CMHO Guilty of Contempt : मृतक कंपाउंडर के परिजनों को सुविधाएं देने के निर्देश का पालन न करने पर CMHO दोषी पाया, हाई कोर्ट में तलब!

कोरोना काल में कंट्रोल रूम पर कार्य के दौरान कंपाउंडर की कोरोना ग्रस्त होने पर मृत्यु हो गई!

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CMHO Guilty of Contempt

CMHO Guilty of Contempt : मृतक कंपाउंडर के परिजनों को सुविधाएं देने के निर्देश का पालन न करने पर CMHO दोषी पाया, हाई कोर्ट में तलब!

Ratlam : मप्र उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के न्यायमूर्ति प्रणय वर्मा ने जावरा निवासी नजमा पति मोहम्मद अनवर के पक्ष में 20 सितंबर 2023 को पारित आदेश का पालन नहीं करने पर सीएमएचओ डॉ एमएस सागर को आदेश पालन नहीं करने का दोषी माना है। अवमानना याचिका (क्रमांक 1243/2024) की गत 5 मार्च को सुनवाई करते हुए रतलाम सीएचएमओ डाॅ एमएस सागर को इस आशय का नोटिस दिया कि क्यों न उन्हें अवमानना के लिए दंडित किया जाए। नोटिस में उन्हें 27 मार्च 2025 को अदालत में उपस्थित रहने के आदेश दिए गए।

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याचिकाकर्ता के अभिभाषक प्रवीण कुमार भट्ट ने बताया कि मोहम्मद अनवर सिविल अस्पताल जावरा में कंपाउंडर के पद पर पदस्थ थे। उनकी नियुक्ति वर्ष 1993 में अस्थाई थी। वर्ष 2012 में उन्हें नियमित किया गया था। मोहम्मद अनवर को 10 वर्ष का सेवा काल पूरा होने पर नियमितिकरण का लाभ प्रदान नहीं किया गया और इसकी विभागीय कार्यवाही जारी थी। कोरोना महामारी के दौर में जब उन्हें कोरोना कन्ट्रोल रूम पर पदस्थ किया गया, तब कोरोना ग्रस्त होने पर उनकी मृत्यु हो गई।

उनकी मृत्यु पर स्वास्थ्य विभाग ने विधवा पत्नी नजमा एवं उनके बच्चों को कोई सहायता राशि नहीं दी। उसके परिवार को कोरोना योद्धा योजना के अंतर्गत दी जाने वाली 50 लाख की राशि भी नहीं दी गई। 10 वर्ष का सेवाकाल पूरा होने पर मिलने वाला नियमित वेतनमान का लाभ भी नहीं दिया गया।

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मोहम्मद अनवर की पत्नी नजमा ने मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ में याचिका प्रस्तुत की, जो याचिका क्रमांक 16513/2023 पर पंजीबद्ध हुई। एकल न्यायपीठ ने समस्त सहायताओं के लिए याचिका स्वीकार कर मोहम्मद अनवर को 10 वर्ष का सेवा काल पूरा होने की तिथि से नियमित मानकर सभी लाभ देने के आदेश दिए थे। इसके विरुद्ध एकल न्यायपीठ ने डिविजन बेंच में रिवीजन प्रस्तुत की, लेकिन उसे निरस्त कर दिया गया। स्वास्थ्य विभाग ने बाद में सर्वाेंच्च न्यायालय के समक्ष याचिका प्रस्तुत की, जो जनवरी 2025 में निरस्त हो गई।

उच्च न्यायालय ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ एमएस सागर को इस संबंध में नोटिस जारी कर अदालत में उपस्थित होने के आदेश दिए है। प्रकरण में याचिकाकर्ता नजमा की पैरवी अभिभाषक प्रवीण कुमार भट्ट अधिवक्ता ने की!

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