संत का चोला ओढ़े कुर्सी प्रेमी अपने आपको और कितना जलील करायेगा?
कुछ लोगों को कुर्सी की चाह इतनी होती है कि उसके लिए वह कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार रहते हैं। कुछ ऐसा ही है तथाकथित संत मिर्ची बाबा के साथ। इसने चोला तो जरूर भगवा ओढ़ रखा है लेकिन राजनैतिक मंच पर बैठकर राजनीति करना इसका सपना दिखाई देता है। और यही कारण है कि वह अक्सर मंचों पर पहुंचने की कोशिश करता है। लेकिन हाल ही में भिंड में आयोजित कमलनाथ की सभा में डॉक्टर गोविंद सिंह ने मिर्ची बाबा को मंच पर नहीं चढ़ने दिया। जिससे नाराज बाबा विपक्षी पार्टी की शरण में चला गया और प्रदेश के गृह मंत्री से मुलाकात की। जब डॉक्टर गोविंद सिंह से इसको लेकर सवाल किया गया तो उनका साफ कहना था कि बाबा है तो आश्रम में जाएं, राजनीतिक मंच पर उनका क्या काम। बात भी सही है, हालांकि बाद में गोविंद सिंह बाबा से मिले भी।
अब उत्तर प्रदेश में जब एक बाबा मुख्यमंत्री बन गए तो शायद मिर्ची बाबा को भी लग रहा होगा की वह भी ऐसा ही कुछ कर ले। लेकिन मिर्ची बाबा को यह नहीं पता कि उसके लिए त्याग और तपस्या लगती है, नाकि जगह जगह अपनी बेइज्जती करवाते फिरें। मुरैना में भी कुछ रोज पहले उनके साथ यही हुआ, भीड़ से लुटे पिटे बाबा को जैसे-तैसे पुलिस ने बचाया। अब बाबा जी को समझना चाहिए कि वह आश्रम में रहकर तपस्या करें, उसी में उनकी भलाई है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए राज्यमंत्री ओ पी एस भदौरिया ने भी मिर्ची बाबा को लेकर कहा क्या मिर्ची बाबा में इतना मसाला है जो उसे मंच पर बिठाया जाए। अगर मिर्ची बाबा जैसा व्यक्ति कांग्रेस के मंच पर जाएगा तो उससे कांग्रेस का सम्मान बढ़ने के बजाय घटेगा।
कांग्रेस को एक करने की जद्दोजहद में लगी यह आवाज फिर से बनेगी कांग्रेस की पहचान!
चंबल अंचल खासकर भिंड जिले में कांग्रेस में आपसी मनमुटाव को कम करने के लिए चौधरी राकेश सिंह ने कमर कस ली है। हालिया दिनों में उनकी गतिविधियां इस ओर इशारा कर रही हैं कि वह कई खेमों में बंटी कांग्रेस को एकजुट करने के भरपूर प्रयास में लगे हुए हैं, ताकि क्षेत्र में आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस एक मजबूत पार्टी के रूप में उभर सके।
लेकिन कुछ नेताओं को शायद यह रास नहीं आ रहा और अभी भी बैनर पोस्टरों से बिखराव की बूंदे छलका ही देते हैं। राकेश चौधरी एक अच्छे वक्ता और अच्छे बेदाग छवि वाले नेता के रूप में पहचाने जाते हैं। कुछ व्यक्तिगत कारणों से उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कर भाजपा का दामन थाम लिया था। लेकिन कुछ ही समय में उन्हें समझ में आ गया कि भाजपा और कांग्रेस में काफी अंतर है, उनकी जड़ें कांग्रेस में ही मजबूत रह सकती हैं। ऐसे में उन्होंने घर वापसी करते हुए अब वह क्षेत्र में कांग्रेस को मजबूती प्रदान करने में जुट गए हैं।
डकैत गिरोह की आमद, अफवाह या हकीकत! पुलिस भी चकरघिन्नी
भिण्ड सहित चम्बल एवं ग्वालियर क्षेत्र के कई गांवों में बदमाशों के गिरोह की आमद से ग्रामीणों के बीच दहशत का माहौल बना हुआ है। एक-दो नहीं कई गांवों के ग्रामीणों ने बदमाशों का गिरोह देखे जाने की सूचना पुलिस को दी है, तो वहीं कुछ ग्रामीणों ने अपने साथ घटित हुई घटना भी बताई है। लेकिन भिंड सहित आसपास के जिलों की पुलिस इन सूचनाओं को लेकर चकरघिन्नी बनी हुई है। सूचना मिलते ही तुरंत मौके पर पहुंची पुलिस द्वारा घेराबंदी करने के बावजूद कोई हाथ नहीं लगा। ऐसे में पुलिस ने इस प्रकार की सूचनाओं को कोरी अफवाह बताते हुए इस प्रकार की अफवाहों से दूर रहने की अपील की है। इसके साथ ही इस प्रकार की अफवाहें फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने की बात भी कही है।
लेकिन उन घटनाओं का क्या जिनमें किसान खुद का अपहरण होने की बात कह रहे हैं? जहां दो दिन पहले मुरैना जिले के बाबरीपुरा गांव में किसान के अपहरण की कोशिश हुई तो वही भिंड जिले में भी खेत पर सो रहे किसान द्वारा अपने अपहरण की कहानी सुनाई गई। वहीं भिण्ड जिले में खेत की रखवाली के लिए सो रहे 2 किसानों की हत्या भी हो चुकी है।
ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि जो संगठित गिरोह आने की बात कही जा रही है वह कहां तक सही है और कहां तक झूठ? भिंड पुलिस द्वारा तो एक युवक को कट्टा और कारतूस के साथ गिरफ्तार कर उसे ही अफवाह फैलाने वाला बता दिया गया। लेकिन उसी दिन ऐसे ही गिरोह द्वारा मुरैना जिले में किसान का अपहरण होने की बात सामने आई। जिसमें पुलिस की सक्रियता के चलते बदमाशों के गिरोह द्वारा पुलिस पर फायरिंग कर किसान को खेतों में छोड़ दिया गया। इससे पहले भिंड जिले में अपहृत हुए किसान द्वारा बताया गया था कि गिरोह में आठ दस पुरुष और 2 महिलाएं हैं। वहीं मुरैना में अपहृत हुए किसान द्वारा भी बताया गया कि गिरोह में 8 पुरुष और एक महिला है। अब सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि भिंड जिले में जो किसान अपहृत हुआ था उसने अपहरण के दौरान ही कैसे अपने रिश्तेदारों को सूचना दे दी और मुरैना में भी जो किसान अपहृत हुआ था उसे भी बदमाश क्यों और कैसे छोड़ गए?
प्रदेश के इस मंत्री ने बताया कमलनाथ को फुंका हुआ कारतूस
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पूर्व मंत्री कमलनाथ की जन आक्रोश सभाओं से 2023 के विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस के ऊपर अब भाजपा भी पलटवार करने में जुट गई है। कभी कांग्रेस से ही विधायक बनकर कमलनाथ सरकार बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सिंधिया के सिपहसालार अब भाजपा सरकार में राज्यमंत्री ओपीएस भदौरिया ने कमलनाथ पर हमला करते हुए उन्हें फुंका हुआ कारतूस कह दिया है। उन्होंने कहा है कि इस फुंके हुए कारतूस को चलाने की कोशिश भी कांग्रेस इसलिए कर रही है क्योंकि वह कांग्रेस को खूब चंदा देते हैं।
ओपीएस भदौरिया का डॉ गोविंद सिंह के लिए सॉफ्ट कार्नर भी दिखा। उन्होंने कहा कि डॉ गोविंद सिंह नेता प्रतिपक्ष नहीं बन जाएं इसलिए कमलनाथ के आसपास मौजूद सज्जन सिंह वर्मा जैसे लोग उनको घेरने में लगे हैं। उन्होंने भिण्ड में आकर डॉ गोविंद सिंह को अपमानित करने की कोशिश की है। वहीं उन्होंने मिर्ची बाबा को फर्जी बताते हुए कहा कि यह कांग्रेस में बत्ती लगाने काम कर रहे हैं और इसी कड़ी में यह कांग्रेस और डॉ गोविंद सिंह को निपटाने का अभियान था।
मंत्री ओपीएस भदौरिया का कमलनाथ पर हमला एवं डॉ गोविंद सिंह के लिए सॉफ्ट कॉर्नर और चुनाव के बाद कांग्रेस जिलाध्यक्ष द्वारा डॉ गोविंद सिंह के खिलाफ भितरघात का आरोप लगाया जाना कहीं ना कहीं दाल में कुछ काला होने की ओर इशारा कर रहा है।
सालों से चल रही थी तैयारी, अब जाकर प्रशासन के द्वारा होगा यह महोत्सव
भिण्ड जिले के अटेर में चम्बल के आसपास पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यहां के समाजसेवी राधेगोपाल यादव एवं अशोक तोमर द्वारा अटेर महोत्सव की शुरुआत की गई थी। उनका एक ही मकसद था कि अटेर के गौरवशाली इतिहास को लोग जानें और ज्यादा से ज्यादा पर्यटक अटेर के किले सहित चम्बल सेंचुरी घूमने आएं। दो बार उनके प्रयासों से आपसी खर्चे और एक बार तत्कालीन विधायक अरविंद सिंह भदौरिया के सहयोग से अटेर महोत्सव का आयोजन किया गया। तत्कालीन कलेक्टर इलैया राजा टी द्वारा जरूर पर्यटन पर्व नाम से एक दिवसीय कार्यक्रम पर्यटन को बढ़ावा देने की दृष्टि से आयोजित किया गया था।
लेकिन प्रशासनिक स्तर पर अटेर महोत्सव कार्यक्रम के लिए रूपरेखा ही बनती रही। पहले आपसी खींचतान के चलते तो उसके बाद कोरोना के चलते अटेर महोत्सव का कार्यक्रम नहीं हो पा रहा था। लेकिन अंततः वर्षों से बनती आ रही इस कार्यक्रम की रूपरेखा ने कलेक्टर डॉ सतीश कुमार एस के कार्यकाल में मूर्तरूप लिया और अब 21 मार्च से अटेर महोत्सव का आगाज होगा, जिसमें कई प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन होगा।
अटेर महोत्सव का आयोजन इस बार पर्यटन एवं पुरातत्व विभाग द्वारा कराया जा रहा है। जिसकी समिति में दो स्थानीय समाजसेवियों को भी रखा गया है। कलेक्टर ने भी इसमें विशेष रुचि लेते हुए पहले कार्यक्रम आयोजित कर चुके इन समाजसेवियों का सहयोग लेने के निर्देश दिए थे ताकि कार्यक्रम भव्य हो सके। अटेर महोत्सव के कार्यक्रम को भव्य बनाने के लिए इससे पहले एसपी रहे मनोज कुमार सिंह ने भी काफी मेहनत की थी लेकिन कोविड के चलते उनके समय यह कार्यक्रम नहीं हो सका।
लेकिन सूत्रों की मानें तो अटेर महोत्सव के लिए बुलाई गई समिति की पहली मीटिंग के बाद समाजसेवी सदस्यों को मीटिंग में नहीं बुलाया गया और प्रशासनिक अधिकारी अपने स्तर पर ही इसको करने का प्रयास कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो एक व्यक्ति विशेष का इसमें हस्तक्षेप हो सकता है जिनका कि अटेर के हर काम में हस्तक्षेप होता है। ऐसे में यह कार्यक्रम कितना सफल होगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।