राजस्थान में भाजपा के दो मेघवाल आमने सामने , पार्टी की गुटबाजी एक बार फिर खुल कर आई सामने

राजस्थान में भाजपा के दो मेघवाल आमने सामने , पार्टी की गुटबाजी एक बार फिर खुल कर आई सामने 

गोपेन्द्र नाथ भट्ट की त्वरित टिप्पणी

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के नब्बे वर्षीय वरिष्ठ कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सबसे करीबी नेताओं में से एक माने जाने वाले पूर्व विधान सभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के खिलाफ सार्वजनिक मंच से बयान देने के कारण भाजपा से निलंबित कर दिया गया है। पहले कैलाश मेघवाल के वार और फिर अर्जुन मेघवाल के इस तीर चलाने के बाद राजस्थान भाजपा की गुटबाजी एक बार फिर खुल कर सामने आ गई है। राजस्थान में आगामी ढाई महीनों बाद होने वाले विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ कांग्रेस को टक्कर देने की तैयारी के मध्य भाजपा में मेघवाल बनाम मेघवाल विवाद छिड़ गया है।

राजस्थान विधानसभा के पूर्व स्पीकर कैलाश मेघवाल अपने विधान सभा क्षेत्र भीलवाड़ा जिले के शाहपुरा में केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की कथित दखल अंदाजी से रुष्ठ थे। इसी कारण उन्होंने उनके खिलाफ खुल कर बयान दिया था। इस बयान के बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी की ओर से उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था। पैनल के अध्यक्ष ओंकार सिंह लाखावत ने बताया कि पार्टी अध्यक्ष ने उनकी प्राथमिक सदस्यता निलंबित कर दी है और मामले को आगे की कार्रवाई के लिए राज्य-स्तरीय अनुशासन समिति को भेज दिया गया है।

कैलाश मेघवाल ने इस प्रकरण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लंबी-चौड़ी चिट्ठी लिखी है और आरोप लगाया है कि अभी राजस्थान बीजेपी में आयातित नेता हावी हैं। वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी कांग्रेस के अग्रिम संगठन एनएसयूआई से आए हुए हैं और विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ जनता पार्टी से पार्टी में शामिल हुए हैं। दोनों का ही जनसंघ और पार्टी की विचारधारा से कोई लेना-देना नहीं है।

एक जमाने में दिवंगत भैरों सिंह शेखावत के नाक के बाल माने जाने वाले कैलाश मेघवाल ने कहा कि मैं एक समय पार्टी में हीरों था लेकिन आज हमें जीरो बनाने की कोशिश की जा रही है। प्रदेश की दो बार मुख्यमंत्री रही,लोकसभा और विधान सभा में पार्टी को रिकार्ड जीत दिलाने वाली और आज भी जनता के मध्य अपार लोकप्रियता रखने वाली वसुंधरा राजे तथा उनके समर्थकों को सुनियोजित तरीके से किनारे किया जा रहा है। इसका खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ेगा।

कैलाश मेघवाल बुधवार को जयपुर में मीडिया से भी रूबरू हुए। उन्होंने कहा कि भ्रष्ट केन्द्रीय मंत्री के कारनामे उगाजर करने के कारण उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया लेकिन वे हर हाल में विधान सभा का चुनाव लड़ेंगे और बीजेपी के प्रत्याशी को हजारों वोटों से हराएंगे। कैलाश मेघवाल अभी भी अपने बयान पर कायम हैं। मेघवाल ने एक बार फिर से केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने, केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल पर 27 अगस्त को भी भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगाए थे और कहा था कि प्रधानमंत्री को उन्हें मंत्रिमंडल से हटा देना चाहिए । मेघवाल ने इस बारे में प्रधानमंत्री मोदी को भी पत्र लिखा है।

कैलाश मेघवाल ने अर्जुनराम मेघवाल पर चुनाव के वक्त पैसे लेकर टिकट दिलाने के कु-कृत्य में शामिल होने के आरोप भी लगाए तथा कहा कि अर्जुनराम मेघवाल ने चूरू में कलेक्टर रहते हुए कई घोटाले में करोड़ों रुपये की रिश्वत खाई। इस भ्रष्ट मंत्री को केंद्रीय मंत्रिमंडल से निकाल देना चाहिए। जब तक कि अदालत में उनके खिलाफ लंबित मामलों का फैसला नहीं हो जाता। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा दर्ज एक मामला 2014 से लंबित है।

कैलाश मेघवाल ने कहा, अर्जुन मेघवाल भ्रष्ट अफसर रहे हैं। उद्योग सेवा से लेकर कलेक्टर रहने तक अर्जुन मेघवाल ने कई भ्रष्टाचार किए। चूरू में कलेक्टर रहते सैनिक विधवा के कोटे से हाउसिंग बोर्ड से गलत लोगों को आवंटित किया। इसकी शिकायत हुई और ए सी बी ने मामला भी दर्ज किया। इनकी दो बार जांच हुई, दबाव में एफआर पेश की गई । सेशन कोर्ट जज ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि इस केस में दबाव बनाया जा रहा है। अर्जुन मेघवाल ने चुनाव आयोग को झूठा एफिडेविट दिया, इनके खिलाफ केस चले, तो उनकी सांसदी भी जा सकती है। वरिष्ठतम विधायक ने कहा कि वह मंत्री की संसद सदस्यता रद्द करने के लिए चुनाव आयोग को भी लिखेंगे। उन्होंने दावा किया कि आरोप है कि अर्जुन राम मेघवाल ने 2014 और 2019 के संसदीय चुनावों से पहले झूठा हलफनामा भरा था। अतः उस पर भी कार्रवाई होनी चाहिए ।यह कोई चुनावी स्टंट नहीं है। कैलाश मेघवाल ने कहा, मैंने उनके खिलाफ सबूत इकट्ठा करना शुरू कर दिया है।

उन्होंने कहा कि मैं आज हीरो से जीरो हो गया हूं। क्या आपने मुझे चारों परिवर्तन यात्राओं में कहीं देखा? इसका एकमात्र कारण यह है कि अर्जुन राम मेघवाल को अधिक प्रोत्साहन दिया जा रहा है और उन्हें भाजपा में अनुसूचित जाति के नेता के रूप में आगे लाया जा रहा है।

इधर अर्जुन राम मेघवाल पहले ही खुलासा कर चुके है कि कैलाश मेघवाल द्वारा लगाए गए कथित आरोप राजनीतिक से प्रेरित है और कैलाश मेघवाल कांग्रेस में शामिल होने की भूमिका बना रहे है इसलिए वे इन दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तारीफों के पुल बांध रहे हैं।

देखना होगा कि राजस्थान भाजपा में मेघवाल बनाम मेघवाल के वर्चस्व की यह लड़ाई आने वाले दिनों में क्या रंग लायेगी?

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Author profile
गोपेंद्र नाथ भट्ट
गोपेंद्र नाथ भट्ट

गोपेंद्र नाथ भट्ट सम-सामयिक विषयों के लेखक और सूचना एवं जनसंपर्क के क्षेत्र में एक जाने पहचाने नाम और लेखनी के सशक्त हस्ताक्षर है ।

भट्ट राजस्थान के कई मुख्य मंत्रियों जिसमें पूर्व उप राष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत, वर्तमान मुख्य मंत्री अशोक गहलोत, पूर्व मुख्य मंत्री वसुन्धरा राजे और दिवंगत मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी सहित प्रदेश के दस-ग्यारह मुख्यमंत्रियों के पीआरओ और प्रेस अटेची रहे है ।भट्ट के देश-विदेश और प्रदेश के सभी जाने माने पत्रकारों और अन्य सभी मीडिया जनों से हमेशा अत्यन्त मधुर सम्बन्ध रहें है।अपनी कार्य कुशलता और व्यवहार से भट्ट ने एक श्रेष्ठ जनसम्पर्क अधिकारी के रूप में अपनी छाप छोड़ी । उन्हें पत्रकारिता और जनसम्पर्क के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए कई प्रतिष्ठित अवार्ड भी मिलें हैं।

भट्ट ने सरकारी सेवा से निवृत होने के बाद भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री महोदय के सीनियर मीडिया कसलटेंट के रूप में अपनी सेवाएं दी। साथ ही वे भारतीय उद्यमिता संस्थान,अहमदाबाद के अधिशासी अधिकारी भी रहें। वर्तमान में भट्ट कई जाने माने प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक संस्थानों के साथ ही राष्ट्रीय राजधानी की कई सामाजिक-सांस्कृतिक एवं समाजसेवी और प्रवासियों से संबद्ध संस्थाओं से भी सक्रिय रूप से जुड़े हुए है ।

भट्ट सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग, राजस्थान के वरिष्ठतम अधिकारी रहे है तथा प्रदेश के विभिन्न जिलों और संभाग में सेवाएं देने के साथ ही एक मात्र ऐसे अधिकारी रहे है जिन्होंने लगातार 25 वर्षों तक राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में भिन्न-भिन्न दलों की सरकारों के मुख्यमंत्रियों के साथ काम किया । साथ ही पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल सहित कई राज्यपालों और देश प्रदेश के अनेक लब्ध-प्रतिष्ठित प्रशासनिक अधिकारियों को भी अपनी सेवाएं दी।

दिल्ली पद स्थापन के दौरान भट्ट राजस्थान संवाद के अधिशासी निदेशक भी रहें।इसके अलावा वे दिल्ली में राज्यों के सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारियों की संस्था “सिप्रा” के दो बार निर्विरोध अध्यक्ष और पब्लिक रिलेशंस सोसायटी ओफ़ इंडिया (पीआरएसआई ) के विभिन्न पदों पर भी रहे।

भट्ट का जन्म और शिक्षा दीक्षा दक्षिणी राजस्थान के ऐतिहासिक नगर डूंगरपुर में हुई । उनके पिता भट्ट कांतिनाथ शर्मा बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय से स्नातक और संस्कृत,हिन्दी और अंग्रेज़ी के प्रकाण्ड विद्वान थे। वे देश के प्रथम गवर्नर जनरल चक्रवती राजाजी राज गोपालाचारी के सहयोगी एवं भाषण अनुवादक रहने के अलावा राजस्थान विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष डूंगरपुर महारावल लक्ष्मण सिंह के जीवन पर्यन्त राजनीतिक सचिव रहें । साथ ही तत्कानीन स्वतंत्र पार्टी की राजस्थान प्रदेश इकाई के महामंत्री तथा जयपुर की महारानी गायत्री देवी के राजनैतिक गुरु भी रहें । उन्हें गायत्री देवी को राजनीति में लाने का श्रेय भी मिला ।भट्ट अंतर राष्ट्रीय न्यायालय हेग के अध्यक्ष डॉ नागेन्द्र सिंह के विश्वस्त सहयोगी और भारतीय क्रिकेट कन्ट्रोल बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष राजसिंह डूंगरपर और उनके सभी भाई बहनों के प्रारम्भिक शिक्षक भी रहें।उन्हें राज परिवार के सदस्य स्नेहपूर्वक मास्टर साहब पुकारते थे।