

Congress’s New Strategy : कांग्रेस के जो नेता संगठन में पदाधिकारी होंगे वे चुनाव नहीं लड़ेंगे!
Bhopal : कांग्रेस में अब संगठन का काम करने वाले और चुनाव लडने वाले नेता अलग होंगे। जिन संगठन पदाधिकारियों को चुनाव लड़ना है, उन्हें पद छोडना होगा। इस पर पार्टी नेता और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी की उपस्थिति में हुई प्रदेश कांग्रेस की राजनीतिक मामलों की समिति की बैठक में सहमति बनी है। ऐसे नेताओं को पद कितने समय पहले छोडना होगा, यह संगठन स्तर पर चर्चा के बाद तय किया जाएगा।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने नगरीय निकाय, विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पार्टी पदाधिकारियों को चुनाव लड़ाया था। पिछड़ा वर्ग कांग्रेस के अध्यक्ष सिद्धार्थ कुशवाह को सतना नगर निगम के महापौर, आदिवासी कांग्रेस के अध्यक्ष रामू टेकाम को बैतूल लोकसभा सीट, युवा कांग्रेस अध्यक्ष डा विक्रांत भूरिया का विधानसभा का चुनाव लड़ाया था।
इसी तरह अन्य संगठन पदाधिकारियों को भी चुनाव मैदान में उतारा था। इसका नुकसान यह हुआ कि इन संगठनों की पूरी टीम अपने नेताओं के चुनाव प्रचार तक सीमित हो गई। अब चूंकि पूरा जोर संगठन को सशक्त बनाने पर है, इसलिए राजनीतिक मामलों की समिति में जब यह विषय आया तो राहुल गांधी समेत सभी वरिष्ठ नेता इस पर एक मत थे कि संगठन का काम करने वाले पदाधिकारियों को यदि चुनाव लड़ाया जाना है, तो उन्हें पद छोडना होगा। दरअसल, पार्टी ऐसे लोगों को संगठन की कमान सौंपना चाहती है, जो पूरा समय दे सकें। चुनाव लड़ने के इच्छुक पदाधिकारी न तो संगठन को पूरा समय दे पाते हैं और न ही चुनाव की तैयारी ही कर पाते हैं।
सबसे पहले संगठन ‘प्रथम’ की अवधारणा
पार्टी पदाधिकारी संजय कामले का कहना है कि संगठन प्रथम की अवधारणा को लेकर काम चल रहा है। हर स्तर पर सभी विषयों को लेकर चर्चा हो रही है। कुछ पर सहमति बन चुकी है और उसके मापदंड जल्द निर्धारित हो जाएंगे। इसमें एक विषय संगठन पदाधिकारियों को चुनाव लड़ाने से संबंधित भी है। प्रदेश में वर्ष 2027 से विभिन्न तरह के चुनाव प्रारंभ हो जाएंगे। सबसे पहले नगरीय निकायों के चुनाव होंगे, जो विधानसभा चुनाव की तैयारी के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण होंगे। इसे देखते हुए कांग्रेस ने तय किया है कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए चुनाव प्रबंधन प्रभारी नियुक्त किया जाएगा। इन्हें प्रबंधन से जुड़े विषयों को लेकर विशेषज्ञों से प्रशिक्षण भी दिलाया जाएगा।