Big decision of the government:विदेश से मंगाना है लैपटॉप और कंप्यूटर तो पहले करना होगा रजिस्ट्रेशन

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Big decision of the government:विदेश से मंगाना है लैपटॉप और कंप्यूटर तो पहले करना होगा रजिस्ट्रेशन

केंद्र सरकार ने 1 नवंबर से लैपटॉप, कंप्यूटर और टैबलेट को रिस्ट्रिक्टिव कैटेगरी में डाल दिया है. यानी अब 1 नवंबर से इनके आयात करने से पहले रजिस्ट्रेशन करना होगा. खास बात यह है कि सरकार ने लैपटॉप, कंप्यूटर और टैबलेट के आयात के लिए पोर्टल भी शुरू कर दिया है.

इसी पोर्टल पर कंपनियों को आयात के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होगा. दरअसल, केंद्र सरकार पोर्टल के जरिए इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का डाटा इकट्ठा करना चाहती है. यही वजह है कि उसने लैपटॉप, कंप्यूटर और टैबलेट को रिस्ट्रिक्टिव कैटेगरी में डालने का फैसला किया है.

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सरकार के इस फैसले के बाद अब 1 नवंबर से 30 सितंबर 2024 तक कंपनियां रजिस्ट्रेशन के जरिए ही लेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का आयात कर सकेंगी. खास बात यह है कि सरकार ट्रस्टेड सोर्सेस के जरिए ही आयात को मंजूरी देगी. अगले 1 से 2 महीने के अंदर लैपटॉप, कंप्यूटर PLI के लिए आवेदन करने वाली कंपनियों को मंजूरी दी जाएगी. कहा जा रहा है कि कंपनियां 8 से 9 महीने में उत्पादन शुरू कर सकती हैं.

1 नवंबर से तत्काल प्रभाव से लागू हो जाएगा

वहीं, विदेश व्यापार महानिदेशक संतोष कुमार सारंगी ने कहा कि अब इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद इम्पोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम के तहत आयात किए जाएंगे. आयात के लिए पूरा काम पोर्टल पर ऑनलाइन होगा. उनकी माने तो नई लाइसेंसिंग व्यवस्था शुरू करने का मुख्य उदेश्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद के आयात की निगरानी करना है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि वे विश्वसनीय स्रोतों से देश में लाए जा रहे हैं. सारंगी ने कहा कि नई लाइसेंसिंग व्यवस्था 1 नवंबर से तत्काल प्रभाव से लागू हो जाएगा.

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रिजेक्टेड इकाई लिस्ट में शामिल कंपनियों को लाइसेंस नहीं मिलेगा

जानकारी के लिए बता दें कि नई लाइसेंसिंग व्यवस्था लैपटॉप, पर्सनल कंप्यूटर, बड़े मेनफ्रेम कंप्यूटर, माइक्रो कंप्यूटर और कुछ डेटा प्रोसेसिंग मशीनों पर लागू होती है. अगर कोई विदेश से लैपटॉप, पर्सनल कंप्यूटर, बड़े मेनफ्रेम कंप्यूटर का आयात करना चाहता है कि तो वह लाइसेंस के लिए पोर्टल पर आवेदन कर सकता है. खास बात यह है कि आवेदन प्रक्रिया बहुत ही आसान है. इसमें लगभग 10 मिनट का समय लगेगा. सारंगी ने कहा कि रिजेक्टेड इकाई लिस्ट में शामिल कंपनियों को लाइसेंस नहीं मिलेगा.

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