

Big News From Chhotu’s Desk: भूलते मंत्री, परेशान स्टाफ
छोटू शास्त्री का कॉलम
मध्यप्रदेश सरकार में एक मंत्री इन दिनों अजीब सी बीमारी से ग्रस्त है। मुद्दे की बात यह है कि मंत्री को भूलने की बीमारी ने अब कुछ ज्यादा ही घेर लिया। लिहाजा, इस बीमारी से मंत्री जी जितने परेशान नहीं होते, उससे ज्यादा परेशान स्टाफ और नजराना देने वाले अफसर हो रहे है। परेशानी का प्रमुख कारण यह है कि मंत्री जी हर किसी से नजराना तो ले लेते हैं, पर लेने के बाद भूल जाते है। इससे स्टाफ को बडी परेशानी हो रही है कि नजराना देने वालों के काम नहीं हो रहे है और साहब को याद दिलाये जाने पर साहब अनभिज्ञ हो जाते हैं। अब स्टाफ ने परेशान होकर इसका नया और नायाब तरीका निकाला कि अब बकायदा आने वाले नजराने की सूची बनाई जा रही है, ताकि मंत्री जी को ‘सो बका और एक लिखा’ दिखाकर काम करवाया जा सके।
अतिथि सत्कार की मिलेगी सजा?
इन दिनों धार के जिले के एक एसडीएम बडे अधिकारियों की आंखों में खटकने लगे है। दरअसल ये एसडीएम कुछ ज्यादा ही होशियार है, पर इनकी होशियारी भोपाल वालों की निगाहों में आ गई। बता दे कि इन्हें महेश्वर में हुई कैबिनेट की बैठक में एक अति वरिष्ठ तेज तर्रार और प्रदेश सरकार में पॉवरफुल अधिकारी का ध्यान रखने कि जिम्मेदारी दी गई थी। किन्तु, बताते है कि इन्होंने उन साहब के बजाय खुद का ध्यान ज्यादा रखा। यहां तक कि वे अधिकारी इनकी लापरवाही के कारण बगैर खाना खाए महेश्वर से रवाना हो गए। अब आने वाले दिनों में जिले के इस एसडीएम पर गाज गिरे तो समझ लिया जाना चाहिए कि अतिथि के सत्कार का ध्यान नहीं रख पाने का अंजाम क्या होता है। ये अधिकारी आदिवासी सब डिविजन में नौकरी कर रहे है और फिलहाल छुट्टी पर चले गए।
‘समिट’ को लेकर बनी नई रणनीति
इस बार औद्योगिक समिट इंदौर के बजाए भोपाल में आयोजित हो रही है किन्तु आयोजन के पहले अधिकारियों के हाथ पैर फूलने लगे है। क्योंकि, जितने पंजीयन होना चाहिए उतने हो नहीं हो पा रहे है। इसलिए तत्काल भोपाल से फरमान आया कि इंदौर, उज्जैन, देवास,रतलाम धार जिले में उद्योगपतियों का पंजीयन करवाकर उन्हें समिट में भेजा जाए। अब इन जिलों के कलेक्टर उद्योगपतियों की मैराथन बैठक कर अधिक से अधिक उद्योगपतियों को अपने जिले से भेजने की कोशिश कर रहे हैं ताकि जब समिट सफल हो तो उन्हें भी श्रेय मिल सके।
तिवारी पर मेहरबान सरकार
इन दिनों शहडोल वाले नगरीय प्रशासन के जेडी तिवारी की चर्चा भोपाल से लेकर पूरे प्रदेश में हो रही है। तिवारी महाराज ने काम ही ऐसा किया, लेकिन उससे बड़ी बात यह कि तिवारी का बाल भी बांका नहीं हुआ और अन्य अधिकारियों के लिए तिवारी जी अब किसी आइकॉन से कम नहीं रह गए है।
मामला ए मजमून भी दिलचस्प है। क्योंकि, ग्राम पंचायत बकहा को नगर परिषद बकहा में परिवर्तित करने के आदेश जिस दिन शासन ने दिए, उसी दिन पंडित जी ने 59 कर्मचारियों को उस पंचायत में पदस्थ होना बता दिया और इससे भी खास बात यह है कि अपने दो बेटो को भी साहब ने यहां पर नौकरी लगवा दी। जब इस मामले की शिनाख्त हुई, तो तिवारी जी को सस्पेंड कर दिया गया। लेकिन, समरथ को नहीं दोष गुसाई कि तर्ज पर तिवारी जी पुनः उसी पद पर बैठ गए। आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि अब तिवारी जी की इस अपार और ऐतिहासिक सफलता से अन्य अधिकारी मार्गदर्शन के लिए उनके पास पहुंचने लगेंगे।
कलेक्टर के नवाचार से सरकार सेफ!
इन दिनों सिवनी कलेक्टर संस्कृति जैन के नवाचार से सरकार और उससे जुडे संगठनों की चिंताए दूर होती दिखाई दे रही है। इनके नवाचार से मुख्यमंत्री भी खुश है। खुशी का कारण यह कि कलेक्टर ने नवाचार के जरिए 60 साल से ऊपर की लाडली बहनाओं को ‘अटल पेंशन योजना’ से जोडने की पहल की है।
मुख्यमंत्री और पार्टी संगठन इसलिए बल्ले बल्ले कर रहे हैं कि 60 साल की होने पर लाडली बहनाएं इस योजना से बाहर हो रही थी और कांग्रेस इसे निशाने पर ले रही थी कि लाडली बहनाओं को साजिश से बाहर किया जा रहा है। लेकिन, इस एक नवाचार ने महिलाओ की जिंदगी बदलने का पुनीत कार्य तो किया ही, बल्कि इससे विपक्ष को भी अब आक्रामक होने का अवसर नहीं मिलेगा। क्योंकि, जो बहने लाडली बहना योजना से उम्र के कारण बाहर हो रही थी, उन्हे अटल पेंशन योजना में शामिल कर लाभांवित किया जा रहा है। अब इस नवाचार को पूरे प्रदेश मे लागू किया जा रहा है! कलेक्टर संस्कृति जैन को बधाई!
... और अंत में
इंदौर जिले के भाजपा अध्यक्ष पद से हटाए गए चिंटू भैया के हटने के कई कारण थे। किन्तु राजनीतिक पंडित बताते है कि एक ऐसे कारण ने उन्हें रवानगी दी, जिसका अंदाजा किसी को नहीं था। बताया जाता है कि चिंटू भैया ने पास के जिले में हुए एक आंदोलन में अपनी सक्रियता लगाई थी। खास बात यह थी कि यह आंदोलन सरकार के खिलाफ था। बस फिर क्या था दिल जलों ने इसकी पूरी रिपोर्ट इतनी ऊंचाई तक पहुंचा दी और चिंटू बौने साबित हो गए। तमाम प्रयासों के बाद भी पद पर कायम नहीं रह सके।