Bombay HC: ‘बिना यौन मंशा के नाबालिग लड़की की पीठ और सिर पर हाथ फेरना मर्यादा का अपमान नहीं’, दोषी की सजा रद्द
इस मामले में आरोपी के खिलाफ शील भंग करने का मुकदमा दर्ज कराया गया। जिसपर सुनवाई करते हुए जिला कोर्ट ने आरोपी को छह माह जेल की सजा सुनाई।
2012 को दर्ज किया गया मुकदमा
मामला 2012 का है जब 18 साल के दोषी पर 12 साल की एक लड़की की शील भंग करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था। पीड़िता के मुताबिक, आरोपी ने उसकी पीठ और सिर पर हाथ फेरकर कमेंट किया था कि वह बड़ी हो गई है। न्यायमूर्ति भारती डांगरे की एकल पीठ ने सजा को रद्द करते हुए कहा कि दोषी की ओर से कोई यौन मंशा नहीं थी और उसके कथन से संकेत मिलता है कि उसने पीड़िता को एक बच्चे के रूप में देखा था। सबसे महत्वपूर्ण महिला की लज्जा भंग करने का इरादा रखना।
अभियोजन पक्ष मर्यादा भंग करने का सबूत नहीं कर सका पेश
बंबई हाईकोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष कोई भी इस तरह के सबूत पेश करने में विफल रहा कि अपीलकर्ता की ओर से लड़की की मर्यादा भंग करने की मंशा थी। पीठ ने कहा कि आरोपी के बयान से निश्चित रूप से संकेत मिलता है कि उसने उसे एक बच्चे के रूप में देखा था और इसलिए, उसने कहा कि वह बड़ी हो गई है। अभियोजन पक्ष के अनुसार, 15 मार्च, 2012 को अपीलकर्ता जो तब 18 साल की थी, पीड़िता के घर गई थी। फिर उसने उसकी पीठ और सिर को छुआ और कहा कि वह बड़ी हो गई है। अभियोजन पक्ष के अनुसार, लड़की असहज हो गई और मदद के लिए चिल्लाई।और पढ़ें
दोषी ने हाईकोर्ट में दायर की थी याचिका
ट्रायल कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए गए और छह महीने की जेल की सजा पाने वाले व्यक्ति ने हाईकोर्ट में आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी। अपने आदेश में हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने मामले में गलती की थी, प्रथम दृष्टया, बिना किसी यौन इरादे के एक अचानक कार्रवाई प्रतीत होती है
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