौर के 50 से अधिक उद्योगपतियों , कारोबारियों से साक्षात्कार लेकर उनके उत्थान की दास्तान का प्रकाशन । इंदौर के इतिहास में पहली बार कॉर्पोरेट प्रोफाइल दिया गया।

० अनेक विख्यात हस्तियों का साक्षात्कार-बाबा आमटे,अटल बिहारी वाजपेयी,चंद्रशेखर,चौधरी चरणसिंह,संत लोंगोवाल,हरिवंश राय बच्चन,गुलाम अली,श्रीराम लागू,सदाशिवराव अमरापुरकर,सुनील दत्त,जगदगुरु शंकाराचार्य,दिग्विजयसिंह,कैलाश जोशी,वीरेंद्र कुमार सखलेचा,सुब्रमण्यम स्वामी, लोकमान्य टिळक के प्रपोत्र दीपक टिळक।

० 1984 के आम चुनाव का कवरेज करने उ.प्र. का दौरा,जहां अमेठी,रायबरेली,इलाहाबाद के राजनीतिक समीकरण का जायजा लिया।

० अमिताभ बच्चन से साक्षात्कार, 1985।

० 2011 से नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की संभावना वाले अनेक लेखों का विभिन्न अखबारों में प्रकाशन, जिसके संकलन की किताब मोदी युग का विमोचन जुलाई 2014 में किया गया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को भी किताब भेंट की गयी। 2019 में केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के एक माह के भीतर किताब युग-युग मोदी का प्रकाशन 23 जून 2019 को।

सम्मान- मध्यप्रदेश शासन के जनसंपर्क विभाग द्वारा स्थापित राहुल बारपुते आंचलिक पत्रकारिता सम्मान-2016 से सम्मानित।

विशेष-  भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा 18 से 20 अगस्त तक मॉरीशस में आयोजित 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन में सरकारी प्रतिनिधिमंडल में बतौर सदस्य शरीक।

मनोनयन- म.प्र. शासन के जनसंपर्क विभाग की राज्य स्तरीय पत्रकार अधिमान्यता समिति के दो बार सदस्य मनोनीत।

किताबें-इंदौर के सितारे(2014),इंदौर के सितारे भाग-2(2015),इंदौर के सितारे भाग 3(2018), मोदी युग(2014), अंगदान(2016) , युग-युग मोदी(2019) सहित 8 किताबें प्रकाशित ।

भाषा-हिंदी,मराठी,गुजराती,सामान्य अंग्रेजी।

रुचि-मानवीय,सामाजिक,राजनीतिक मुद्दों पर लेखन,साक्षात्कार ।

संप्रति- 2014 से बतौर स्वतंत्र पत्रकार भास्कर, नईदुनिया,प्रभातकिरण,अग्निबाण, चौथा संसार,दबंग दुनिया,पीपुल्स समाचार,आचरण , लोकमत समाचार , राज एक्सप्रेस, वेबदुनिया , मीडियावाला डॉट इन  आदि में लेखन।