

Bhadra on Maha Shivratri 2025: महाशिवरात्रि पर 11 घंटे भद्रा का साया, जानें कैसे और कब होगी भगवान शिव की पूजा
Bhadra on Maha Shivratri 2025: महाशिवरात्रि, भोलेनाथ की कृपा पाने का सबसे शुभ अवसर है। इस दिन की गई पूजा से वह प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।यह शिव विवाह का दिन भी है।
भगवान शिव की पूजा-अर्चना में महाशिवरात्रि का बहुत महत्व है. हर वर्ष फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर महाशिवरात्रि का व्रत रखा जाता है. मान्यता है कि फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती का विवाह हुआ था और इसी दिन महाशिवरात्रि का व्रत रखा जाता है. शिव भक्त महाशिवरात्रि का व्रत रखकर विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव भक्तों से जल्द प्रसन्न हो जाते हैं और उनकी कृपा से जीवन की हर परेशानी दूर हो जाती है.
शिव पुराण में महाशिवरात्रि के व्रत की महिमा का वर्णन मिलता है. यह व्रत विवाह में आ रही बाधाओं से राहत के लिए बहुत प्रभावी माना जाता है. कहा जाता है कि इस व्रत को करने और भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा करने से मनचाहा जीवनसाथी मिलता है. इस वर्ष 26 फरवरी, बुधवार को महाशिवरात्रि का व्रत रखा जाएगा. हालांकि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार महाशिवरात्रि पर भद्रा का साया रहेगा. भद्रा के दौरान शुभ कार्य जैसे पूजा, मुंडन संस्कार और गृह प्रवेश वर्जित माने जाते हैं. आइए जानते हैं महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना कब कर सकते हैं.
इस वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी, बुधवार को सुबह 11 बजकर 8 मिनट पर शुरू होकर 27 फरवरी गुरुवार को सुबह 8 बजकर 54 मिनट तक है. भगवान शिव की पूजा के लिए रखा जाने वाला महाशिवरात्रि का व्रत (Maha Shivratri Vrat) 26 फरवरी को रखा जाएगा. इसी दिन महाकुंभ का आखिरी स्नान भी संपन्न होगा. व्रत का पारण 27 फरवरी, गुरुवार को सुबह 6 बजकर 48 मिनट से 8 बजकर 54 मिनट तक किया जा सकता है.
महाशिवरात्रि 2025 को भद्रा का समय
महाशिवरात्रि के दिन यानी 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 3 मिनट से रात 10 बजकर 17 मिनट तक भद्रा का साया है. शास्त्रों के अनुसार, भद्रा के दौरान शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित माने गए हैं. हालांकि स्वर्ग लोक और पाताल लोक की भद्रा को अशुभ नहीं माना जाता है और महाशिवरात्रि के दिन भद्रा का वास पाताल लोक में होगा, इसलिए महाशिवरात्रि के दिन किसी भी समय महादेव और माता पार्वती की पूजा की जा सकती है.
महाशिवरात्रि पूजा समय
महाशिवरात्रि के दिन रात के चारों प्रहरों में भगवान शिव की पूजा करने का विधान है.
रात्रि प्रथम प्रहर में पूजा – शाम बजकर 19 मिनट से रात 9 बजकर 26 मिनट तक महादेव की पूजा की जा सकती है.
रात्रि के द्वितीय प्रहर पूजा – रात्रि 9 बजकर 26 मिनट से 27 फरवरी रात 12 बजकर 34 मिनट तक भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा की जा सकती है.
रात्रि के तृतीय प्रहर पूजा – 27 फरवरी रात 12 बजकर 34 मिनट से प्रातः 3 बजकर 41 मिनट तक भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जा सकती है.
रात्रि के चतुर्थ प्रहर पूजा – 27 फरवरी प्रात: 3 बजकर 41 मिनट से सुबह 6 बजकर 48 मिनट तक भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जा सकती है.
महाशिवरात्रि का महत्व
सनातन धर्म में महाशिवरात्रि का बहुत महत्व है. मान्यता है कि व्रत रखकर भगवान शिव का अभिषेक करने से भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है. महाशिवरात्रि के दिन रात को जागरण करना और शिवलिंग की पूजा बहुत फलदाई होती है.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है