CAG Report : CAG की रिपोर्ट में खुलासा, MP में 90% पुल निर्माण में देरी, 9 ही समय पर बने! 

'कैग' ने प्रदेश में बने 347 बड़े पुल में से 72 की जांच के बाद यह खुलासा किया! 

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CAG Report : CAG की रिपोर्ट में खुलासा, MP में 90% पुल निर्माण में देरी, 9 ही समय पर बने! 

Bhopal : मध्य प्रदेश पुलों को लेकर ‘कैग’ ने जो जांच रिपोर्ट पेश की है उसमें खुलासा हुआ कि प्रदेश में सिर्फ 9 पुलों को छोड़कर बाकी 90% पुलों को समय पर नहीं बनाया जा सका। इससे लागत में करीब 25% तक वृद्धि हुई। यह जानकारी CAG (कैग) की जांच रिपोर्ट से हासिल हुई।

इन पुलों में 1 माह से लेकर साढ़े पांच साल तक का विलंब हुआ है। सीएजी (कैग) ने प्रदेश में बने 347 बड़े पुल में से 72 की जांच में यह पाया है। इनमें से महज 9 पुलों का निर्माण ही समय पर होना पाया गया। पुलों के निर्माण में ही देरी से इनकी लागत हुई, जिससे 600 करोड़ में 20% से 25% तक की वृद्धि हुई, जिससे अधिक खर्च हुआ।

‘कैग’ की यह रिपोर्ट को विधानसभा सत्र में पेश की गई। रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में साल 2015-16 से साल 2019-20 कुल 5 वर्ष के मध्य 1977 पुल निर्माण को मंजूरी दी गई, जिनमें से 1630 छोटे और 347 बड़े पुल थे। इन पुलों के निर्माण के लिए 2500 करोड़ रुपए खर्च किए गए। प्रदेश में 347 बड़े पुल में से 72 की जांच में पाई गई। सिर्फ 9 पुल ही समय से बन पाए। इससे 600 करोड़ रुपए ज्यादा खर्च हुआ।

 

भोपाल, उज्जैन, जबलपुर, रीवा, इंदौर, ग्वालियर और सागर में 324 बड़े पुल बनने थे। इनमें से 277 पुलों के निर्माण की स्वीकृति थी। यानी 47 पुलों के निर्माण की स्वीकृति नहीं मिली। बड़े पुलों के लिए कोई मास्टर प्लान तैयार नहीं किया गया। इनमें ट्रैफिक सर्वे भी नहीं कराए गए। ये पुल जनप्रतिनिधियों की सिफारिशों पर बनाए गए।

तकनीकी परीक्षण के बिना स्टील लाइनर का उपयोग

रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रमुख अभियंता के तकनीकी परीक्षण के बिना ही पांच रेलवे ओवर ब्रिज में 583.65 मीट्रिक टन परमानेंट स्टील लाइनर का उपयोग हुआ, जिससे 4.31 करोड़ रुपए का ज्यादा भुगतान किया गया। भोपाल और उज्जैन संभागों में 6 पुलों के निर्माण में ठेकेदारों ने गिट्टी और मुरम का जो उपयोग किया, उनसे 63 लाख रुपए की रायल्टी कम वसूली गई।

पुल के निर्माण में 11 महीने की देरी  

भोपाल के सुभाष नगर में लेवल क्रॉसिंग सुभाष फाटक के स्थान पर जून 2016 में रेलवे ओवरब्रिज को अप्रैल 2018 तक बनाया जाना था। यह 11 महीने की देरी से मार्च 2019 में पूरा हुआ। इस निर्माण में पेयजल की पाइप लाइन को हटाए जाने में आने वाले खर्चे का भुगतान करने में 8 महीने लगाए तो रेलवे ने आरओबी के दोनों ओर के बीच के भाग को भरने में 9 महीने का समय लिया।